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यूपीएससी के लिए इंडो-ग्रीक सम्मेलन 2022 की प्रासंगिकता
इंडो-ग्रीक सम्मेलन 2022: यूपीएससी अंतरराष्ट्रीय संबंध खंड (जीएस 2) के दृष्टिकोण से भारत-ग्रीस सम्मेलन (इंडो-ग्रीक कॉन्फ्रेंस) 2022 का अत्यधिक महत्व है।
इंडो-ग्रीक कॉन्फ्रेंस 2022 यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा एवं मुख्य परीक्षा (जीएस 1) दोनों के लिए एक आवश्यक दैनिक समसामयिकी सह भारतीय इतिहास, कला एवं संस्कृति विषय है।
इंडो-ग्रीक सम्मेलन 2022 चर्चा में क्यों है?
- इंडो-हेलेनिक संस्कृति एवं संबंधों के जीवंत इतिहास का पता लगाने के लिए, ग्रीस, 12 दिसंबर से नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय इंडो-ग्रीक सम्मेलन का आयोजन कर रहा है।
- ‘ग्रीक वर्ल्ड एंड इंडिया: हिस्ट्री, कल्चर एंड ट्रेड फ्रॉम द हेलेनिस्टिक पीरियड टू मॉडर्न टाइम्स’ पर पांच दिवसीय सम्मेलन जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में आयोजित किया जा रहा है।
ग्रीस के साथ भारत का ऐतिहासिक संबंध
- मानवता के संपूर्ण इतिहास में, हिंदू एवं ग्रीक पौराणिक कथाओं उन देवी-देवताओं के लिए सबसे प्रसिद्ध हैं जिनसे इसने दुनिया को सुख समृद्धि संपन्न बनाया है।
- ये असाधारण संस्कृतियां हैं जो समय की कसौटी पर खरी उतरी हैं एवं पूरी पृथ्वी पर बेजोड़ हैं।
- अनेक विद्वान एवं शोधकर्ता इसे समकालीन तथा महत्वपूर्ण पाते हैं।
- प्रचुर मात्रा में साहित्यिक एवं पुरातात्विक कलाकृतियों की उपस्थिति ने इंडो-हेलेनिक चर्चाओं की स्थापना की है।
यूनानियों को भारत में आक्रमणकारियों के रूप में जाना जाता है
- यह व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता है कि ग्रीक दुनिया एवं भारत के मध्य संपर्क मुख्य रूप से प्राचीन काल से संबंधित है, जिसकी शुरुआत सिकंदर से होती है।
- अतः, सम्मेलन अन्य अवधियों, मध्य युग अथवा आरंभिक आधुनिक काल पर भी प्रकाश डालता है- यह सिद्ध करता है कि भारत एक सांस्कृतिक एवं आर्थिक प्रकाश स्तंभ के रूप में यूनानियों के क्षितिज के भीतर बना रहा।
इंडो-ग्रीक सम्मेलन के क्या उद्देश्य हैं?
- इंडो-ग्रीक सम्मेलन का उद्देश्य ग्रीक विश्व तथा भारत के मध्य उस समय से जब संस्कृति अपने उत्कर्ष पर थी एवं आधुनिक समय तक संवाद तथा समझ का निर्माण करना है।
- सम्मेलन मुख्य रूप से इतिहास एवं संबंधों, कला एवं पुरातत्व, विज्ञान एवं दर्शन, व्यापार तथा अर्थशास्त्र, हेलेनिस्टिक इंडिया – भारत के ग्रीक राजाओं, भारतीय साहित्य में यूनानी, ग्रीक साहित्य में भारतीयों (प्राचीन, बीजान्टिन एवं उत्तर-बीजान्टिन) पर केंद्रित होगा।
- पांच दिवसीय आयोजन में सिकंदर के जीवन को प्रदर्शित करने वाले कई लघु चित्रों सहित दुर्लभ बीजान्टिन पांडुलिपियों की एक डिजिटल प्रदर्शनी भी शामिल होगी।
हेलेनिस्टिक इंडिया क्या था?
