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अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के लिए अंतर्राष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान (इक्रीसैट)

अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के लिए अंतर्राष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान (इक्रीसैट) – यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- दैनिक जीवन में विकास एवं उनके अनुप्रयोग तथा प्रभाव

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अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के लिए अंतर्राष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान (इक्रीसैट) – संदर्भ

  • हाल ही में, उप-सहारा अफ्रीका में खाद्य सुरक्षा में सुधार के लिए अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों हेतु अंतर्राष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान (इक्रीसैट) को अफ्रीका खाद्य पुरस्कार 2021 से सम्मानित किया गया।
    • अफ्रीका खाद्य पुरस्कार 2021 के अंतर्गत इक्रीसैट को 1,00,000 अमेरिकी डॉलर का पुरस्कार दिया गया।
  • इक्रीसैट को उष्णकटिबंधीय फलियां परियोजना (ट्रॉपिकल लेग्यूम्स प्रोजेक्ट) के लिए यह पुरस्कार प्राप्त हुआ है, जिसने उप-सहारा अफ्रीका में 13 देशों में खाद्य सुरक्षा में उन्नति की है।

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इक्रीसैट की ट्रॉपिकल लेग्यूम परियोजना- प्रमुख बिंदु

  • ट्रॉपिकल लेग्यूम प्रोजेक्ट इक्रीसैट द्वारा 2007 एवं 2019 के मध्य अफ्रीका में आबादी के वंचित वर्गों के मध्य खाद्य सुरक्षा में उन्नति हेतु भागीदारों के सहयोग के नेतृत्व में प्रारंभ किया गया था।
  • भारत में, ट्रॉपिकल लेग्यूम प्रोजेक्ट के एक भाग के रूप में, चने की उन्नत किस्मों को विकसित करने के राष्ट्रीय कार्यक्रम के परिणामस्वरूप क्षेत्र में 68% तक वृद्धि हुई है।
  • इस परियोजना ने फलीदार फसलों की एक श्रृंखला, जैसे लोबिया, अरहर, चना, मूंगफली, सोयाबीन, इत्यादि के लिए 266 उन्नत फलियों की प्रजाति एवं लगभग आधा मिलियन टन बीज विकसित किया
  • महत्व: फलियों की इन उन्नत किस्मों ने अफ्रीका एवं एशिया दोनों में छोटे किसानों को जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ कीटों एवं रोगों के प्रकोप के प्रति अधिक प्रतिरोधक क्षमता पूर्ण बनने में सहायता की है।
    • इस परियोजना के अंतर्गत प्रशिक्षित अनेक वैज्ञानिक पहले से ही अफ्रीकी महाद्वीप के राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थानों में कार्य कर रहे हैं।

पोषण उद्यान / न्यूट्री गार्डन

अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय के लिए अंतर्राष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान (इक्रीसैट) – प्रमुख बिंदु

  • पृष्ठभूमि: इसकी स्थापना 1972 में फोर्ड एवं रॉकफेलर फाउंडेशन द्वारा आहूत किए गए संगठनों के एक संघ द्वारा की गई थी।
    • इसके चार्टर पर खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) तथा संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे।
  • इक्रीसैट के बारे में: इक्रीसैट एक गैर-लाभकारी, गैर-राजनीतिक संगठन है जो एशिया एवं उप-सहारा अफ्रीका के शुष्क क्षेत्रों में विकास हेतु कृषि अनुसंधान में संलग्न है।
    • मुख्यालय: भारत में हैदराबाद, तेलंगाना में।
  • प्रमुख भूमिका: इक्रीसैट एवं उसके सहयोगी उन्नत कृषि के माध्यम से इन निर्धन व्यक्तियों को निर्धनता, भूख एवं खराब वातावरण से उबरने में सशक्त बनाने में सहायता करते हैं।
  • मुख्य मिशन: इक्रीसैट एक समृद्ध, खाद्य-सुरक्षित तथा प्रतिरोधक क्षमता पुणे शुष्क भूमि उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों की कल्पना करता है। इसे प्राप्त करने के लिए, इसका मिशन शुष्क भूमि उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में निर्धनता, भूख, कुपोषण तथा पर्यावरणीय अवक्रमण को कम करना है।
  • शोध गतिविधि: इक्रीसैट पांच अत्यधिक पौष्टिक सूखा-सहिष्णु फसलों: चना, अरहर, बाजरा, ज्वार एवं मूंगफली पर अनुसंधान कार्य करता है।
    • यह विकास के लिए साझेदारी आधारित अंतरराष्ट्रीय कृषि अनुसंधान आयोजित करता है जो विज्ञान को माननीय दृष्टि के साथ मूर्त रूप प्रदान करता है।
  • भारत एवं इक्रीसैट: अपनी स्थापना के बाद से, भारत ने भारतीय क्षेत्र में संचालित संयुक्त राष्ट्र संगठन के रूप में इक्रीसैट को विशेष दर्जा प्रदान किया है।
    • यह इक्रीसैट को विशेष उन्मुक्ति एवं कर विशेषाधिकारों के लिए अर्ह बनाता है।

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