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कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता ढांचा (जीबीएफ): सीबीडी के सीओपी 15 में मील का पत्थर समझौता

Table of Contents

कुनमिंग-मॉन्ट्रियल ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क (जीबीएफ) सीओपी 15′ की यूपीएससी के लिए प्रासंगिकता

सीओपी 15 पर कुनमिंग-मॉन्ट्रियल ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क (जीबीएफ): यूपीएससी परीक्षा के उद्देश्य के लिए, जैव विविधता पर अभिसमय हेतु सीओपी 15 एवं संबंधित घटनाओं को प्रत्येक गंभीर अभ्यर्थी को अध्ययन करना चाहिए।

2020 उपरांत वैश्विक जैव विविधता ढांचा एवं संबंधित निर्णय सीओपी 15 में प्रगति के एक महत्वपूर्ण बिंदु को चिन्हित करते हैं, अतः यह यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा एवं यूपीएससी मुख्य परीक्षा 2023-24 दोनों के लिए महत्वपूर्ण है।

यह जीएस 2: महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान एवं जीएस 3: पर्यावरण संरक्षण का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

Daily UPSC Prelims Current Affairs Bits, 15th December 2022_70.1

कुनमिंग-मॉन्ट्रियल ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क (जीबीएफ) चर्चा में क्यों है?

  • संयुक्त राष्ट्र जैव विविधता सम्मेलन, सीओपी 15 मॉन्ट्रियल में 07 से 19 दिसंबर, 2022 तक आयोजित किया गया था।
  • दो सप्ताह की इस बैठक के समापन के करीब, 190+ देशों ने प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र को पुनर्स्थापित करने के लिए एक ऐतिहासिक जैव विविधता संधि को अंगीकृत किया है।

 

सीओपी 15 के बारे में जानें

  • संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में आहूत की गई, चीन की अध्यक्षता में एवं कनाडा द्वारा आयोजित, जैविक विविधता पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय के पक्षकारों के 15वें सम्मेलन ने कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता ढांचा” (ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क/जीबीएफ) को अंगीकृत किया, जिसमें 2030 तक उपलब्धि के लिए चार लक्ष्य एवं 23 उद्देश्य सम्मिलित हैं।
  • सीओपी 15 में साइट पर 188 सरकारों के प्रतिनिधि थे एवं उस ढांचे पर सहमत हुए थे जो स्थलीय एवं समुद्री जैव विविधता की जारी क्षति को रोकने की अपेक्षा करता है।

 

कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता ढांचा क्या है?

  • जैव विविधता की रक्षा के लिए इसके महत्व के संदर्भ में वैश्विक जैव विविधता ढांचे को जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के समकक्ष माना जाता है।
  • जैविक विविधता पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (कन्वेंशन ऑन बायोलॉजिकल डायवर्सिटी/सीबीडी) के पक्षकारों के 15वें सम्मेलन (कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज/सीओपी 15) ने 19 दिसंबर, 2022 को कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता ढांचा (ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क/जीबीएफ) को अंगीकृत किया है। इस ढांचे में 23 उद्देश्य हैं जिन्हें विश्व को 2030 तक प्राप्त करने की आवश्यकता है।
  • लक्ष्य महत्वाकांक्षी हैं, यह देखते हुए कि जैव विविधता खराब स्थिति में है। 2020 में, विश्व लक्ष्यों के विगत  समुच्चय, आइची लक्ष्यों को प्राप्त करने में विफल रही थी। देशों को इस बार सफलता सुनिश्चित करने की आवश्यकता होगी।
  • इस समझौते का तात्पर्य है कि संपूर्ण विश्व के लोग जैव विविधता की हानि को रोकने के लिए वास्तविक प्रगति की उम्मीद कर सकते हैं एवं हमारी भूमियों तथा समुद्रों को इस तरह से सुरक्षित एवं पुनर्स्थापित कर सकते हैं जो हमारे ग्रह की रक्षा करता है एवं स्वदेशी लोगों तथा स्थानीय समुदायों के अधिकारों का सम्मान करता है।

