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लिविंग लैंड्स चार्टर

लिविंग लैंड्स चार्टर यूपीएससी: प्रासंगिकता

  • जीएस 2: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह  तथा भारत से जुड़े  एवं/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते।

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लिविंग लैंड्स चार्टर: संदर्भ

  • हाल ही में, राष्ट्रमंडल के सभी 54 सदस्यों ने अपने-अपने देशों में भावी पीढ़ियों को स्वेच्छा से एक ‘जीवंत भूमि’ समर्पित करने पर सहमति व्यक्त की है।

 

लिविंग लैंड्स चार्टर: मुख्य बिंदु

  • चार्टर पारिस्थितिकी तंत्र की पुनर्स्थापना पर संयुक्त राष्ट्र दशक के लिए निर्धारित रणनीति के अनुरूप है।
  • चार्टर को किगाली, केन्या में 2022 राष्ट्रमंडल शासनाध्यक्षों की बैठक (CHOGM) में अपनाया गया था।
  • सदस्य राष्ट्रों ने भूमि एवं महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं की रक्षा में स्थानिक लोगों तथा स्थानीय समुदायों द्वारा प्रदान की गई “महत्वपूर्ण संरक्षकता” पर बल दिया है।
  • उन्होंने राष्ट्रीय कानून एवं अंतरराष्ट्रीय दस्तावेजों के अनुसार इन समुदायों के भूमि एवं संसाधन अधिकारों को भी मान्यता प्रदान की है।
  • सदस्य देशों ने विकसित देशों से 100 अरब डॉलर के लक्ष्य को तत्काल  तथा 2025 तक पूर्ण रूप से पूरा करने का आह्वान किया एवं अपनी प्रतिज्ञाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता के महत्व पर बल दिया।

 

लिविंग लैंड्स चार्टर क्या है

  • ‘लिविंग लैंड्स चार्टर’ एक गैर-बाध्यकारी दस्तावेज है जो सदस्य देशों को वैश्विक भूमि संसाधनों की रक्षा करने एवं जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता हानि तथा धारणीय प्रबंधन की दिशा में कार्य करते हुए भूमि क्षरण को रोकने हेतु अधिदेशित करता है।
  • लिविंग लैंड्स चार्टर वैश्विक औसत तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बनाए रखने में सहायता करता है।
  • यह दस्तावेज़ सदस्य देशों के साथ लगभग दो वर्षों के परामर्श, आस्थिति (जुड़ाव) एवं वार्ता के पश्चात आया है।
  • चार्टर का उद्देश्य सदस्य देशों को तीन रियो अभिसमयों – जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय, मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (यूएनसीसीडी) एवं जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को प्रभावी ढंग से पूरा करने के लिए समर्थन देना है।

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लिविंग लैंड्स चार्टर: क्यों आवश्यक है?

  • विगत दो दशकों में एक तिहाई से अधिक भूमि का क्षरण हुआ है।
  • भू-क्षरण, जैव विविधता हानि तथा जलवायु परिवर्तन के प्रति पारिस्थितिक तंत्र की अतिसंवेदनशीलता आपस में घनिष्ठ रूप से अंतर्संबंधित हैं एवं इस पर सामूहिक रूप से विचार करने की आवश्यकता है।

 

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