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उच्च शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: शासन, प्रशासन एवं चुनौतियां- विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकार की नीतियां एवं अंतः क्षेप तथा उनकी अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
उच्च शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण चर्चा में क्यों है?
- हाल ही में, शिक्षा राज्य मंत्री ने लोकसभा को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (नेशनल एजुकेशन पॉलिसी/एनईपी) -2020 के अधिदेश के अनुसार उच्च शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण को प्रोत्साहित करने हेतु सरकार द्वारा की गई विभिन्न पहलों के बारे में सूचित किया।
उच्च शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारत को वैश्विक अध्ययन गंतव्य एवं अंतर्राष्ट्रीयकरण के रूप में प्रोत्साहित करने हेतु विभिन्न उपायों को निर्धारित करता है। उदाहरण के लिए-
- उच्च गुणवत्ता वाले विदेशी उच्च शिक्षण संस्थानों (हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूशंस/एचईआई) के साथ शोध / शिक्षण सहयोग एवं संकाय / छात्र आदान-प्रदान की सुविधा तथा विदेशों के साथ प्रासंगिक पारस्परिक रूप से लाभकारी समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर करना;
- उच्च प्रदर्शन करने वाले भारतीय विश्वविद्यालयों को अन्य देशों में परिसर स्थापित करने हेतु प्रोत्साहित करना;
- विश्व के शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों में से चयनित विश्वविद्यालयों को भारत में संचालित करने की सुविधा प्रदान की जाएगी;
- विदेश से आने वाले छात्रों के स्वागत तथा सहयोग के लिए प्रत्येक उच्च शिक्षण संस्थान में अंतर्राष्ट्रीय छात्र कार्यालय की स्थापना;
- प्रत्येक उच्च शिक्षण संस्थान के लिए आवश्यकता के अनुसार, जहां भी उपयुक्त हो, विदेशी विश्वविद्यालयों में अर्जित क्रेडिट की गणना करना; तथा
- विषयों में पाठ्यक्रम तथा कार्यक्रम, जैसे भारतीय विद्या (इंडोलॉजी), भारतीय भाषाएं, आयुष औषधियों की प्रणाली, योग, कला इत्यादि।
उच्च शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण को प्रोत्साहित करने हेतु सरकारी पहल
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 की संस्तुतियों के अनुरूप, उच्च शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण को सुदृढ़ करने हेतु अनेक उपाय प्रारंभ किए गए हैं, जैसे:
- जुलाई, 2021 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन/यूजीसी) द्वारा उच्च शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण पर दिशानिर्देश अधिसूचित किए गए थे।
- इसमें विदेशी छात्रों की मेजबानी करने वाले विश्वविद्यालयों के परिसर में अंतर्राष्ट्रीय मामलों के लिए कार्यालय तथा पूर्ववर्ती छात्र संपर्क प्रभाग की स्थापना जैसे प्रावधान सम्मिलित हैं।
- 179 विश्वविद्यालयों ने अंतर्राष्ट्रीय मामलों के लिए कार्यालय स्थापित किए हैं एवं 158 विश्वविद्यालयों ने पूर्ववर्ती छात्र संपर्क प्रभाग स्थापित किए हैं।
- शैक्षणिक सहयोग: भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों एवं विदेशी उच्च शिक्षण संस्थानों के मध्य अकादमिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए, “विश्वविद्यालय अनुदान आयोग विनियम, 2022” को 2022 में अधिसूचित किया गया है।
- गिफ्ट सिटी, गुजरात में विश्व स्तरीय विदेशी विश्वविद्यालयों एवं संस्थानों को वित्तीय प्रबंधन, फिनटेक, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अभियांत्रिकी एवं गणित में पाठ्यक्रम प्रारंभ करने की अनुमति होगी।
- ये अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (इंटरनेशनल फाइनेंशियल सर्विसेज अथॉरिटी/IFSCA) के नियमों को छोड़कर, घरेलू नियमों से मुक्त होंगे।
- इसका उद्देश्य वित्तीय सेवाओं एवं प्रौद्योगिकी के लिए उच्च अंत मानव संसाधनों की उपलब्धता को सुविधाजनक बनाना है।
- ऑफशोर कैंपस: यूजीसी इंस्टीट्यूशंस ऑफ एमिनेंस डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटीज रेगुलेशन में संशोधन किया गया है ताकि इंस्टीट्यूशंस ऑफ एमिनेंस को ऑफ-शोर कैंपस स्थापित करने की अनुमति प्राप्त हो सके।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के बारे में मुख्य बिंदु
- यह हमारे देश की तीसरी शिक्षा नीति है। पूर्ववर्ती दो शिक्षा नीतियों को 1968 एवं 1986 में प्रारंभ किया गया था।
- यह राष्ट्रीय नीति 34 वर्षों के अंतराल के पश्चात आई है।
- यह कस्तूरीरंगन समिति की सिफारिशों पर आधारित है।
- इसने मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम परिवर्तित कर शिक्षा मंत्रालय कर दिया।
- यह 5+3+3+4 पाठ्यचर्या एवं शैक्षणिक संरचना का प्रस्ताव करता है।
चरण | वर्ष | कक्षा | विशेषताएँ |
आधारभूत | 3-8 | 3 वर्ष पूर्व-प्राथमिक एवं 1-2 | लचीली, बहु-स्तरीय, गतिविधि-आधारित शिक्षण |
प्रारंभिक | 9-11 | 3-5 | हल्की पाठ्यपुस्तकें, अधिक औपचारिक किंतु संवादात्मक कक्षा शिक्षण |
मध्य | 12-14 | 6- 8 | अधिक अमूर्त अवधारणाओं, अनुभवात्मक अधिगम को सीखने के लिए विषय शिक्षकों का प्रारंभ |
माध्यमिक | 15-18 | 9-12 | पूर्णता से पढ़ना, आलोचनात्मक विचार, जीवन की आकांक्षाओं पर अधिक ध्यान देना |
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का कार्यान्वयन
- भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (हायर एजुकेशन कमिशन ऑफ इंडिया/एचईसीआई) नामक एक शीर्ष निकाय होगा, जो निम्नलिखित निकायों के मध्य विवादों का समाधान करेगा।
निकाय | विशेषताएं |
राष्ट्रीय उच्च शिक्षा नियामक प्राधिकरण(नेशनल हायर एजुकेशन रेगुलेटरी अथॉरिटी/NHERA) | हल्का किंतु सख्त विनियमन |
राष्ट्रीय प्रत्यायन आयोग (नेशनल एक्रीडिटेशन कमीशन/NAC) | मेटा-मान्यता प्राप्त एजेंसी |
उच्च शिक्षा अनुदान परिषद (हायर एजुकेशन ग्रांट कमीशन/HEGC) | वित्तपोषण के लिए उत्तरदायी |
सामान्य शिक्षा परिषद (जनरल एजुकेशन काउंसिल/GEC) | उच्च शिक्षा कार्यक्रमों के लिए अपेक्षित शिक्षण परिणामों की रूपरेखा तैयार करना। |