 

कुनमिंग-मॉन्ट्रियल ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क (जीबीएफ) के बारे में प्रमुख बातें

  • कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता ढांचा (GBF) के माध्यम से, देश 2030 तक ग्रह के 30 प्रतिशत की रक्षा करने पर सहमत हुए।
  • देशों ने प्राकृतिक विश्व के अस्तित्व के लिए चार व्यापक लक्ष्यों के तहत पारिस्थितिकी तंत्र के क्षरण को  प्रतिलोमित करने हेतु 23 उद्देश्यों को प्राप्त करने का संकल्प लिया।
  • ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क (जीबीएफ) के तहत, देश 2025 तक जैव विविधता के लिए हानिकारक सब्सिडी की पहचान करने की प्रतिज्ञा करते हुए वार्षिक 500 बिलियन डॉलर की हानिकारक सरकारी सब्सिडी को कम करने पर भी सहमत हुए।
  • इसके अन्य लक्ष्यों में कीटनाशकों के उपयोग को आधे से कम करना एवं 2025 तक विकसित देशों से विकासशील देशों में कम से कम 20 अरब डॉलर तथा  2030 तक कम से कम 30 अरब डॉलर तक वार्षिक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रवाह को बढ़ाना शामिल है।

 

वैश्विक जैव विविधता ढांचा (जीबीएफ) भारत को कैसे प्रभावित करेगा?

  • वैश्विक जैव विविधता योजना भारत को कृषि सब्सिडी पर पर्याप्त स्थान प्रदान करती है।
  • वैश्विक जैव विविधता ढांचा कृषि सब्सिडी एवं कीटनाशकों के उपयोग को जारी रखने के मामले में भारत को अत्यधिक स्थान प्रदान करता है।
  • यह भारत के लिए एक प्राथमिकता रही है, जो व्यापक स्तर पर स्वेच्छा से प्राकृतिक खेती के लिए सहायता कर रहा है।
  • साथ ही, अन्य प्रस्तावों के साथ, विश्व स्तर पर सभी लक्ष्यों एवं उद्देश्यों को बनाए रखने के लिए भारत के सुझावों को भी स्वीकार किया गया।
  • भारतीय अंतःक्षेपों का सर्वाधिक महत्वपूर्ण योगदान यह था कि सभी लक्ष्यों को प्रकृति में वैश्विक रखा गया है एवं देश अपनी परिस्थितियों, प्राथमिकताओं तथा क्षमताओं के अनुसार उन्हें अपनाने के लिए स्वतंत्र होंगे।

 

