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जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप

जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता

  • सामान्य अध्ययन III- सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-प्रौद्योगिकी, जैव-प्रौद्योगिकी, फार्मा क्षेत्र एवं स्वास्थ्य विज्ञान के क्षेत्र में जागरूकता।

जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप चर्चा में क्यों है?

  • नासा के नवीनतम एवं सर्वाधिक शक्तिशाली टेलीस्कोप, जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने हमारे सौर मंडल के सर्वाधिक बड़े ग्रह, बृहस्पति की नई छवियों को प्रग्रहित किया है, जो इसे पहले कभी न देखे गए रूप में प्रस्तुत करता है।

 

जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप के बारे में

  • जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (जेडब्ल्यूएसटी) एक अंतरिक्ष दूरबीन है जिसे नासा, यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) एवं कैनेडियन स्पेस एजेंसी (CSA) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है।
  • इसके नासा के प्रमुख खगोल भौतिकी मिशन हबल स्पेस टेलीस्कोप का स्थान लेने की योजना है।
  • यह खगोल विज्ञान एवं ब्रह्मांड विज्ञान के क्षेत्रों में व्यापक जांच करेगा, जिसमें सम्मिलित हैं:
  • ब्रह्मांड में कुछ सर्वाधिक दूर की घटनाओं एवं वस्तुओं का अवलोकन करना जैसे कि प्रथम आकाशगंगाओं का निर्माण।
  • संभावित रूप से निवास योग्य बाहरी ग्रह (एक्सोप्लैनेट) का विस्तृत वायुमंडलीय लक्षण विवरण।

 

यह अन्य दूरबीनों से किस प्रकार भिन्न है?

  • जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप अधिक शक्तिशाली है एवं इसमें अवरक्त वर्णक्रम (इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रम) में देखने की क्षमता है, जो इसे ब्रह्मांड में बहुत गहराई से देखने की अनुमति प्रदान करेगा तथा गैस बादलों जैसे अवरोधों के पार देखेगा।
  • जैसे-जैसे विद्युत चुम्बकीय तरंगें लंबी दूरी तक यात्रा करती हैं, वे ऊर्जा खो देती हैं, जिसके परिणामस्वरूप उनकी तरंग दैर्ध्य में वृद्धि होती है।
  • एक पराबैंगनी तरंग, उदाहरण के लिए, धीरे-धीरे दृश्यमान प्रकाश वर्णक्रम एवं अवरक्त वर्णक्रम में गति कर सकती है तथा सूक्ष्म तरंगों (माइक्रोवेव) अथवा रेडियो तरंगों को और कमजोर कर सकती है, क्योंकि यह ऊर्जा खो देती है।
  • हबल टेलीस्कोप को मुख्य रूप से विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम के पराबैंगनी एवं दृश्य क्षेत्रों की जांच पड़ताल हेतु डिज़ाइन किया गया था।
  • जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप मुख्य रूप से एक अवरक्त किरण टेलीस्कोप है, जो अपनी तरह का प्रथम है।

 

जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप की विशेष विशेषताएं

  • जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप या हबल टेलीस्कोप जैसे शक्तिशाली अंतरिक्ष दूरबीनों को प्रायः टाइम मशीन कहा जाता है क्योंकि वे अत्यंत दूरी पर स्थित वस्तुओं को देखने की क्षमता रखते हैं।
  • उन वस्तुओं, तारों या आकाशगंगाओं से आने वाले प्रकाश , जिसे इन दूरबीनों द्वारा प्रग्रहित किया जाता है, ने लाखों वर्ष पूर्व अपनी यात्रा प्रारंभ की थी।
  • अनिवार्य रूप से, ये दूरबीन जो देखते हैं वह इन सितारों या आकाशगंगाओं की छवियां हैं जैसे वे लाखों वर्ष पूर्व थे।
  • जितने दूर ग्रह या तारे अवस्थित हैं,  समय में उतनी ही दूरी तक ये दूरबीनें देखने में सक्षम हैं।
  • जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) को पृथ्वी से लगभग एक मिलियन मील की दूरी पर, L2 के नाम से जाने वाले स्थान पर, अंतरिक्ष में अत्यधिक दूरी पर स्थापित किया जाएगा।
  • यह पांच बिंदुओं में से एक है, जिसे लाग्रेंज के बिंदुओं के रूप में जाना जाता है, पृथ्वी एवं सूर्य की भांति किसी भी परिभ्रमण करने वाले दो- निकाय प्रणाली में, जहां दो बड़े निकायों के गुरुत्वाकर्षण बल एक दूसरे को निष्प्रभावी कर देते हैं।
  • इन स्थितियों में रखी गई वस्तुएं अपेक्षाकृत स्थिर होती हैं एवं उन्हें वहां रखने के लिए न्यूनतम बाहरी ऊर्जा की आवश्यकता होती है। L2 सूर्य तथा पृथ्वी को मिलाने वाली रेखा में पृथ्वी के ठीक पीछे की स्थिति है।
  • यह पृथ्वी द्वारा सूर्य से परिरक्षित होगा क्योंकि यह पृथ्वी के साथ समन्वयित होकर सूर्य के चारों ओर घूमता है।
  • जेडब्लूएसटी में एक विशाल दर्पण है, जिसका व्यास 21 फीट (एक सामान्य दो मंजिला भवन की ऊंचाई) है, जो सूर्य से दूर होने पर दूर ब्रह्मांड से आने वाली अवरक्त प्रकाश (इन्फ्रा-रेड लाइट) को प्रग्रहित कर लेगा।
  • इसे पांच-परत, टेनिस कोर्ट-आकार, पतंग के आकार के धूप अवरोधक (सनस्क्रीन) द्वारा परिरक्षित किया जाएगा, जिसे सूर्य से उत्सर्जित ऊष्मा को अवरुद्ध करने के लिए डिज़ाइन किया गया है एवं यह सुनिश्चित करता है कि उपकरण संचालित करने हेतु निर्मित किए गए अत्यंत शीतल तापमान को सुनिश्चित करता है।
  • सूर्य की ओर का तापमान 110 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है, जबकि दूसरी तरफ का तापमान -200 डिग्री से -230 डिग्री सेल्सियस पर बनाए रखा जाएगा।
  • सुदूर आकाशगंगाओं से अत्यधिक मंद ताप संकेतों का पता लगाने के लिए अत्यंत शीतल तापमान की आवश्यकता होती है।
  • दर्पण के साथ-साथ धूप अवरोधक (सनस्क्रीन) भी इतने विशाल हैं कि वे किसी रॉकेट में फिट नहीं हो सकते थे।
  • इन्हें मुड़ने योग्य वस्तु (फोल्डेबल आइटम) के रूप में निर्मित किया गया है तथा इन्हें अंतरिक्ष में स्पष्ट किया जाएगा।

बृहस्पति के बारे में महत्वपूर्ण विवरण

  • तस्वीरों ने ग्रह के एक नए दृश्य को प्रग्रहित कर लिया है, इसके विशाल तूफानों, रंगीन उषाकाल (औरोरा), अस्पष्ट वलयों एवं दो छोटे चंद्रमाओं – अमाल्थिया तथा एड्रास्टिया को विस्तार से प्रस्तुत किया है।
  • जबकि हम में से अधिकांश व्यक्ति पीली एवं लाल-भूरे रंग की गैस वाले ग्रह (बृहस्पति/ जुपिटर) से परिचित हैं।
  • जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप के नियर-इन्फ्रारेड कैमरा ने, अपने विशेष इन्फ्रारेड फिल्टर के साथ, बृहस्पति को नीले, हरे, सफेद, पीले  एवं  नारंगी रंगों में शामिल किया है।
  • बृहस्पति का प्रसिद्ध ग्रेट रेड स्पॉट, एक तूफान इतना विशाल कि वह पृथ्वी को निगल सकता है, छवि में दीप्तिमान सफेद प्रदर्शित हुआ, क्योंकि यह सूर्य के अत्यधिक प्रकाश को प्रतिबिंबित कर रहा था।
  • यहां की चमक उच्च ऊंचाई को इंगित करती है – इसलिए ग्रेट रेड स्पॉट में उच्च ऊंचाई वाले धुंध हैं, जैसा कि भूमध्यरेखीय क्षेत्र में होता है।
  • अनेक दीप्तिमान सफेद ‘धब्बे’ तथा ‘धारियाँ’ संघनित संवहन तूफानों के बहुत अधिक ऊंचाई पर स्थित बादल होने की संभावना है।

 

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