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जयप्रकाश नारायण- यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 1: अठारहवीं शताब्दी के मध्य से लेकर वर्तमान तक का आधुनिक भारतीय इतिहास- महत्वपूर्ण घटनाएं, व्यक्तित्व, मुद्दे।
जयप्रकाश नारायण- प्रसंग
- बिहार सरकार ने वरिष्ठ समाजवादी नेताओं जयप्रकाश नारायण एवं राम मनोहर लोहिया से संबंधित अध्यायों को जेपी विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर राजनीति विज्ञान पाठ्यक्रम से हटाने पर गंभीरता से संज्ञान लिया है।
- अन्य प्रख्यात हस्तियां जिनके नाम पाठ्यक्रम से हटा दिए गए हैं, उनमें दयानंद सरस्वती, राजा राम मोहन राय एवं बाल गंगाधर तिलक सम्मिलित हैं।
जयप्रकाश नारायण- प्रमुख बिंदु
- जयप्रकाश नारायण के बारे में: जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर, 1902 को तड़के बिहार के सुदूर गांव सिताब दियारा में हुआ था।
- समाजवादी/मार्क्सवादी प्रभाव: जयप्रकाश नारायण शिक्षा ग्रहण करने हेतु अमेरिका गए, जहां वे मार्क्सवादी विचारधारा से काफी प्रभावित हुए।
- हालांकि, उन्होंने मार्क्सवादियों द्वारा वकालत की जा रही पूंजीवाद के प्रसार को रोकने हेतु “क्रांति” के अंतिम समाधान को खारिज कर दिया एवं उसके स्थान पर समाजवाद की वकालत की।
जयप्रकाश नारायण- स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
- गांधी जी के साथ जुड़ाव: 1921 में वे असहयोग आंदोलन में सम्मिलित हुए एवं गांधीवादी विचारधारा से प्रभावित हुए थे।
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) के साथ जुड़ाव: 1929 में, वह जवाहर लाल नेहरू के निमंत्रण पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए।
- सविनय अवज्ञा आंदोलन (सीडीएम) में सहभागिता की: जयप्रकाश नारायण ने भारत में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध सविनय अवज्ञा आंदोलन (सीडीएम) में भाग लिया तथा 1932 में उन्हें एक वर्ष के कारावास की सजा भी सुनाई गई।
- कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी (सीएसपी):
- उन्होंने कांग्रेस पार्टी के भीतर एक वामपंथी समूह, कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी (1934) के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
- कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के अन्य प्रमुख सदस्य- आचार्य नरेंद्र देव, राम मनोहर लोहिया, मीनू मसानी, अच्युत पटवर्धन एवं अशोक मेहता।
- द्वितीय विश्व युद्ध: उन्हें 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटेन की ओर से भारतीय भागीदारी का विरोध करने के कारण कैद कर लिया गया था, किंतु वे भागने में सफल रहे एवं भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध सशस्त्र प्रतिरोध को संगठित करने का प्रयास किया।
- 1943 में उन्हें फिर से पकड़ लिया गया और जेल भेज दिया गया।
- उन्हें 1946 में रिहा कर दिया गया एवं उन्होंने कांग्रेस प्रतिनिधियों को ब्रिटिश शासन के विरुद्ध और अधिक आक्रामक रुख अपनाने के लिए मनाने की कोशिश की।
जयप्रकाश नारायण- स्वतंत्रता के बाद के भारत में भूमिका
- प्रजा सोशलिस्ट पार्टी (पीएसपी) का गठन: उन्होंने 1948 में कांग्रेस छोड़ दी एवं कांग्रेस विरोधी आंदोलन प्रारंभ कर दिया। बाद में, उन्होंने 1952 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी (पीएसपी) का गठन किया।
- भूदान आंदोलन में भागीदारी: 1954 में, उन्होंने अपना समय विशेष रूप से विनोबा भावे के नेतृत्व वाले भूदान आंदोलन के लिए समर्पित किया, जिसने भूमिहीनों को भूमि पुनर्वितरण की मांग की।
- 1974 में ‘संपूर्ण क्रांति‘ के लिए आह्वान (‘संपूर्ण क्रांति‘): जब इंदिरा गांधी को इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा चुनावी कानूनों का उल्लंघन करने का दोषी पाया गया, तो उन्होंने सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार के विरुद्ध 1974 में सामाजिक परिवर्तन (इसे ‘संपूर्ण क्रांति‘ कहा) के एक कार्यक्रम का आह्वान किया।
- ‘भारत रत्न‘: “स्वतंत्रता संग्राम एवं गरीबों तथा दलितों के उत्थान में उनके अमूल्य योगदान” के लिए से सम्मानित किया गया।