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इंडो पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रोस्पेरिटी (IPEF): यह भागीदार देशों के लिए अपने संबंधों को मजबूत करने तथा क्षेत्र से संबंधित महत्वपूर्ण आर्थिक एवं व्यापार मामलों में संलग्न होने के लिए अमेरिका के नेतृत्व वाली रूपरेखा है, जैसे कि महामारी से प्रभावित लोचशील आपूर्ति श्रृंखला का निर्माण करना। इंडो पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रोस्पेरिटी (IPEF) यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा एवं यूपीएससी मुख्य परीक्षा (जीएस पेपर 2- अंतर्राष्ट्रीय संबंध, भारत के सदस्य / भारत के हितों को प्रभावित करने वाले विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय समूह) के लिए भी महत्वपूर्ण है।
IPEF की दूसरी मंत्रिस्तरीय बैठक
व्यक्तिगत उपस्थिति वाली इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (IPEF) की दूसरी मंत्रिस्तरीय बैठक, जो डेट्रायट में आयोजित हुई, ने आपूर्ति श्रृंखला (स्तंभ- II) समझौते के लिए वार्ता में महत्वपूर्ण प्रगति को अंकित किया।
IPEF आपूर्ति श्रृंखला समझौते के उद्देश्य
भारत एवं अन्य भागीदार देश IPEF आपूर्ति श्रृंखला (स्तंभ-II) समझौते के समग्र उद्देश्यों को प्राप्त करने के प्रभावी कार्यान्वयन में सक्रिय रूप से सम्मिलित होने हेतु प्रतिबद्ध हैं। यह समझौता अब तक के सर्वाधिक त्वरित गति से संपन्न बहुपक्षीय आर्थिक सहयोग समझौतों में से एक का प्रतिनिधित्व करता है। IPEF आपूर्ति श्रृंखला (स्तंभ- II) समझौता अब तक के सर्वाधिक गणित संपन्न बहुपक्षीय आर्थिक सहयोग समझौतों में से एक है। इस समझौते के तहत, IPEF भागीदार देश निम्नलिखित की मांग कर रहे हैं-
- आपदा प्रतिक्रिया उपायों के माध्यम से आपूर्ति श्रृंखलाओं को अधिक लोचशील, मजबूत तथा सुव्यवस्थित रूप से एकीकृत बनाना;
- व्यवसाय की निरंतरता को बेहतर ढंग से सुनिश्चित करने तथा रसद एवं कनेक्टिविटी में सुधार के लिए व्यवधानों के प्रभाव का शमन करने हेतु सहयोग;
- विशेष रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों एवं प्रमुख वस्तुओं के उत्पादन में निवेश को प्रोत्साहित करना;
- आवश्यक कौशल उन्नयन (अपस्किलिंग) तथा पुनः कौशल प्रदान करने (रीस्किलिंग) के माध्यम से कर कर्मकार की भूमिका में वृद्धि तथा IPEF में स्किल क्रेडेंशियल फ्रेमवर्क की बढ़ती तुलनात्मकता एवं
- IPEF भागीदारों के मध्य सहकारी एवं सहयोगी प्रयास।
IPEF आपूर्ति श्रृंखला समझौते के लाभ
इसके कार्यान्वयन पर, आपूर्ति श्रृंखला समझौते से भारत तथा भारत-प्रशांत आर्थिक ढांचे (इंडो पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क/IPEF) के भीतर अन्य भागीदार देशों के लिए अनेक लाभ प्राप्त होने की संभावना है। कुछ प्रमुख अपेक्षित लाभों में शामिल हैं:
- भारत में महत्वपूर्ण क्षेत्रों में उत्पादन केंद्रों का संभावित स्थानांतरण।
- घरेलू विनिर्माण क्षमताओं का सुदृढ़ीकरण।
- आत्मनिर्भर भारत (सेल्फ-रिलायंट इंडिया) तथा उत्पादन सहलग्न प्रोत्साहन योजनाओं (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम) के लिए समर्थन।
- विशेष रूप से प्रमुख वस्तुओं के उत्पादन, रसद सेवाओं एवं आधारिक अवसंरचना में निवेश जुटाना।
- वैश्विक आपूर्ति एवं मूल्य श्रृंखलाओं में भारतीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (माइक्रो स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज/MSMEs) का गहन एकीकरण।
- भारत के निर्यात का विस्तार एवं आपूर्ति श्रृंखलाओं के उच्च-मूल्य वाले क्षेत्रों में भागीदारी।
- आपूर्ति श्रृंखला आघात अथवा प्रतिकूल घटनाओं से उत्पन्न होने वाले आर्थिक जोखिमों का शमन।
- भारतीय उत्पादों के प्रवाह को सुविधाजनक बनाने के लिए एक निर्बाध क्षेत्रीय व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण।
- व्यापार प्रलेखन के डिजिटल आदान-प्रदान एवं त्वरित बंदरगाह स्वीकृति के माध्यम से व्यापार सुविधा में वृद्धि।
- सहयोगपूर्ण अनुसंधान एवं विकास के प्रयास।
- कार्यबल विकास पहल।
संक्षेप में, आपूर्ति श्रृंखला समझौते के कार्यान्वयन से आर्थिक विकास, लोचशीलता, व्यापार सुगमता एवं क्षमता निर्माण सहित विविध लाभ प्राप्त होने की संभावना है।
IPEF क्या है?
इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रॉस्पेरिटी (IPEF) भागीदार देशों के लिए अपने संबंधों को मजबूत करने तथा क्षेत्र से संबंधित महत्वपूर्ण आर्थिक एवं व्यापार मामलों में संलग्न होने के लिए अमेरिकी नेतृत्व वाला एक ढांचा है, जैसे कि महामारी से पीड़ित लोचशील आपूर्ति श्रृंखला का निर्माण। इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रॉस्पेरिटी (आईपीईएफ) एक मुक्त व्यापार समझौता नहीं है। किसी प्रकार के बाजार पहुंच अथवा प्रशुल्क कटौती की रूपरेखा नहीं दी गई है, हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि यह व्यापार सौदों का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
इंडो पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रोस्पेरिटी (IPEF) से संबंधित विवरण
23 मई, 2022 को, संयुक्त राज्य अमेरिका एवं भारत-प्रशांत क्षेत्र के भागीदार देशों ने संयुक्त रूप से टोक्यो में भारत-प्रशांत आर्थिक ढांचा (IPEF) का शुभारंभ किया।
- अधिदेश: इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (IPEF) क्षेत्र में विकास, शांति एवं समृद्धि को आगे बढ़ाने के लक्ष्य के साथ भागीदार देशों के मध्य आर्थिक जुड़ाव को मजबूत करना चाहता है।
- IPEF के सदस्य देश: IPEF के भागीदार देशों में ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, फिजी, भारत, इंडोनेशिया, जापान, कोरिया गणराज्य, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम एवं संयुक्त राज्य अमेरिका सहित 14 देश हैं।
- IPEF के स्तंभ: यह ढांचा व्यापार से संबंधित चार स्तंभों (स्तंभ I); आपूर्ति श्रृंखला (स्तंभ II); स्वच्छ अर्थव्यवस्था (स्तंभ III); एवं न्यायसंगत अर्थव्यवस्था (स्तंभ IV) के आसपास संरचित है।
- भारत एवं IPEF स्तंभ: भारत IPEF के स्तंभ II से IV में शामिल हो गया था, जबकि इसे स्तंभ- I में पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त है।
IPEF का महत्व
क्षेत्र के 14 भागीदार देशों द्वारा प्रारंभ किए गए इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (IPEF) का प्राथमिक उद्देश्य सहयोग, स्थिरता, समृद्धि, विकास एवं शांति को बढ़ावा देना है।
- यह सहयोगपूर्ण ढांचा तैयार किया गया है-
- आर्थिक गतिविधि को प्रोत्साहित करके प्रभावी लाभ देने हेतु,
- निवेश आकर्षित करने हेतु,
- सतत एवं समावेशी आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने हेतु, तथा
- पूरे क्षेत्र में श्रमिकों एवं उपभोक्ताओं दोनों को लाभ प्रदान करने हेतु।
- IPEF के अंतर्गत 14 भागीदार देश सामूहिक रूप से वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के 40 प्रतिशत एवं वस्तुओं तथा सेवाओं में वैश्विक व्यापार के 28 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करते हैं।
इंडो पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रोस्पेरिटी (IPEF) के बारे में प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न
प्र. इंडो पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रोस्पेरिटी (IPEF) क्या है?
उत्तर. इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रोस्पेरिटी (IPEF) आर्थिक विकास, स्थिरता एवं सहयोग को बढ़ावा देने के लिए इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में साझेदार देशों द्वारा प्रारंभ की गई एक सहकारी पहल है।
प्र. IPEF के क्या उद्देश्य हैं?
उत्तर. IPEF के प्रमुख उद्देश्यों में क्षेत्र के भीतर सहयोग, स्थिरता, समृद्धि, विकास एवं शांति को बढ़ावा देना शामिल है। इसका उद्देश्य आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित कर, निवेश आकर्षित करके तथा सतत एवं समावेशी आर्थिक विकास सुनिश्चित करके इन लक्ष्यों को प्राप्त करना है।
प्र. IPEF के क्या लाभ हैं?
उत्तर. IPEF प्रभावी लाभ प्रदान करता है जो आर्थिक क्रियाकलाप तथा निवेश को प्रोत्साहित करता है, सतत एवं समावेशी आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करता है तथा संपूर्ण क्षेत्र में श्रमिकों एवं उपभोक्ताओं को लाभान्वित करता है। इसका उद्देश्य सहयोग में वृद्धि करना, अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत करना तथा साझा समृद्धि के अवसर सृजित करना है।
प्र. कितने देश IPEF का हिस्सा हैं?
उत्तर. IPEF में भारत-प्रशांत क्षेत्र के 14 भागीदार देश शामिल हैं। ये देश सामूहिक रूप से वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के 40 प्रतिशत तथा वस्तुओं एवं सेवाओं में वैश्विक व्यापार के 28 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करते हैं।