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परिसंपत्ति एवं देनदारियों के प्रबंधन पर आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना के बीच क्या मुद्दा है?

परिसंपत्ति एवं देनदारियों के प्रबंधन पर आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना के बीच क्या मुद्दा है? आंध्र प्रदेश सरकार ने अपने एवं तेलंगाना के मध्य परिसंपत्ति एवं देनदारियों के एक समान एवं द्रुत विभाजन की मांग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया है, यह तर्क देते हुए कि परवर्ती राज्य के जन्म के आठ वर्ष पश्चात भी संपत्ति का वास्तविक विभाजन प्रारंभ नहीं हुआ है। इसने कहा कि इसने शीर्ष अदालत से “परेंस पैट्रिए” (राष्ट्र के माता-पिता) के रूप में संपर्क किया है, यह दावा करते हुए कि संपत्ति के गैर-विभाजन से तेलंगाना को लाभ हुआ है क्योंकि इनमें से लगभग 91 प्रतिशत हैदराबाद में स्थित हैं।

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प्रसंग

संपत्ति एवं देनदारियों के वितरण के मुद्दे पर, दोनों राज्यों (आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना) के साथ-साथ केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा बुलाई गई कई द्विपक्षीय बैठकें विफल रहीं एवं आंध्र प्रदेश सरकार ने अब सर्वोच्च न्यायालय से संपत्ति एवं देनदारियों के “निष्पक्ष, उचित एवं न्यायसंगत” विभाजन की मांग की है।

 

पृष्ठभूमि

  • 2 जून 2014 को आंध्र प्रदेश का विभाजन हुआ एवं नया तेलंगाना राज्य अस्तित्व में आया।
  • आंध्र प्रदेश के विभाजन के उपरांत, हैदराबाद दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी बन गया तथा संक्रमण कालीन व्यवस्था 2024 में समाप्त होने वाली है।

 

क्या आपको पता था?

हैदराबाद (जो अब तेलंगाना का एक हिस्सा है) आंध्र प्रदेश के संयुक्त राज्य की राजधानी थी। हैदराबाद न केवल ‘राजधानी केंद्रित विकास प्रतिमान’ (कैपिटल सेंट्रिक डेवलपमेंट मॉडल) के परिणामस्वरूप एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में रूपांतरित हो गया था, बल्कि सरकारी अवसंरचना सहित शासन के अधिकांश संस्थान (राज्य के सभी क्षेत्रों के लोगों के कल्याण के लिए लक्षित) विशेष रूप से संयुक्त राज्य के बड़े पैमाने पर निवेश संसाधनों द्वारा हैदराबाद शहर के आसपास केंद्रित एवं विकसित किए गए थे।

 

संपत्ति को लेकर क्या विवाद है 

  • आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2014 की अनुसूची IX के तहत 91 संस्थान एवं अनुसूची X के तहत 142 संस्थान हैं।
  • अधिनियम में उल्लिखित अन्य 12 संस्थानों का विभाजन भी राज्यों के मध्य विवादास्पद हो गया है।
  • इस विवाद में 1.42 लाख करोड़ रुपये की कुल अचल संपत्ति मूल्य के साथ 245 संस्थान शामिल हैं।

 

क्या हैं आंध्र प्रदेश सरकार के दावे?

  • आंध्र प्रदेश सरकार अनुसूची IX के 91 संस्थानों में से 89 के विभाजन के लिए सेवानिवृत्त नौकरशाह शीला भिडे की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति द्वारा दी गई सिफारिशों के कार्यान्वयन पर दृढ़ है।
  • किंतु इसने खेत व्यक्त किया कि तेलंगाना सरकार ने अन्य सिफारिशों को छोड़कर चुनिंदा सिफारिशों को स्वीकार कर लिया, जिसके परिणामस्वरूप संपत्ति एवं देनदारियों के विभाजन में विलंब हुआ।

 

विशेषज्ञ समिति की सिफारिशें

  • विशेषज्ञ समिति ने अनुसूची IX के 91 संस्थानों में से 89 के विभाजन के संबंध में सिफारिशें की हैं।
  • संपत्ति के विभाजन पर इसकी सिफारिशें, जो मुख्यालय का हिस्सा नहीं हैं, ने तेलंगाना सरकार की आलोचना को आकर्षित किया, जिसने कहा कि यह पुनर्गठन अधिनियम की भावना के विरुद्ध है।
  • आरटीसी मुख्यालय एवं डेक्कन इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड लैंडहोल्डिंग्स लिमिटेड (डीआईएल) जैसे अनेक संस्थानों का विभाजन, जिनके पास विशाल भूखंड हैं, दोनों राज्यों के मध्य विवाद का प्रमुख कारण बन गए हैं।
  • उदाहरण के लिए, समिति ने आरटीसी कार्यशालाओं एवं अन्य संपत्तियों के विभाजन की सिफारिश की, जो ‘मुख्यालय संपत्ति’ की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आती हैं। तेलंगाना इन विभाजनों का विरोध करता है। डीआईएल द्वारा धारित भूखंड अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत भी नहीं आते हैं।

 

तेलंगाना का क्या रुख है?

  • तेलंगाना सरकार ने तर्क दिया है कि विशेषज्ञ समिति की सिफारिशें तेलंगाना के हितों के विरुद्ध थीं। पुनर्गठन अधिनियम की धारा 53 में मुख्यालय संपत्ति के विभाजन की स्पष्ट परिभाषा है।
  • सरकार दृढ़ है कि नई दिल्ली में आंध्र प्रदेश भवन जैसे तत्कालीन संयुक्त राज्य के बाहर स्थित संपत्ति को अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार जनसंख्या के आधार पर राज्यों के मध्य विभाजित किया जा सकता है।

 

क्या किया जाना चाहिए?

  • केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता वाली एवं दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों से मिलकर बनी विवाद समाधान समिति की कई बैठकें एवं गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव की अध्यक्षता वाली विवाद समाधान उप-समिति द्वारा बुलाई गई बैठकें गतिरोध को समाप्त नहीं कर सकीं।
  • अधिनियम केंद्र सरकार को आवश्यकता पड़ने पर हस्तक्षेप करने का अधिकार प्रदान करता है। उम्मीद है कि गृह मंत्रालय दोनों राज्यों के मध्य के मुद्दों को त्वरित रूप से एवं सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने के लिए कदम उठाएगा।

 

प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न

प्र. आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना दो पृथक पृथक राज्य कब बने?

उत्तर. 2 जून 2014 को आंध्र प्रदेश का विभाजन हुआ एवं नया तेलंगाना राज्य अस्तित्व में आया।

प्र. शीला भिडे समिति पर आंध्र प्रदेश सरकार का क्या कहना है?

उत्तर. आंध्र प्रदेश सरकार अनुसूची IX  के 91 संस्थानों में से 89 के विभाजन के लिए सेवानिवृत्त नौकरशाह शीला भिडे की अध्यक्षता वाली विशेषज्ञ समिति द्वारा दी गई सिफारिशों के कार्यान्वयन पर दृढ़ है।

 

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FAQs

When AP and Telangana Became Two Separate States?

Andhra Pradesh was bifurcated and the new state of Telangana came into existence on June 2, 2014.

What Is The Say Of AP Government on Sheela Bhide Committee?

The AP Government is firm on the imple­mentation of the recommendations given by the expert committee headed by retired bureaucrat Sheela Bhide for bifurcation of 89 out of the 91 Schedule IX institutions.