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ललित कला अकादमी- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 1: भारतीय इतिहास- भारतीय संस्कृति प्राचीन से आधुनिक समय तक कला रूपों, साहित्य एवं वास्तुकला के प्रमुख पहलुओं को सम्मिलित करेगी।
समाचारों में ललित कला अकादमी
- हाल ही में केंद्रीय संस्कृति मंत्री ने ललित कला अकादमी (एलकेए) गैलरी में 62वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।
ललित कला अकादमी
- पृष्ठभूमि: ललित कला अकादमी का उद्घाटन 5 अगस्त, 1954 को तत्कालीन शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद द्वारा नई दिल्ली में किया गया था।
- ललित कला अकादमी के बारे में: ललित कला अकादमी की स्थापना स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय पहचान के स्वप्न के अनुसरण में की गई थी।
- ललित कला अकादमी का मुख्यालय नई दिल्ली में है।
- वैधानिक मान्यता: ललित कला अकादमी को 1957 में सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860 के अंतर्गत वैधानिक मान्यता प्रदान की गई थी।
- प्रमुख भूमिका: ललित कला अकादमी का उद्देश्य भारतीय कलाकारों के रचनात्मक प्रयासों को प्रोत्साहित करना एवं उनकी कला को बड़ी संख्या में लोगों तक पहुँचाना है।
- इसके माध्यम से ललित कला अकादमी दृश्य कला के दायरे में आने वाली पूरी संस्कृति की संवेदनशीलता को परिभाषित तथा पुनर्परिभाषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- राष्ट्रीय ललित कला अकादमी पुरस्कार: ये पुरस्कार कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए व्यक्तियों को मान्यता प्रदान करने हेतु दिए जाते हैं।
- राष्ट्रीय ललित कला अकादमी पुरस्कार विजेताओं का चयन न्यायाधीशों के एक सम्मानित पैनल द्वारा किया जाता है तथा राष्ट्रीय ललित कला अकादमी द्वारा नामित किया जाता है।
ललित कला अकादमी के उद्देश्य
- चित्रकला, मूर्तिकला एवं ग्राफिक्स, इत्यादि जैसे रचनात्मक कलाओं के क्षेत्र में अध्ययन तथा अनुसंधान को प्रोत्साहित करना एवं बढ़ावा देना;
- क्षेत्रीय कला संगठनों एवं राज्य ललित कला अकादमियों की गतिविधियों को प्रोत्साहित तथा समन्वित करना;
- कलाकारों तथा कला संघों के मध्य सहयोग एवं ऐसे संघों के विकास को बढ़ावा देना;
- जहाँ आवश्यक हो, क्षेत्रीय कला केन्द्रों की स्थापना को प्रोत्साहित करना;
- विद्वानों एवं शिक्षाविदों तथा राज्य अकादमियों, क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों एवं कला संगठनों को सम्मिलित करते हुए अखिल भारतीय आधार पर सम्मेलनों, संगोष्ठियों, प्रदर्शनियों इत्यादि का आयोजन करके कला के विभिन्न विधाओं के मध्य विचारों के आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना।
- मोनोग्राफ, जर्नल इत्यादि सहित कला पर साहित्य के प्रकाशन तथा प्रकाशन को प्रोत्साहन देना;
- एक पुस्तकालय की स्थापना एवं रखरखाव, विभिन्न संगठनों की आवश्यकताओं को पूर्ण करने एवं विश्व कला को सम्मिलित करने हेतु;
- कला संघों एवं संगठनों के समुचित विकास तथा कार्यप्रणाली को प्रोत्साहित करने हेतु राज्य अकादमियों एवं सरकार के परामर्श से कलाकारों की सहायता हेतु कला संघों एवं अन्य कला संगठनों को मान्यता प्रदान करना;
- कला प्रदर्शनी, व्यक्तिगत एवं कलात्मक वस्तुओं के आदान-प्रदान इत्यादि के माध्यम से देश के भीतर एवं अन्य देशों के साथ सांस्कृतिक संपर्क को बढ़ावा देना।
- योग्य कलाकारों को छात्रवृत्ति एवं पुरस्कार प्रदान करना;
- उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए कलाकारों को मान्यता प्रदान करना;
- लोक, आदिवासी एवं पारंपरिक कला तथा शिल्प तकनीकों के अध्ययन, अनुसंधान एवं सर्वेक्षण को प्रोत्साहित करना, उनके कला रूपों को संरक्षित एवं प्रस्तावित करना तथा क्षेत्रीय सर्वेक्षण आयोजित करना और जीवित स्वदेशी शिल्पकारों, चित्रकारों तथा मूर्तिकारों को प्रोत्साहित करना;
- अपने उद्देश्यों एवं कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए, भूमि का क्रय करना, सभी प्रकार की संपत्ति का स्वामित्व धारण करना एवं अनुरक्षित रखना, गिरवी रखना या अन्यथा निपटाना एवं उसका निपटान करना;
- कलाकार सहायता निधि (आर्टिस्ट एड फंड) एवं सामाजिक सुरक्षा में उपलब्ध धन से ललित कला आर्टिस्ट वेलफेयर ट्रस्ट बनाना एवं स्थापित करना तथा इन मदों के तहत भविष्य के सभी फंड ट्रस्ट को क्रेडिट करना; एवं
- ऐसे अन्य सभी कार्य या तो स्वयं या व्यक्तियों के अन्य संगठनों के साथ मिलकर करना, जैसा कि अकादेमी उपरोक्त उद्देश्यों की पूर्ति के लिए आवश्यक, आकस्मिक या अनुकूल समझे।