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आईएनएस खंडेरी- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 3: सुरक्षा- आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौतियां उत्पन्न करने में बाह्य राज्य तथा गैर-राज्य कारकों की भूमिका; संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौतियां।
चर्चा में आईएनएस खंडेरी
- हाल ही में, रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कर्नाटक में कारवार नौसेना बेस की अपनी यात्रा के दौरान भारतीय नौसेना के सर्वाधिक शक्तिशाली प्लेटफार्मों में से एक ‘आईएनएस खंडेरी’ पर एक समुद्री यात्रा का आयोजन किया।
- चार घंटे से अधिक समय तक, रक्षा मंत्री को स्टील्थ पनडुब्बी आईएनएस खंडेरी के पानी के भीतर संचालन की क्षमताओं की संपूर्ण श्रेणी का प्रदर्शन किया गया।
- उन्होंने भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत ‘विक्रांत’ को कार्यभार भी सौंपा।
सामुद्रिक अभ्यास साइटमेक्स- 21
आईएनएस खंडेरी पनडुब्बी क्या है?
- खंडेरी सबमरीन के बारे में: खंडेरी सबमरीन कलवरी श्रेणी की एक डीजल-विद्युत आक्रमण पनडुब्बी है जो सरकार के प्रोजेक्ट 75 कार्यक्रम के तहत थी।
- INS खंडेरी पनडुब्बी को 2019 में भारत के रक्षा मंत्री द्वारा कमीशन किया गया था।
- निर्माणकर्ता: आईएनएस खंडेरी सबमरीन को ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत मझगांव डॉक्स लिमिटेड, मुंबई में बनाया गया था।
- पनडुब्बी खंडेरी को एक फ्रांसीसी संगठन नेवल ग्रुप द्वारा डिजाइन किया गया है।
- प्रमुख विशेषता:
- वजन: खंडेरी पनडुब्बी का वजन करीब 1775 टन है।
- टॉरपीडो के इसके घातक आयुध सतह पर के जलयानों के साथ-साथ पनडुब्बियों को ही अपना निशाना बना सकती है।
- टॉरपीडो को छह 21 इंच ट्यूब या एस एम.39 एक्सोसेट जलयान रोधी प्रक्षेपास्त्रों (एंटी-शिप मिसाइलों) से दागा जा सकता है।
- खंडेरी खुफिया जानकारी जुटाने तथा क्षेत्र की निगरानी के कार्यों हेतु उपयोगी होगा।
क्रिवाक या तलवार स्टील्थ फ्रिगेट्स
कलवरी श्रेणी की पनडुब्बी क्या है?
- कलवरी श्रेणी की पनडुब्बी भारतीय नौसेना के लिए डीजल- विद्युत आक्रमण की क्षमता वाली स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों पर आधारित है।
- भारत के रक्षा मंत्रालय ने 1997 में प्रोजेक्ट -75 को स्वीकृति प्रदान की थी जो भारतीय नौसेना को 24 पनडुब्बियों का अधिग्रहण करने की अनुमति देता है।
आईएनएस वेला- स्कॉर्पीन श्रेणी की चौथी पनडुब्बी
स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी कौन सी हैं?
- स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियां अत्यंत शक्तिशाली प्लेटफॉर्म हैं।
- स्कॉर्पीन-श्रेणी की पनडुब्बियों में उन्नत स्टील्थ विशेषताएं होती हैं तथा ये लंबी दूरी के निर्देशित टॉरपीडो के साथ-साथ जलयान-रोधी मिसाइलों से सुसज्जित होती हैं।
- स्कॉर्पीन-श्रेणी की पनडुब्बियों में एक अत्याधुनिक सोनार तथा सेंसर समुच्चय होता है जो उत्कृष्ट परिचालन क्षमताओं की अनुमति प्रदान करता है।
प्रोजेक्ट –75: मुख्य बिंदु
- प्रोजेक्ट 75 के बारे में: प्रोजेक्ट 75 के तहत, मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) द्वारा भारतीय नौसेना के लिए छह स्कॉर्पीन-श्रेणी की पनडुब्बियों का निर्माण किया जाना है।
- स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी अगली पीढ़ी की डीजल चालित पनडुब्बी हैं।
- परियोजना 75 के तहत स्कॉर्पीन श्रेणी की छह पनडुब्बियों की वर्तमान स्थिति:
- आईएनएस कलवार: इसे अक्टूबर 2015 में विमोचित किया गया था तथा इसे दिसंबर 2017 में – निर्धारित समय से पांच वर्ष पीछे कमीशन किया गया था।
- आईएनएस खंडेरी: इसे जनवरी 2017 में परीक्षण के लिए विमोचित किया गया था तथा सितंबर 2019 में कमीशन किया गया था।
- आईएनएस करंज: इसे जनवरी 2018 में विमोचित किया गया था एवं 10 मार्च, 2021 को कमीशन किया गया था।
- आईएनएस वेला: इसे मई 2019 में विमोचित किया गया था तथा हाल ही में इसे शामिल किया गया था।
- आईएनएस वागीर: इसे नवंबर 2020 में विमोचित किया गया था एवं इसने बंदरगाह परीक्षण प्रारंभ कर दिया है। इसके दिसंबर 2021 में प्रथम बार जल यात्रा करने की संभावना है।
- आईएनएस वागशीर: यह साज सज्जा के उन्नत चरण में है।
- आत्मनिर्भर भारत को प्रोत्साहन: इन पनडुब्बियों का निर्माण फ्रांस की नौसेना समूह के सहयोग से एवं प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के तहत किया जाना है।