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विदेश व्यापार नीति 2015-20 में नवीनतम संशोधन चर्चा में क्यों है?
- भारत सरकार ने मौजूदा विदेश व्यापार नीति 2015-20 एवं प्रक्रियाओं की पुस्तिका में उपयुक्त संशोधन किए हैं ताकि भारतीय रुपये में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार निपटान (इंटरनेशनल ट्रेड सेटेलमेंट/आईएनआर) अर्थात चालान, भुगतान एवं निर्यात/आयात का निपटान भारतीय रुपये में किया जा सके।
विदेश व्यापार नीति में नवीनतम संशोधन की पृष्ठभूमि
जुलाई 2022 में, भारतीय रिज़र्व बैंक (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया/RBI) तथा विदेश व्यापार महानिदेशालय (डायरेक्टरेट जनरल आफ फॉरेन ट्रेड/DGFT) ने मौजूदा विदेश व्यापार नीति 2015-20 तथा व्यापार निपटान प्रक्रियाओं में संशोधन किया था ताकि चालान, भुगतान एवं निर्यात, आयात बकायों का निपटान के लिए रुपये के उपयोग को सक्षम किया जा सके।
विदेश व्यापार नीति क्या करती है?
यह नीति प्रशुल्क-मुक्त आयात प्राधिकरण (ड्यूटी फ्री इंपोर्ट ऑथराइजेशन/डी.सी.आई.ए.) एवं निर्यात संवर्धन पूंजीगत वस्तुएं (एक्सपोर्ट प्रोमोशन कैपिटल गुड्स/ईपीसीजी) जैसी विभिन्न योजनाओं के तहत आर्थिक विकास को बढ़ावा देने तथा रोजगार एवं प्रोत्साहन देने के लिए निर्यात बढ़ाने के लिए दिशा निर्देश प्रदान करती है।
हमारी कौन सी विदेश व्यापार नीति है?
- वर्तमान में हमारे पास विदेश व्यापार नीति (2015-20) है, जिसे समय-समय पर विस्तार प्रदान किया गया है।
- मुद्रा में उतार-चढ़ाव एवं वैश्विक अनिश्चितता के कारण सरकार मौजूदा विदेश व्यापार नीति को 2020 से छह माह के लिए विस्तार कर रही है। साथ ही, भू-राजनीतिक स्थिति दीर्घकालिक विदेश व्यापार नीति के लिए उपयुक्त नहीं है।
मौजूदा विदेश व्यापार नीति 2015-20 में नया संशोधन क्यों?
- विदेश व्यापार नीति 2015-20 में अब निर्यात लाभ एवं प्रोत्साहन देने के साथ-साथ आयातकों के लिए निर्यात दायित्व मानदंडों को पूरा करने के लिए भारतीय रुपये में किए गए निर्यात प्रतिफलन के लिए नए बदलाव प्रस्तुत किए गए हैं।
- अधिसूचना के क्रम में, विदेश व्यापार नीति के पैरा 2.53 के तहत बदलाव प्रस्तुत किए गए हैं, भारतीय रुपये में निर्यात प्राप्तियों के लिए विदेश व्यापार नीति के तहत निर्यात लाभ/निर्यात दायित्व की पूर्ति के लिए आरबीआई के 11 जुलाई 2022 के दिशानिर्देशों के अनुसार परिवर्तन किए गए हैं।
- भारतीय रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण में रुचि में वृद्धि को देखते हुए, भारतीय रुपये में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार लेनदेन को सुविधाजनक बनाने तथा सुगम बनाने के लिए नीतिगत संशोधन किए गए हैं।
- विभिन्न निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं के तहत रुपये में व्यापार निपटान की अनुमति देने से निर्यात को बढ़ावा देने तथा ‘घरेलू मुद्रा के अंतर्राष्ट्रीयकरण’ का संकेत प्राप्त होता है।
- ये भारतीय रुपये की 100% परिवर्तनीयता की दिशा में शुरुआती कदम हैं।
एफ़टीपी 2015-20 में नवीनतम संशोधन: प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न
प्र. वर्तमान में भारत की कौन सी विदेश व्यापार नीति है?
उत्तर. वर्तमान में, भारत की विदेश व्यापार नीति (2015-20) है।
प्र. सरकार ने मौजूदा विदेश व्यापार नीति 2015-20 एवं प्रक्रिया पुस्तिका में नवीनतम संशोधन क्यों किए?
उत्तर. भारतीय रुपये (INR) में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार निपटान की अनुमति देने के लिए।
प्र. भारतीय रुपये (INR) में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार निपटान की अनुमति देने के क्या लाभ हैं?
उत्तर. विभिन्न निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं के तहत रुपये में व्यापार निपटान की अनुमति देने से निर्यात को बढ़ावा देने एवं ‘घरेलू मुद्रा के अंतर्राष्ट्रीयकरण’ का संकेत प्राप्त होता है।