भारतीय संविधान, बदलते समय के अनुसार संविधान के प्रासंगिक बने रहने हेतु संविधान में संशोधन के लिए गुंजाइश छोड़ता है। यही कारण है कि कभी-कभी भारतीय संविधान को ‘जीवंत दस्तावेज’ भी कहा जाता है।
संविधान के भाग XX में अनुच्छेद 268: यह संविधान एवं इसकी प्रक्रिया में संशोधन करने के लिए भारतीय संसद की शक्तियों से संबंधित है।
इसमें कहा गया है कि संसद इस उद्देश्य हेतु निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार किसी भी प्रावधान को जोड़ने, परिवर्तन करने अथवा निरसन के माध्यम से संविधान में संशोधन कर सकती है।
क्रम संख्या | संविधान संशोधन अधिनियम | प्रमुख प्रावधान |
36वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1975 | सिक्किम को भारत के एक पूर्ण राज्य का दर्जा प्रदान किया गया था | |
38वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1975 | इसने किसी भी न्यायालय में राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा को गैर-वादयोग्य बना दिया। इसने किसी भी न्यायालय में राष्ट्रपति, राज्यपालों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासकों द्वारा अध्यादेशों की घोषणा को गैर-वादयोग्य बना दिया। इसने राष्ट्रपति को विभिन्न आधारों पर राष्ट्रीय आपातकाल की विभिन्न उद्घोषणाओं को एक साथ घोषित करने की शक्ति प्रदान की। | |
39वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1975 | न्यायपालिका की शक्ति पर अंकुश लगाया: इसने राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री एवं लोकसभा अध्यक्ष से संबंधित विवादों को न्यायपालिका के दायरे से बाहर रखा। उनका न्याय निर्णय ऐसे प्राधिकरण द्वारा किया जाना था जिसे संसद द्वारा इस हेतु निर्धारित किया जाए। कुछ केन्द्रीय अधिनियमों को 09 वीं अनुसूची में समाविष्ट किया गया | |
40वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 | इसने संसद को समय-समय पर निर्दिष्ट करने का अधिकार दिया- प्रादेशिक जल सीमा, महाद्वीपीय जल सीमा (शेल्फ), अनन्य आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) एवं भारत के समुद्री क्षेत्र। | |
42वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 | इसे हमने विस्तार से कवर किया गया है। 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 को अनेक व्यक्तियों द्वारा लघु संविधान की संज्ञा भी दी जाती है। | |
43वांसंविधान संशोधन अधिनियम, 1977 | इसने न्यायिक समीक्षा एवं रिट जारी करने के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र को पुनर्स्थापित किया। इसने संसद को राष्ट्र विरोधी गतिविधियों से निपटने के लिए कानून बनाने की उसकी विशेष शक्तियों से भी वंचित कर दिया। | |
44वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1978 | यह भारतीय संविधान का एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण संवैधानिक संशोधन भी है। हम 44वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1978 के संबंध में विस्तार से चर्चा करेंगे। | |
50वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1984 | इसने संसद को निम्नलिखित संगठनों में कार्यरत व्यक्तियों के मौलिक अधिकारों को प्रतिबंधित करने का अधिकार प्रदान किया- आसूचना (खुफिया) संगठन एवं सशस्त्र बलों अथवा आसूचना संगठनों के लिए स्थापित दूरसंचार प्रणाली। | |
52वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1985 | दल-बदल विरोधी प्रावधान प्रस्तुत किए: यह दल बदल के आधार पर संसद एवं राज्य विधानसभाओं के सदस्यों की निरर्हता (अयोग्यता) के लिए प्रावधान करता है एवं दसवीं अनुसूची: इसने दल बदल विरोधी कानून के बारे में विवरण वाली एक नई दसवीं अनुसूची भी समाविष्ट की। | |
58वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1987 | इसने हिंदी भाषा में संविधान के एक आधिकारिक पाठ का प्रावधान किया। इसने संविधान के हिंदी संस्करण को भी समान विधिक वैधता प्रदान की है। |
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