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किसान क्रेडिट कार्ड योजना

प्रासंगिकता

  • जीएस 3: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायिकी से संबंधित मुद्दे

 

प्रसंग

  • हाल ही में, सरकार ने अधिसूचित किया है कि एक अभियान चलाकर 2 करोड़ से अधिक किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड दिए गए हैं।

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किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना के बारे में

  • किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) 1998 में किसानों को उनकी जोत के आधार पर बैंकों द्वारा एक-समान रूप से अपनाने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड जारी करने के लिए शुरू की गई एक क्रेडिट योजना है ताकि किसान उनका उपयोग बीज, उर्वरकों, कीटनाशकों इत्यादि जैसे कृषि आदानों को सरलता से खरीदने हेतु उपयोग कर सकें एवं अपनी उत्पादन आवश्यकताओं हेतु नकद आहरित कर सकें।
  • कृषि आवश्यकताओं के लिए सावधि ऋण प्रदान करने के लिए आर. वी. गुप्ता समिति की संस्तुतियों के आधार पर राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा आदर्श योजना तैयार की गई थी।
  • वित्त मंत्रालय केसीसी योजना के कार्यान्वयन की देखरेख करता है।
  • हाल ही में, सरकार ने सभी पीएम-किसान लाभार्थियों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) से परिपूर्ण करने हेतु मिशन मोड में एक अभियान प्रारंभ किया है ताकि रियायती संस्थागत ऋण तक सार्वभौमिक पहुंच को सक्षम बनाया जा सके।

 

प्रयोज्यता

  • किसान क्रेडिट कार्ड योजना वाणिज्यिक बैंकों, आरआरबी, लघु वित्त बैंकों एवं सहकारी समितियों द्वारा कार्यान्वित की जानी है।

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उद्देश्य

  • फसलों की खेती के लिए अल्पकालिक ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु;
  • फसल-उपरांत व्यय;
  • उत्पाद विपणन ऋण;
  • किसान परिवार की उपभोग संबंधी आवश्यकताएं;
  • कृषि संपत्ति एवं कृषि से संबंधित गतिविधियों के रखरखाव हेतु कार्यशील पूंजी;
  • कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों के लिए निवेश ऋण की आवश्यकता।

 

पात्रता

  • सभी किसान-वैयक्तिक/संयुक्त ऋण ग्राही जो स्वामित्व धारी किसान हैं।
  • काश्तकार किसान, मौखिक पट्टेदार एवं बटाईदार इत्यादि।
  • काश्तकार किसानों, बटाईदारों आदि सहित किसानों के एसएचजी अथवा संयुक्त देयता समूह,
  • हाल ही में, पशुपालन एवं मत्स्य पालन का व्यवसाय करने वाले किसानों को शामिल करने हेतु इस योजना का विस्तार किया गया था।

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ऋण राशि

  • एक वर्ष में एक फसल उगाने वाले किसानों के लिए, विभिन्न कारकों के आधार पर पहले वर्ष के लिए अल्पकालिक ऋण सीमा निर्धारित की जाती है।
    • प्रत्येक क्रमिक वर्ष (दूसरे, तीसरे, चौथे एवं पांचवें वर्ष) के लिए, सीमा @ 10% बढ़ा दी जाएगी।
  • सीमांत किसानों के लिए, नम्य (फ्लेक्सी) केसीसी के रूप में 10,000 रुपये से 50,000 रुपये की एक नम्य सीमा प्रदान की जाएगी।
  • पशुपालन एवं मत्स्य पालन हेतु स्थानीय लागत के आधार पर जिला स्तरीय तकनीकी समिति (डीएलटीसी) द्वारा ऋण राशि निर्धारित की जाएगी।
  • पशुपालन एवं मत्स्य पालन हेतु, ऋण एक परिक्रामी नकद ऋण सीमा की प्रकृति का होगा।

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  पुनर्अदायगी

  • फसलों के लिए प्रत्याशित कटाई एवं विपणन अवधि के अनुसार बैंकों द्वारा अल्पकालिक ऋणों की पुनर्अदायगी/ पुनर्भुगतान अवधि निर्धारित की जा सकती है।
  • सावधि ऋण घटक गतिविधि के प्रकार के आधार पर सामान्य रूप से 5 वर्षों की अवधि के भीतर पुनर्भुगतान योग्य होगा।

 

व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना

  • दुर्घटना के कारण मृत्यु: 50,000/- रुपए
  • स्थायी पूर्ण विकलांगता: 50,000/- रुपए

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