जैव विविधता पर अभिसमय (कन्वेंशन ऑन बायोडायवर्सिटी/CBD) के बारे में जानें

  • 1992 में रियो डी जेनेरियो में पृथ्वी शिखर सम्मेलन में हस्ताक्षर के लिए खोला गया एवं दिसंबर 1993 में प्रवर्तन में आया, जैव विविधता पर अभिसमय जैव विविधता के संरक्षण, जैव विविधता के घटकों के स्थायी उपयोग एवं आनुवंशिक संसाधनों के उपयोग से व्युत्पन्न लाभों के न्यायसंगत वितरण हेतु एक अंतरराष्ट्रीय संधि है।
  • 196 पक्षकारों के साथ, जैव विविधता पर अभिसमय की देशों के मध्य लगभग सार्वभौमिक भागीदारी है। यह अभिसमय जैव विविधता एवं पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं के लिए सभी खतरों को संबोधित करना चाहता है, जिसमें सम्मिलित हैं:
    • जलवायु परिवर्तन से खतरे, वैज्ञानिक आकलन के माध्यम से,
    • उपकरण, प्रोत्साहन एवं प्रक्रियाओं का विकास,
    • प्रौद्योगिकियों तथा सर्वोत्तम पद्धतियों का हस्तांतरण एवं
    • स्वदेशी लोगों एवं स्थानीय समुदायों, युवाओं, महिलाओं, गैर सरकारी संगठनों, उप-राष्ट्रीय कारकों तथा व्यापारिक समुदाय सहित प्रासंगिक हितधारकों की पूर्ण एवं सक्रिय भागीदारी।
  •  जैव सुरक्षा (बायोसेफ्टी) पर कार्टाजेना प्रोटोकॉल तथा पहुंच एवं लाभ साझाकरण (एक्सेस एंड बेनिफिट-शेयरिंग) पर नागोया प्रोटोकॉल सीबीडी के पूरक समझौते हैं।
  • कार्टाजेना प्रोटोकॉल: कार्टाजेना प्रोटोकॉल, जो 11 सितंबर 2003 को प्रवर्तन में आया, आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी से उत्पन्न संशोधित जीवों द्वारा उत्पन्न संभावित जोखिमों से जैव विविधता की रक्षा करना चाहता है। वर्तमान समय तक, 173 पक्षकारों ने कार्टाजेना प्रोटोकॉल का अनुसमर्थन किया है।
  • नागोया प्रोटोकॉल: नागोया प्रोटोकॉल का उद्देश्य अनुवांशिक संसाधनों के उचित उपयोग एवं प्रासंगिक प्रौद्योगिकियों के उचित हस्तांतरण सहित उचित एवं न्यायसंगत तरीके से अनुवांशिक संसाधनों के उपयोग से उत्पन्न होने वाले लाभों को साझा करना है। 12 अक्टूबर 2014 को प्रवर्तन में आने के पश्चात, इसे 135   पक्षकारों द्वारा अनुसमर्थित किया गया है।

 

सीओपी 15 में ऐतिहासिक जैव विविधता संधि के संदर्भ में प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न

प्र. सीबीडी क्या है?

  • सीबीडी विधिक रूप से बाध्यकारी  एक अंतरराष्ट्रीय संधि है, जो संपूर्ण विश्व की सरकारों को जैव विविधता की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध करती है।
  • यह पृथ्वी पर जीवन के समस्त रूपों – पारिस्थितिक तंत्र, पशुओं, पौधों, कवक तथा सूक्ष्म जीवों को शामिल करता है एवं सतत विकास को प्राप्त करने- अर्थात, जैव विविधता को खतरे में डाले बिना मानव प्रगति पर ध्यान केंद्रित करता है ।
  • सीबीडी पर 1992 में रियो डी जनेरियो में हस्ताक्षर किए गए थे एवं 29 दिसंबर 1993 को यह प्रवर्तन में आया था।

प्र. आइची लक्ष्य कौन से हैं?

  • आइची जैव विविधता लक्ष्य वैश्विक जैव विविधता की रक्षा एवं संरक्षण के उद्देश्य से वैश्विक लक्ष्यों का एक महत्वाकांक्षी समुच्चय है
  • वे ‘जैव विविधता के लिए रणनीतिक योजना 2011-2020’ के तहत अपनाई गई बीस कार्रवाइयाँ हैं।

प्र. कुनमिंग-मॉन्ट्रियल वैश्विक जैव विविधता ढांचा (ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क/GBF) क्या है?

  • जैविक विविधता पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (कन्वेंशन ओं बायोलॉजिकल डायवर्सिटी/CBD) के पक्षकारों के 15वें सम्मेलन (कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज/COP15) ने 19 दिसंबर, 2022 को कुनमिंग-मॉन्ट्रियल  वैश्विक जैव विविधता ढांचा (ग्लोबल बायोडायवर्सिटी फ्रेमवर्क/GBF) को अंगीकृत किया।
  • इस ढांचे में 4 उद्देश्य एवं 23 लक्ष्य सम्मिलित हैं जिन्हें विश्व को 2030 तक प्राप्त करने की आवश्यकता है।

 

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