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काशी-तमिल संगमम

काशी-तमिल संगमम: यूपीएससी के लिए प्रासंगिकता

जीएस 1: भारतीय कला रूप, भारतीय वास्तुकला

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काशी-तमिल संगमम: चर्चा में क्यों है?

  • केंद्र ने माह भर चलने वाले काशी तमिल संगमम की घोषणा की है।
  • काशी-तमिल संगमम का उद्देश्य दो प्राचीन ज्ञान, संस्कृति एवं विरासत केंद्रों के मध्य संबंधों की पुनर्खोज करना है।
  • काशी-तमिल संगमम 16 नवंबर से प्रारंभ होगा।

 

काशी-तमिल संगमम: यह क्या है?

  • 16 नवंबर से 19 दिसंबर तक वाराणसी में एक माह तक चलने वाले काशी-तमिल संगमम का आयोजन किया जाएगा।
  • इस काशी-तमिल संगमम के दौरान, भारतीय संस्कृति की दो प्राचीन अभिव्यक्तियों के विभिन्न पहलुओं पर विशेषज्ञों तथा विद्वानों के मध्य अकादमिक आदान-प्रदान – सेमिनार, चर्चा इत्यादि का आयोजन किया जाएगा, जिसमें दोनों के मध्य संबंधों एवं साझा मूल्यों को सामने लाने पर ध्यान दिया जाएगा।

 

काशी-तमिल संगमम: भारतीय भाषा समिति (बीबीएस) की क्या भूमिका होगी?

  • चामू कृष्ण शास्त्री की अध्यक्षता वाली भारतीय भाषा समिति (बीबीएस) नामक भारतीय भाषाओं के प्रचार के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने तमिल संस्कृति एवं काशी के मध्य सदियों से मौजूद संबंधों  की पुनर्खोज करने, पुष्टि करने तथा उत्सव मनाने का प्रस्ताव रखा है।
  • समिति का गठन शिक्षा मंत्रालय द्वारा किया गया है।
  • इसका व्यापक उद्देश्य दो ज्ञान एवं सांस्कृतिक परंपराओं को समीप लाना, हमारी साझा विरासत की समझ  निर्मित करना एवं क्षेत्रों के मध्य लोगों से लोगों के बीच के बंधन को और गहन करना है।

 

काशी-तमिल संगमम:एक भारत, श्रेष्ठ भारतका अनुभव करने हेतु एक आदर्श मंच

  • संगमम ज्ञान एवं संस्कृति के दो ऐतिहासिक केंद्रों के माध्यम से भारत की सभ्यतागत संपत्ति में एकता को समझने के लिए एक आदर्श मंच होगा।
  • संगमम, जो शुभ कार्तिगई तमिल माह में आयोजित किया जाएगा, “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” की समग्र रूपरेखा एवं भावना के तहत आयोजित किया गया है।
  • विचार प्राचीन भारत एवं वर्तमान पीढ़ी के मध्य एक सेतु का निर्माण करना है।
  • यह लोगों एवं भाषाओं को जोड़ने में भी सहायता करेगा।

 

काशी-तमिल संगमम: कार्तिगई तमिल माह का क्या महत्व है?

  • तमिल कैलेंडर के अनुसार कार्तिगई मासम, कार्तिकाई मासम, आठवां महीना है।
  • कार्तिकाई मासम भगवान मुरुगा, भगवान शिव एवं भगवान विष्णु का प्रिय माह है।
  • तमिलनाडु में कार्तिक के महीने में अनेक प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं।
  • कार्तिकाई दीपम तथा महा भरणी महत्वपूर्ण कार्तिकई त्योहार हैं।
  • कार्तिकई दीपम कार्तिकाई महीने में पूर्णिमा या पूर्णामी को पड़ता है।
  • कार्तिगई मासम हिंदी, गुजराती, मराठी, तेलुगु एवं कन्नड़ कैलेंडर में कार्तिक माह के साथ मेल खाता है।

 

काशी-तमिल संगमम: प्रमुख विषय

  • संगमम ज्ञान के विभिन्न पहलुओं – साहित्य, प्राचीन ग्रंथों, दर्शन, आध्यात्मिकता, संगीत, नृत्य, नाटक, योग, आयुर्वेद, हस्तकरघा, हस्तशिल्प एवं आधुनिक नवाचारों, व्यापार आदान-प्रदान, एडुटेक तथा अन्य  आगामी पीढ़ी की तकनीकी (जेन-नेक्स्ट  टेक्नोलॉजी) को कवर करने वाले विषयों पर केंद्रित होगा।
  • यह भारतीय ज्ञान प्रणाली, शिक्षा एवं प्रशिक्षण पद्धतियों, कला एवं संस्कृति, भाषा, साहित्य इत्यादि के विभिन्न पहलुओं पर छात्रों, विद्वानों, शिक्षाविदों, अभ्यास करने वाले पेशेवरों इत्यादि के लिए सीखने का एक विशिष्ट अनुभव होगा।

 

काशी-तमिल संगमम: उत्तर-दक्षिण संपर्क 

  • यह प्रस्तावित है कि तमिलनाडु के विभिन्न हिस्सों से इन ज्ञान धाराओं के कलाकारों को वाराणसी एवं उसके पड़ोसी क्षेत्रों की आठ दिवसीय यात्रा के लिए आमंत्रित किया जाएगा।
  • यह प्रस्तावित है कि चेन्नई, रामेश्वरम एवं कोयंबटूर सहित तमिलनाडु के विभिन्न हिस्सों के लगभग 210 लोगों को आठ दिनों की अवधि के लिए एक समूह में लिया जाएगा।
  • ऐसे 12 समूह, जिनमें लगभग 2500 लोग शामिल हैं, एक माह में यात्रा कर सकते हैं।
  • इन समूहों की पहचान की गई है, जिनमें छात्र, शिक्षक, साहित्यकार (लेखक, कवि, प्रकाशक), सांस्कृतिक विशेषज्ञ, पेशेवर (अभ्यास कला, संगीत, नृत्य, नाटक, लोक कला, योग, आयुर्वेद), उद्यमी (लघु मध्यम उद्यम,  स्टार्टअप ) व्यवसायी, (सामुदायिक व्यवसाय समूह, होटल व्यवसायी,) कारीगर, विरासत संबंधी विशेषज्ञ (पुरातत्वविद, टूर गाइड, ब्लॉगर) इत्यादि।
  • संगमम के अंत में, तमिलनाडु के लोगों को वाराणसी का एक व्यापक अनुभव प्राप्त होगा एवं काशी के लोगों को ज्ञान-साझा करने के अनुभवों के स्वस्थ आदान-प्रदान – घटनाओं, यात्राओं एवं संवाद के माध्यम से तमिलनाडु की सांस्कृतिक समृद्धि का भी पता चलेगा।

 

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