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इनिक्वालिटी किल्स: ऑक्सफैम की एक रिपोर्ट

इनिक्वालिटी किल्स रिपोर्ट: प्रासंगिकता

  • जीएस 2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधन से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास एवं प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।

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इनिक्वालिटी किल्स रिपोर्ट: संदर्भ

  • ऑक्सफैम इंटरनेशनल नेइनइक्वलिटी किल्सनामक एक नई रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कहा गया है कि महामारी के दौरान 160 मिलियन व्यक्तियों को निर्धन में रूपांतरित कर दिया गया था, जबकि दस सर्वाधिक समृद्धि व्यक्तियों ने महामारी के आरंभ के पश्चात से अपनी संपत्ति को दोगुना कर दिया था

 

इनिक्वालिटी किल्स रिपोर्ट: प्रमुख बिंदु

  • रिपोर्ट वैक्सीन रंगभेद (देशों के मध्य टीकों के लिए असमान पहुंच) एवं सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रमों के अभाव को कोरोना वायरस के कई नए उपभेदों के उद्भव के कारण के रूप में पहचानती है जिसके कारण महामारी जारी रही है।
  • आर्थिक हिंसा: अत्यधिक असमानता ‘आर्थिक हिंसा’ का एक रूप है – जहां संरचनात्मक एवं प्रणालीगत नीति तथा राजनीतिक विकल्प जो सर्वाधिक समृद्ध तथा सर्वाधिक शक्तिशाली लोगों के पक्ष में हैं, वे संपूर्ण विश्व में आम लोगों के विशाल बहुमत को प्रत्यक्ष रूप से नुकसान पहुंचाते हैं।
  • अरबपति संस्करण“: महामारी के दौरान अरबपतियों की सामूहिक संपत्ति में 5 ट्रिलियन डॉलर की वृद्धि हुई है एवं कुछ के हाथों में वैश्विक धन का यह ऊर्ध्व एकत्रीकरण “हमारे विश्व के लिए पूर्णतया हानिकारक” है।

 

रिपोर्ट क्यों कहती है कि- इनिक्वालिटी किल्स?

  • रिपोर्ट अधिक अपराध एवं हिंसा तथा न्यून सामाजिक विश्वास के साथ उच्च असमानता की पहचान करती है।
  • असमानता एवं हिंसा का समाघात (खामियाजा) समाज के कमजोर वर्ग जैसे भारत में महिलाओं, दलितों, संयुक्त राज्य अमेरिका में अश्वेत, मूल अमेरिकी एवं लैटिन लोगों तथा अनेक देशों में स्वदेशी समूहों को उठाना पड़ता है।
  • असमानता प्रेरित जलवायु संकट: सर्वाधिक समृद्धि 1% मानवता सर्वाधिक निर्धन 50% की तुलना में दोगुना उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है। आर्थिक विकास के चरम नवउदारवादी प्रतिमान (मॉडल) ने कार्बन-गहन उत्पादन की एक विषम प्रणाली को जन्म दिया है, जो निर्धन देशों पर जोखिम को स्थानांतरित करते हुए समृद्ध देशों के पक्ष में है।

 

इनिक्वालिटी किल्स: भारत

  • रिपोर्ट में रेखांकित किया गया है कि महामारी ने लैंगिक समानता को 99 वर्ष से वापस 135 वर्ष कर दिया है
  • भारत में अत्यधिक धन असमानता एक ऐसी आर्थिक व्यवस्था का परिणाम है जिसमें निर्धनों एवं उपेक्षित रहने वाले लोगों के ऊपर अति समृद्ध (सुपर-रिच) के पक्ष में हेरफेर किया गया है। उदाहरण के लिए,  व्यावसायिक/कॉर्पोरेट करों में कमी एवं अप्रत्यक्ष करों में वृद्धि (जीएसटी के माध्यम से)।
  • सार्वजनिक सेवाओं के लिए अल्प वित्त पोषण: श्रमिकों के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा एवं सामाजिक सुरक्षा योजनाओं जैसे क्षेत्रों में सरकार द्वारा निवेश में कमी देखी जा रही है।
  • निजीकरण हानिकारक है: रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसी बुनियादी सेवाओं का निजीकरण समानता के लिए हानिकारक है।

 

इनिक्वालिटी किल्स रिपोर्ट: सिफारिशें

  • बहुसंख्यकों के लिए संसाधन उत्पन्न करने हेतु भारत की संपत्ति को अति समृद्ध से लेकर पुनर्वितरित करें: यह भारत के लिए महामारी से उबरने के लिए अत्यंत आवश्यक संसाधन उत्पन्न करने के लिए एक संपत्ति कर (2016 में बंद) को पुनः प्रारंभ करने का समय है।
  • भविष्य की पीढ़ियों की शिक्षा एवं स्वास्थ्य में निवेश करने के लिए राजस्व उत्पन्न करें: सर्वाधिक समृद्ध 10 प्रतिशत आबादी पर एक अस्थायी एक प्रतिशत अधिभार अतिरिक्त 7 लाख करोड़ रुपये जुटाने में सहायता कर सकता है, जिसका उपयोग शिक्षा एवं स्वास्थ्य बजट को बढ़ाने के लिए किया जा सकता है।
  • अनौपचारिक क्षेत्र के कामगारों के लिए सांविधिक सामाजिक सुरक्षा प्रावधानों को अधिनियमित करना एवं क्रियान्वित करना: जबकि सरकार गिग इकॉनमी श्रमिकों को मान्यता प्रदान कर रही है, उसे भारत के 93 प्रतिशत कार्यबल के लिए मूलभूत सामाजिक क्षेत्र सुरक्षा के  विधिक आधार तैयार करने पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
  • नियमों को बदलें एवं अर्थव्यवस्था एवं समाज में सत्ता को स्थानांतरित करें: यह सार्वजनिक सेवाओं के निजीकरण एवं व्यवसायीकरण को प्रतिलोमित करने,  बेरोजगारों की संख्या में वृद्धि को हल करने तथा भारत के अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों के लिए सशक्त सामाजिक सुरक्षा उपायों को वापस लाने का समय है।

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संपत्ति कर भारत में विकास योजनाओं को कैसे प्रभावित करेगा

  • 98 अरबपतियों पर चार प्रतिशत संपत्ति कर 17 वर्ष तक देश के मिड-डे-मील कार्यक्रमअथवा 6 वर्ष की अवधि के लिए समग्र शिक्षा अभियान की देखभाल कर सकता है।
  • 98 सर्वाधिक समृद्ध अरबपति परिवारों पर एक प्रतिशत संपत्ति कर आयुष्मान भारत को सात वर्ष से अधिक समय तक वित्तपोषित करेगा।
  • भारत में 98 अरबपतियों के संपत्ति कर का एक प्रतिशत विद्यालयी शिक्षा एवं साक्षरता के लिए कुल व्यय का वहन कर सकता है।
  • 98 अरबपतियों पर चार प्रतिशत संपत्ति कर 10 वर्षों के लिए मिशन पोषण 0 (आंगनवाड़ी सेवाएं, पोषण अभियान, किशोरियों के लिए योजना एवं राष्ट्रीय शिशु गृह योजना) के निधियन हेतु पर्याप्त होगा।
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