Is India Missing the Graphene Bus The Hindu Editorial Analysis
द हिंदू संपादकीय विश्लेषण: यूपीएससी एवं अन्य राज्य पीएससी परीक्षाओं के लिए प्रासंगिक विभिन्न अवधारणाओं को सरल बनाने के उद्देश्य से द हिंदू अखबारों के संपादकीय लेखों का संपादकीय विश्लेषण। संपादकीय विश्लेषण ज्ञान के आधार का विस्तार करने के साथ-साथ मुख्य परीक्षा हेतु बेहतर गुणवत्ता वाले उत्तरों को तैयार करने में सहायता करता है। आज का हिंदू संपादकीय विश्लेषण ‘इज इंडिया मिसिंग द ग्राफीन बस?’ भारत में हाल ही में पाए गए ग्राफीन भंडार के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करता है तथा सरकार को इन महत्वपूर्ण दुर्लभ पदार्थों के आत्मनिर्भरता एवं प्रभावी उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए इन संसाधनों का प्रबंधन करना चाहिए।
जो कृत्रिम प्रज्ञान (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस/AI) सॉफ्टवेयर के लिए है एवं क्वांटम कंप्यूटिंग कंप्यूटर के लिए है, वही ग्राफीन पदार्थ के लिए है। ये तीन उदीयमान प्रौद्योगिकियां अगले कुछ दशकों में मौजूदा मानव-मशीन अंतरापृष्ठ (इंटरफेस) को बाधित कर देंगी। जबकि भारत कृत्रिम प्रज्ञान में अग्रणी है तथा क्वांटम कंप्यूटिंग में एक संभावित दावेदार है, इसे ग्राफीन के क्षेत्र में पकड़ बनाने की जरूरत है।
2004 में इसकी खोज के बाद से उच्च-गुणवत्ता एवं व्यापक स्तर पर ग्राफीन के उत्पादन में चुनौतियों के बावजूद, परिदृश्य तेजी से विकसित हो रहा है। हाल के घटनाक्रम एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देते हैं।
ग्राफीन विश्व का सर्वाधिक पतला, सर्वाधिक मजबूत एवं विद्युत तथा ऊष्मा दोनों का सबसे प्रवाहकीय पदार्थ है। यह तांबे की तुलना में विद्युत का बेहतर संचालन करता है।
ग्राफीन सम्मिश्र का उपयोग विमानन (एयरोस्पेस), स्वचालन (ऑटोमोटिव), खेल उपकरण तथा विनिर्माण में किया जाता है। इसका उपयोग उच्च-क्षमता बैटरी एवं सुपर-कैपेसिटर, टच स्क्रीन तथा प्रवाहकीय स्याही के लिए किया जाता है।
ग्राफीन रक्षा एवं विमानन के लिए भी महत्वपूर्ण है। इसकी असाधारण शक्ति इसे कवच एवं बैलिस्टिक सुरक्षा के लिए आशाजनक पदार्थ बनाती है।
ग्रैंड व्यू रिसर्च के अनुसार, वैश्विक ग्राफीन बाजार का आकार 2022 में 175.9 मिलियन डॉलर था तथा 2023 एवं 2030 के बीच 46.6% की सीएजीआर से बढ़ने की संभावना है।
हालांकि भारत चीन की तुलना में लगभग एक-बीसवां एवं ब्राजील की तुलना में एक-तिहाई उत्पादन करता है, किंतु भारत की प्रगति अनेक देशों से बेहतर रही है।
ग्राफीन के आसपास बड़े पैमाने पर नवोन्मेष क्रियाकलाप को प्रोत्साहित करने हेतु केंद्र को नोडल बिंदु बनने की आवश्यकता है। सरकारों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। चीन ने अपनी 13वीं योजना में ग्राफीन को प्राथमिकता घोषित किया। यूरोप ने 2013 में €1 बिलियन के बजट के साथ ग्राफीन फ्लैगशिप की स्थापना की।
प्र. ग्राफीन क्या है?
उत्तर. ग्राफीन दो आयामी छत्ते की जाली संरचना में व्यवस्थित कार्बन परमाणुओं की एक परत है। यह अब तक ज्ञात सबसे पतला, मजबूत तथा सर्वाधिक प्रवाहकीय पदार्थ है।
प्र. ग्राफीन की खोज कैसे हुई?
उत्तर. ग्राफीन को पहली बार 2004 में मैनचेस्टर विश्वविद्यालय में आंद्रे गेम एवं कॉन्स्टेंटिन नोवोसेलोव द्वारा पृथक किया गया था एवं इसकी विशेषता बताई गई थी। उन्होंने सिंगल-लेयर ग्राफीन प्राप्त करने के लिए मैकेनिकल एक्सफोलिएशन नामक एक विधि का उपयोग किया, जिसे “स्कॉच टेप विधि” के रूप में भी जाना जाता है।
प्र. ग्राफीन के क्या विशिष्ट गुण हैं?
उत्तर. ग्राफीन में उच्च विद्युत एवं तापीय चालकता, यांत्रिक शक्ति, लचीलापन, पारदर्शिता तथा अपारगम्यता सहित असाधारण गुण हैं। इसमें विभिन्न उद्योगों एवं प्रौद्योगिकियों में क्रांति लाने की क्षमता है।
प्र. ग्राफीन के संभावित अनुप्रयोग क्या हैं?
उत्तर. ग्राफीन के देवेंद्र क्षेत्रों में संभावित अनुप्रयोगों की एक विस्तृत श्रृंखला है। इनमें इलेक्ट्रॉनिक्स, ऊर्जा भंडारण, सेंसर, कंपोजिट, जैव चिकित्सीय उपकरण (बायो मेडिकल डिवाइस), जल निस्पंदन, विमानन तथा अन्य बहुत कुछ शामिल हैं।
ग्राफीन द्वि-आयामी छत्ते की जाली संरचना में व्यवस्थित कार्बन परमाणुओं की एक परत है। यह अब तक ज्ञात सबसे पतला, मजबूत तथा सर्वाधिक प्रवाहकीय पदार्थ है।
ग्राफीन को पहली बार 2004 में मैनचेस्टर विश्वविद्यालय में आंद्रे गेम एवं कॉन्स्टेंटिन नोवोसेलोव द्वारा पृथक किया गया था एवं इसकी विशेषता बताई गई थी। उन्होंने सिंगल-लेयर ग्राफीन प्राप्त करने के लिए मैकेनिकल एक्सफोलिएशन नामक एक विधि का उपयोग किया, जिसे "स्कॉच टेप विधि" के रूप में भी जाना जाता है।
ग्राफीन में उच्च विद्युत एवं तापीय चालकता, यांत्रिक शक्ति, लचीलापन, पारदर्शिता तथा अपारगम्यता सहित असाधारण गुण हैं। इसमें विभिन्न उद्योगों एवं प्रौद्योगिकियों में क्रांति लाने की क्षमता है।
ग्राफीन के देवेंद्र क्षेत्रों में संभावित अनुप्रयोगों की एक विस्तृत श्रृंखला है। इनमें इलेक्ट्रॉनिक्स, ऊर्जा भंडारण, सेंसर, कंपोजिट, जैव चिकित्सीय उपकरण (बायो मेडिकल डिवाइस), जल निस्पंदन, विमानन तथा अन्य बहुत कुछ शामिल हैं।
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