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लीगल एंटिटी आइडेंटिफायर/विधिक इकाई अभिज्ञापक

लीगल एंटिटी आइडेंटिफायर: प्रासंगिकता

  • जीएस 3: भारतीय अर्थव्यवस्था एवं आयोजना, संसाधनों का अभिनियोजन, वृद्धि, विकास एवं रोजगार से संबंधित मुद्दे।

 

लीगल एंटिटी आइडेंटिफायर: प्रसंग

  • आरबीआई ने हाल ही में कहा है कि अगले साल अक्टूबर से कंपनियों को विधिक इकाई अभिज्ञापक (एलईआई) नंबर उद्धृत करना होगा ताकि 50 करोड़ रुपये या उससे अधिक का सीमा पारीय वित्तीय संव्यवहार (लेनदेन) किया जा सके।

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लीगल एंटिटी आइडेंटिफायर क्या है?

  • विधिक इकाई अभिज्ञापक (एलईआई) एक 20-वर्ण का अक्षरांकीय कूट (अल्फा-न्यूमेरिक कोड) है जिसका उपयोग दुनिया भर में वित्तीय लेनदेन के लिए पार्टियों की विशिष्ट रूप से पहचान स्थापित करने हेतु किया जाता है।
  • विधिक इकाई अभिज्ञापक (एलईआई) एक संदर्भ कूट है – एक बारकोड की भांति – वित्तीय लेनदेन में संलग्न  विधिक रूप से पृथक इकाई की विशिष्ट रूप से पहचान करने के लिए बाजारों एवं क्षेत्राधिकारों में उपयोग किया जाता है।
  • एलईआई को वित्तीय डेटा के लिए एक धुरे की कील (लिंचपीन) के रूप में डिजाइन किया गया है – प्रथम वैश्विक एवं अद्वितीय इकाई पहचानकर्ता जो जोखिम प्रबंधकों एवं नियामकों को वित्तीय लेनदेन के लिए पार्टियों की त्वरित एवं परिशुद्ध पहचान स्थापित करने में सक्षम बनाता है।

 

लीगल एंटिटी आइडेंटिफायर की आवश्यकता क्यों है?

  • सितंबर 2008 में जब लेहमन ब्रदर्स का पतन हुआ, तो नियामक एवं निजी क्षेत्र की व्यापारिक कंपनियां लेहमन हेतु बाजार सहभागियों के जोखिम एवं लेहमन बाजार सहभागियों के विशाल नेटवर्क से कैसे जुड़े थे, इसका त्वरित एवं पूर्ण रूप से आकलन करने में असमर्थ थे।
  • वित्तीय संकट ने वित्तीय संबंधों के अभिनिर्धारण (पहचान स्थापित) करने हेतु एक वैश्विक तंत्र की आवश्यकता को रेखांकित किया, ताकि नियामक एवं निजी क्षेत्र की व्यापारिक कंपनियां वित्तीय प्रणाली में जोखिम अनावृत्ति की वास्तविक प्रकृति को बेहतर ढंग से समझ सकें।
  • वैश्विक एलईआई प्रणाली/तंत्र की स्थापना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है जो इन कमजोरियों को प्रत्युत्तर प्रदान करती है एवं सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्रों के लिए सार्थक, दीर्घकालिक लाभ उपलब्ध कराती है।

 

लीगल एंटिटी आइडेंटिफायर:  उद्देश्य

  • बेहतर जोखिम प्रबंधन के लिए वित्तीय डेटा रिपोर्टिंग सिस्टम की गुणवत्ता एवं परिशुद्धता में सुधार करना।
  • एक वैश्विक संदर्भ डेटा प्रणाली निर्मित करने हेतु जो किसी भी क्षेत्राधिकार में प्रत्येक विधिक इकाई की विशिष्ट रूप से पहचान करता है, जो एक वित्तीय लेनदेन का पक्ष है।

 

लीगल एंटिटी आइडेंटिफायर कहां से प्राप्त किया जा सकता है?

  • ग्लोबल लीगल एंटिटी आइडेंटिफ़ायर फ़ाउंडेशन (जीएलईआईएफ) द्वारा मान्यता प्राप्त कोई भी स्थानीय संचालन इकाई /ऑपरेटिंग यूनिट (एलओयू), जिसे एलईआई के क्रियान्वयन एवं उपयोग का समर्थन करने का कार्य सौंपा गया है।
  • भारत में, एलईआई को लीगल एंटिटी आइडेंटिफायर इंडिया लिमिटेड (एलईआईएल) से प्राप्त किया जा सकता है, जिसे रिजर्व बैंक द्वारा एलईआई के जारीकर्ता के रूप में भी मान्यता प्राप्त है।

 

किस लेनदेन में लीगल एंटिटी आइडेंटिफायर सूचना शामिल होनी चाहिए?

  • संस्थाओं (गैर-व्यक्तियों) द्वारा किए गए 50 करोड़ रुपए एवं उससे अधिक के सभी एकल भुगतान लेनदेन में प्रेषक एवं लाभार्थी एलईआई सूचनाएं सम्मिलित होनी चाहिए।
  • यह एनईएफटी एवं आरटीजीएस भुगतान प्रणालियों के माध्यम से किए गए लेनदेन पर लागू होता है।
  • आरटीजीएस के मामले में, ग्राहक भुगतान एवं अंतर-बैंक लेनदेन दोनों में, उपरोक्त मानदंड को पूरा करने में एलईआई सूचनाएं सम्मिलित होनी चाहिए।

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क्या केंद्र सरकार या राज्य सरकारों और/या उनके विभागों के लिए लीगल एंटिटी आइडेंटिफायर आवश्यक है?

  • सरकारों या उनके विभागों/मंत्रालयों के लिए एनईएफटी एवं आरटीजीएस में भुगतान संव्यवहार (लेन देन) हेतु एलईआई प्राप्त करना या एलईआई नंबर का उल्लेख करना अनिवार्य नहीं है।
  • यद्यपि, निगमों / उपक्रमों सहित सरकार के पूर्ण स्वामित्व वाली इकाइयों, को एलईआई प्राप्त करने की आवश्यकता होगी।

 

क्या व्यक्तिगत ग्राहक लेनदेन के लिए लीगल एंटिटी आइडेंटिफायर आवश्यक है?

  • नहीं, ग्राहक लेनदेन के लिए एलईआई की आवश्यकता नहीं है जहां प्रेषक एवं लाभार्थी दोनों एकल व्यक्ति हैं।

 

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