- हेलेनिस्टिक इंडिया इंडो-ग्रीक साम्राज्यों का काल था जिसने उस अवधि की भारतीय राजनीति एवं संस्कृति को अत्यधिक प्रभावित किया था।
- हिंद-यूनानी (इंडो-ग्रीक) साम्राज्य पर दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से पहली शताब्दी ईस्वी के प्रारंभ तक उत्तर-पश्चिम एवं उत्तर भारत में 30 से अधिक हेलेनिस्टिक (ग्रीक) राजाओं का शासन था।
- राज्य की शुरुआत तब हुई जब ग्रीको-बैक्ट्रियन राजा डेमेट्रियस (यूथीडेमस I का पुत्र) ने 180 ईसा पूर्व के आसपास भारत पर आक्रमण किया। उसने दक्षिणी अफगानिस्तान एवं पंजाब के कुछ हिस्सों पर विजय प्राप्त की।
- हिंद-यूनानी राजाओं ने भारतीय संस्कृति को आत्मसात किया एवं यूनानी तथा भारतीय संस्कृति के संमिश्रण के साथ राजनीतिक सत्ता बन गए।
- लगभग 25 वर्षों तक, हिंद-यूनानी साम्राज्य यूथिडेमिड शासन के अधीन था।
- इन राजाओं के अनेक सिक्के प्राप्त हुए हैं एवं इनके बारे में अधिकांश जानकारी हमें इन्हीं सिक्कों से प्राप्त होती है।
- अधिकांश हिंद-यूनानी राजा बौद्ध थे एवं बौद्ध धर्म उनके शासन काल में पल्लवित हुआ।
- यूनानी प्रभाव अधिकांशतः कला एवं मूर्तिकला, विशेष रूप से गांधार कला शैली (गांधार स्कूल ऑफ आर्ट) में देखा जाता है।
मिनांडर कौन था?
- मिनांडर I (165 ईसा पूर्व- 145 ईसा पूर्व) एक प्रसिद्ध हिंद-यवन राजा था।
- मिलिंद पन्ह (लगभग 100 ईसा पूर्व रचित) मेनांडर एवं बौद्ध ऋषि नागसेन के मध्य एक संवाद वर्णित करता है। मूल रूप से संस्कृत में रचित यह ग्रंथ, अब केवल पाली संस्करण उपलब्ध है। इस रचना में, मिनांडर को एक बुद्धिमान, विद्वान एवं सक्षम राजा के रूप में वर्णित किया गया है। इसके अंत में, मिनांडर ने बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया एवं धर्मान्तरित हो गया।
आधुनिक इंडो-ग्रीक आर्थिक संबंध गति प्राप्त कर रहे हैं
- भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 2021 में एथेंस का दौरा किया था एवं उनके समकक्ष ग्रीक विदेश मंत्री निकोस डेंडियास इस वर्ष नई दिल्ली आए थे।
- ग्रीस ने घोषणा की है कि ‘स्टडी इन ग्रीस’ कार्यक्रम के तहत छात्रवृत्ति के लिए भारतीय छात्रों को प्राथमिकता दी जाएगी।
- जबकि अभी तक भारत एवं ग्रीस को जोड़ने वाली कोई सीधी विमान सेवा नहीं है, ग्रीक पर्यटन मंत्री हैरी थोहारिस ने पिछले साल अक्टूबर में कहा था कि एथेंस एवं भारत के बीच, बड़ी संख्या में भारतीयों द्वारा छुट्टी मनाने हेतु ग्रीस की यात्रा किए जाने को ध्यान में रखते हुए एक सीधी उड़ान शुरू की जाएगी।
- दोनों देशों के मध्य आर्थिक संबंधों का विस्तार करने के लिए, आर्थिक कूटनीति एवं खुलेपन के लिए ग्रीक उप मंत्री, कॉन्स्टेंटिनोस फ्रैग्कोगियानिस, 2023 के प्रारंभ में भारत में एक बड़े व्यापार एवं व्यवसाय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले हैं।
इंडो-ग्रीक सम्मेलन 2022 के संदर्भ में प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न
प्र. इंडो-ग्रीक सम्मेलन 2022 क्या है?
उत्तर. इंडो-ग्रीक सम्मेलन 2022 जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में आयोजित ‘ग्रीक वर्ल्ड एंड इंडिया: हिस्ट्री, कल्चर एंड ट्रेड फ्रॉम द हेलेनिस्टिक पीरियड टू मॉडर्न टाइम्स’ नामक पांच दिवसीय सम्मेलन है।
प्र. इंडो-ग्रीक साम्राज्य क्या था?
- हिंद-यूनानी (इंडो-ग्रीक) साम्राज्य पर दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से पहली शताब्दी ईस्वी के प्रारंभ तक उत्तर-पश्चिम एवं उत्तर भारत में 30 से अधिक हेलेनिस्टिक (ग्रीक) राजाओं का शासन था।
- ग्रीको-बैक्ट्रियन राजा डेमेट्रियस ने 180 ईसा पूर्व के आसपास भारत पर आक्रमण किया तथा उसने दक्षिणी अफगानिस्तान एवं पंजाब के कुछ हिस्सों पर विजय प्राप्त की।
प्र. भारत में इंडो-ग्रीक साम्राज्य का पतन कैसे हुआ?
- अंतिम इंडो-ग्रीक राजा स्ट्रैटो II था।
- भारत में उनका शासन इंडो-सीथियन (शक) के आक्रमणों के साथ समाप्त हो गया।