Table of Contents
जूट पैकेजिंग सामग्री अधिनियम: प्रासंगिकता
- जीएस 2: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां एवं अंतः क्षेप।
कृषि में सूचना प्रौद्योगिकी की भूमिका
जूट पैकेजिंग सामग्री अधिनियम: प्रसंग
- हाल ही में, कपड़ा मंत्रालय ने जूट वर्ष 2021-22 के लिए पैकेजिंग में जूट के अनिवार्य उपयोग के लिए रक्षण खंड मानदंडों को मंजूरी दी है।
जूट पैकेजिंग सामग्री अधिनियम: मुख्य बिंदु
- जूट वर्ष 2021-22 के लिए अनुमोदित अनिवार्य पैकेजिंग मानदंड, खाद्यान्नों के 100% रक्षण खंड एवं 20% चीनी को जूट बैग में अनिवार्य रूप से पैक करने का प्रावधान करते हैं।
- वर्तमान प्रस्ताव में रक्षण खंड मानदंड भारत में कच्चे जूट एवं जूट पैकेजिंग सामग्री के घरेलू उत्पादन के हित को आगे बढ़ाएंगे, जिससे भारत आत्मनिर्भर भारत अभियान के अनुरूप आत्मनिर्भर बन जाएगा।
- जूट पैकेजिंग सामग्री में पैकेजिंग के लिए रक्षण खंड देश में उत्पादित कच्चे जूट के लगभग 57% का उपभोग करता है।
- यह पर्यावरण की रक्षा करने में सहायता करेगा क्योंकि जूट प्राकृतिक, जैव निम्नीकरणीय, नवीकरणीय एवं पुन: प्रयोज्य तंतु (फाइबर) है एवं इसलिए सभी धारणीयता मानकों को पूरा करता है।
जूट पैकेजिंग सामग्री अधिनियम, 1987 के बारे में
- जूट पैकेजिंग सामग्री अधिनियम (जेपीएम अधिनियम) के अंतर्गत रक्षण खंड मानदंड जूट क्षेत्र में 7 लाख श्रमिकों एवं 40 लाख कृषकों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करते हैं।
- जेपीएम अधिनियम, 1987 जूट के कृषकों, श्रमिकों एवं जूट के सामान के उत्पादन में लगे व्यक्तियों के हितों की रक्षा करता है।
- जूट उद्योग के कुल उत्पादन का 75% जूट बोरा बनाने का टाट (सेकिंग) बैग है, जिसमें से 90% की आपूर्ति भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) एवं राज्य क्रेता अभिकरणों (एसपीए) को की जाती है एवं शेष को सीधे निर्यात / विक्रय किया जाता है।
- सरकार खाद्यान्न की पैकिंग के लिए प्रत्येक वर्ष लगभग 8,000 करोड़ रुपये के जूट के बोरे खरीदती है, इसलिए जूट कृषकों एवं श्रमिकों के उत्पाद हेतु गारंटीकृत बाजार सुनिश्चित करती है।
- जूट की बोरियों का औसत उत्पादन लगभग 30 लाख गांठ (9 लाख मीट्रिक टन) है एवं सरकार जूट के किसानों, श्रमिकों एवं जूट उद्योग में लगे व्यक्तियों के हितों की रक्षा के लिए बोरा बनाने का टाट के उत्पादन को पूर्ण रूप से छूट प्रदान करने हेतु प्रतिबद्ध है।