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आईएनएस विक्रांत- भारत का प्रथम स्वदेशी विमान वाहक

आईएनएस विक्रांत- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 2: शासन, प्रशासन एवं चुनौतियां
    • सरकार की नीतियां एवं विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए अंतःक्षेप तथा उनकी अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

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आईएनएस विक्रांत चर्चा में क्यों है

  • हाल ही में, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कोच्चि में कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) में भारत के प्रथम स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत को कमीशन किया।

 

आईएनएस विक्रांत

  • आईएनएस विक्रांत के बारे में: आईएनएस विक्रांत भारत का प्रथम स्वदेशी विमानवाहक पोत है। आईएनएस विक्रांत को अत्याधुनिक स्वचालित यंत्र (ऑटोमेशन) विशेषताओं के साथ निर्मित किया गया है  एवं यह भारत के सामुद्रिक इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा जलपोत है।
  • निर्माण: आईएनएस विक्रांत को भारतीय नौसेना के इन-हाउस युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो (वारशिप डिजाइन ब्यूरो/डब्ल्यूडीबी) द्वारा डिजाइन किया गया है तथा कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा निर्मित किया गया है, जो कि बंदरगाह, जहाजरानी एवं जलमार्ग मंत्रालय के तहत एक सार्वजनिक क्षेत्र का शिपयार्ड है।
  • प्रमुख विशेषताएं: 262.5 मीटर लंबा एवं 61.6 मीटर चौड़ा आईएनएस विक्रांत लगभग 43,000 टन को विस्थापित करता है, जिसकी अधिकतम डिजाइन की गई गति 28 समुद्री मील एवं 7,500 समुद्री मील की सह्यता है।
    • आईएनएस विक्रांत जहाज में लगभग 2,200 कक्ष हैं, जिन्हें महिला अधिकारियों एवं नाविकों सहित लगभग 1,600 के चालक दल के लिए डिज़ाइन किया गया है।
    • विक्रांत विमान वाहक पोत को मशीनरी संचालन, जलपोत नौवहन एवं उत्तरजीविता के लिए अत्यंत उच्च स्तर के स्वचालन के साथ डिज़ाइन किया गया है।
    • आईएनएस विक्रांत वाहक अत्याधुनिक उपकरणों तथा प्रणालियों से लैस है।
  • क्षमताएं: जलपोत स्वदेशी रूप से निर्मित उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर ( एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर/एएलएच) तथा हल्के लड़ाकू विमान (लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट/एलसीए) (नौसेना) के अतिरिक्त मिग -29 के लड़ाकू जेट, कामोव -31, एमएच -60 आर बहु-भूमिका हेलीकाप्टरों से युक्त 30 विमानों से युक्त एयर स्कंध के संचालन में सक्षम है।
    • शॉर्ट टेक ऑफ बट अरेस्ट रिकवरी (STOBAR) नामक एक नवीन विमान संचालन (एयरक्राफ्ट-ऑपरेशन) मोड का उपयोग करते हुए, आईएनएस विक्रांत विमान को लॉन्च करने के लिए स्की-जंप एवं जहाज पर उनकी पुनर्प्राप्ति हेतु ‘निरोधक तारों’ के एक समुच्चय से लैस है।

 

आईएनएस विक्रांत का महत्व

  • आत्मनिर्भरता की ओर प्रमुख कदम: आईएनएस विक्रांत ने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के दौरान ‘आत्मनिर्भर’ प्रत्यायक का प्रदर्शन किया।
    • आईएनएस विक्रांत भी आत्मनिर्भरता एवं ‘मेक इन इंडिया’ के लिए राष्ट्र के संकल्प का एक वास्तविक प्रमाण है।
    • हिंद महासागरीय क्षेत्र (इंडियन ओशन रीजन/आईओआर) में सामुद्रिक सुरक्षा क्षमताओं को मजबूत करना: हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में समुद्री सुरक्षा को बढ़ाने की दिशा में क्षमता निर्माण को आगे बढ़ाने में देश के जोश एवं उत्साह का एक वास्तविक साक्षी है।
  • वैश्विक मान्यता: आईएनएस विक्रांत के क्रियाशील होने के साथ, भारत ने राष्ट्रों के एक चुनिंदा  समूह में प्रवेश किया है, जिसमें स्वदेशी रूप से डिजाइन करने तथा विमान वाहक पोत निर्मित करने की क्षमता है।
  • रोजगार सृजन: 76 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री के साथ, आईएनएस विक्रांत के निर्माण से  कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) के 2,000 से अधिक कर्मचारियों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार का सृजन हुआ है।
    • इसके अतिरिक्त, इसके परिणामस्वरूप 550 से अधिक मूल उपकरण निर्माताओं (ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स/ओईएम), उप-ठेकेदारों, सहायक उद्योगों तथा साथ ही 100 से अधिक सूक्ष्म लघु एवं मध्यम इकाइयों (माइक्रो स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज/एमएसएमई) के लिए लगभग 12,500 कर्मचारियों के लिए अप्रत्यक्ष रोजगार सृजन हुआ है, जिससे अर्थव्यवस्था पर पुनः व्यापार का प्रभाव बढ़ा है।

 

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