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मुख्य बिंदु
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (महात्मा गांधी नरेगा) ग्रामीण विकास मंत्रालय का एक मांग आधारित मजदूरी रोजगार कार्यक्रम है।
- इसीलिए, कोई राज्य/संघ राज्य क्षेत्र-वार वित्तीय आवंटन नहीं किया जाता है।
- राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा), जिसे राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (एनआरईजीएस) के रूप में भी जाना जाता है, 25 अगस्त 2005 को अधिनियमित किया गया था।
- 2008 में नरेगा का नाम परिवर्तित कर मनरेगा (महात्मा गांधी नरेगा) कर दिया गया।
- केंद्र सरकार अकुशल श्रमिकों के मामले में लागत का 100% वहन करती है।
- जबकि यह अर्ध-कुशल एवं कुशल श्रमिकों के मामले में लागत का 75% वहन करती है।
- कुल लाभार्थियों में से एक तिहाई महिलाएं होनी चाहिए।
- अधिकतम 6 माह के अंदर एक अनिवार्य सामाजिक अंकेक्षण होना चाहिए।
- कुल अनुमेय कार्य 261 हैं एवं इनमें से 161 कृषि से संबंधित हैं।
- रोजगार 5 किमी के दायरे में उपलब्ध कराया जाएगा।
- तथापि, यदि यह 5 किमी से अधिक है तो अतिरिक्त मजदूरी का भुगतान किया जाएगा।
- मनरेगा किसी भी ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों को वैधानिक न्यूनतम मजदूरी पर सार्वजनिक कार्य से संबंधित अकुशल शारीरिक कार्य करने के इच्छुक वयस्क सदस्यों को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में एक सौ दिनों के रोजगार के लिए कानूनी गारंटी प्रदान करता है।
- प्राकृतिक आपदा या सूखे से प्रभावित क्षेत्रों के लिए 150 दिनों का कार्य प्रदान किया जाएगा।
क्रियान्वयन
- ग्रामीण विकास मंत्रालय राज्य सरकारों के सहयोग से इस योजना के संपूर्ण क्रियान्वयन का अनुश्रवण कर रहा है।
उद्देश्य
- ग्रामीण भारत में निर्धनता रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले व्यक्तियों के लिए मुख्य रूप से अर्ध या अकुशल कार्य, ग्रामीण व्यक्तियों की क्रय शक्ति में सुधार लाने के उद्देश्य से मनरेगा की शुरुआत की गई थी।
- यह देश में समृद्ध एवं निर्धन के मध्य के अंतराल को समाप्त करने का प्रयास करता है।
प्रक्रिया
- ग्रामीण परिवारों के वयस्क सदस्य अपना नाम, आयु एवं फोटो के साथ पता ग्राम पंचायत को प्रस्तुत करते हैं।
- ग्राम पंचायत पूछताछ के पश्चात परिवारों का पंजीकरण करती है एवं जॉब कार्ड जारी करती है।
- मनरेगा जॉब कार्ड में नामांकित वयस्क सदस्य का फोटो एवं विवरण होता है।
- पंजीकृत व्यक्ति कार्य प्राप्ति के लिए (कम से कम चौदह दिनों तक लगातार काम करने के लिए) पंचायत या कार्यक्रम अधिकारी को लिखित रूप में आवेदन कर सकता है ।
- पंचायत/कार्यक्रम अधिकारी वैध आवेदन को स्वीकार कर आवेदन की दिनांकित रसीद जारी करेगा, कार्य उपलब्ध कराने वाला पत्र आवेदक को भेजा जाएगा एवं पंचायत कार्यालय में भी प्रदर्शित किया जाएगा।
ई-सक्षम
- इलेक्ट्रॉनिक-सक्षम या ई-सक्षम एक विस्तृत मुक्त ऑनलाइन पाठ्यक्रम है जिसे मुख्य रूप से जीआईएस आधारित योजना प्रक्रिया पर संपूर्ण देश में मनरेगा तकनीकी कर्मियों (ग्राम रोजगार सेवक, बेयरफुट तकनीशियन, तकनीकी सहायक, इंजीनियर आदि) की क्षमताओं के निर्माण हेतु विकसित किया गया है।