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जैव विविधता की क्षति: एक विस्तृत विश्लेषण

जैव विविधता की क्षति

जैव विविधता की क्षति को समझने से पूर्व, आइए पहले जान लेते हैं

जैव विविधता क्या है?

  • जैव विविधता या जैविक विविधता पृथ्वी पर जीवित प्रजातियों की विविधता को संदर्भित करती है, जिसमें पौधे, पशु, जीवाणु तथा कवक सम्मिलित हैं।
  • जैविक विविधता शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम आर्थर हैरिस (1916) ने किया था, जो एक अमेरिकी वनस्पतिशास्त्री थे।
  • “जैव विविधता” शब्द पहली बार 1985 में वाल्टर जी. रोसेन द्वारा गढ़ा गया था।
  • आम तौर पर, जैव विविधता को तीन मूलभूत श्रेणियों, अर्थात आनुवंशिक विविधता, प्रजातीय विविधता एवं पारिस्थितिकी तंत्र विविधता में विभाजित किया जाता है।

 

जैव विविधता की क्षति क्या है?

  • जैव विविधता की क्षति जैविक विविधता के ह्रास को प्रदर्शित करता है।
  • 2019 में, संयुक्त राष्ट्र ने जैव विविधता चेतावनी पर एक महत्वाकांक्षी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी कि कुल आठ मिलियन में से एक मिलियन प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा है।
  • कुछ शोधकर्ता यह भी मानते हैं कि हम पृथ्वी के इतिहास में छठे सामूहिक विलुप्ति होने की घटना के मध्य में हैं।
  • पूर्व में ज्ञात सामूहिक विलुप्ति से सभी प्रजातियों के 60% एवं 95% के मध्य का विलोपन हो गया था। पारिस्थितिक तंत्र को इस तरह की घटना से उबरने में लाखों वर्ष वर्ष लगते हैं।

 

जैव विविधता की क्षति के कारण

  • जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन विभिन्न स्तरों: प्रजातियों का वितरण, जनसंख्या की गतिशीलता, सामुदायिक संरचना एवं पारिस्थितिकी तंत्र की कार्यप्रणाली पर जैव विविधता को प्रभावित करता है। ऐसे संकेत हैं कि बढ़ता हुआ तापमान जैव विविधता को प्रभावित कर रहा है, जबकि वर्षा के प्रतिरूप में  परिवर्तन, चरम मौसम की घटनाएं तथा महासागरों का अम्लीकरण उन प्रजातियों पर दबाव डाल रहे हैं जो  पूर्व से ही अन्य मानवीय गतिविधियों से खतरे में हैं।
  • प्रदूषण: वायु, जल, भूमि एवं प्रकाश जैसे सभी प्रकार के प्रदूषणों से जैव विविधता प्रभावित हो रही है। खतरनाक अपशिष्ट एवं रसायनों सहित प्रदूषण को व्यापक रूप से जैव विविधता की क्षति के मुख्य चालकों में से एक के रूप में स्वीकार किया जाता है।
  • पर्यावास का विनाश: पर्यावास विनाश एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक प्राकृतिक पर्यावास अपनी मूल प्रजातियों का समर्थन करने में असमर्थ हो जाता है। जो जीव पूर्व में इस स्थल पर निवास करते थे वे विस्थापित अथवा मृत हो जाते हैं, जिससे जैव विविधता एवं प्रजातियों की बहुतायत कम हो जाती है।
  • आक्रामक विदेशी प्रजातियां: संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम/यूएनडीपी) के अनुसार, आक्रामक विदेशी प्रजातियां दुनिया में जैव विविधता की क्षति का दूसरा  सर्वाधिक वृहद कारण हैं।
    • वे शिकारियों के रूप में कार्य करते हैं, भोजन हेतु प्रतिस्पर्धा करते हैं, देशी प्रजातियों के साथ संकरण करते हैं, परजीवी एवं रोगों का प्रवेश कराते हैं, आक्रामक विदेशी प्रजातियां ऐसी प्रजातियां हैं जिन्हें या तो स्वाभाविक रूप से, संयोगवश अथवा जानबूझकर, ऐसे वातावरण में प्रवेश कराया गया है जो उनका अपना नहीं है।
  • प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन: अत्यधिक दोहन से संसाधनों का ह्रास हो सकता है एवं अनेक संकटग्रस्त तथा लुप्तप्राय प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा हो सकता है।

 

जैव विविधता की क्षति के प्रभाव

  • प्रजातियों की विलुप्ति: जैव विविधता की क्षति हजारों प्रजातियों को विलुप्त होने के खतरे में डालता है।
  • पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य पर प्रभाव: पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए जैव विविधता महत्वपूर्ण है। जैव विविधता में क्षरण एक पारिस्थितिकी तंत्र की उत्पादकता को कम करती है तथा पारिस्थितिकी तंत्र की सेवाओं की गुणवत्ता को कम करती है।
  • कीटों का प्रसार: जैव विविधता की क्षतिपूर्ति से भी नुकसान पहुंचाने वाले कीटों का उदय हो सकता है।
  • CO2 उत्सर्जन में वृद्धि: वन एवं महासागर कार्बन पृथक्कारक (सीक्वेस्टर) की भूमिका निभाते हैं। इन प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्रों की अनुपस्थिति में, कार्बन डाइऑक्साइड एक नवीन स्तर तक बढ़ सकता है।
  • रोगों का प्रसार: जैव विविधता की क्षति से रोगों के प्रसार में वृद्धि होने की संभावना है। उदाहरण के लिए, यदि कोई सिंह किसी मृग को मारता है, तो वह उसका कुछ भाग खा जाएगा। शेष भाग अन्य जानवरों द्वारा खाया जाएगा। यद्यपि, यदि ये अन्य पशु विलुप्त हो जाते हैं तथा बाकी मृगों का उपभोग करने में सक्षम नहीं होते हैं, तो यह व्यर्थ हो सकता है  एवं इस व्यर्थ होने की प्रक्रिया में अनेक प्रकार के रोग विकसित हो सकते हैं।
  • आर्थिक प्रभाव: यदि जैव विविधता की क्षति से पशु आहार (फीड) के बायोमास में कमी आती है, तो किसान अब पशु आहार की कमी के कारण पर्याप्त मवेशियों का पालन नहीं कर पाएंगे, जिससे स्थानीय लोगों की आजीविका का नुकसान होगा। इसी तरह, यदि हमने मधुमक्खियों को खो दिया, तो हमें फसल की पैदावार में गंभीर गिरावट का सामना करना पड़ेगा, जिससे सकल घरेलू उत्पाद  में गिरावट आ जाएगी एवं अकाल की घटनाओं में भी वृद्धि होगी।

जैव विविधता की क्षति के समाधान

  • सरकार के प्रतिबंध एवं नीतियां
  • शिक्षा
  • प्रजातियों की सुरक्षा
  • पर्यावासों की सुरक्षा
  • वनोन्मूलन को रोकना
  • अत्यधिक शिकार  तथा अति- मत्स्यन को रोकना
  • प्रजातियों के आक्रमण को रोकना
  • प्रदूषण को रोकना
  • संसाधनों के अत्यधिक दोहन को रोकना
  • ऊर्जा की बचत करना
  • अति उपभोग को रोकना

 

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