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मकर संक्रांति, लोहड़ी एवं पोंगल 2022: तिथि, इतिहास एवं महत्व

मकर संक्रांति, लोहड़ी एवं पोंगल- यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 1: भारतीय इतिहास- भारतीय संस्कृति प्राचीन से आधुनिक काल तक कला रूपों, साहित्य और वास्तुकला के प्रमुख पहलुओं को सम्मिलित करेगी।

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मकर संक्रांति, लोहड़ी एवं पोंगल- प्रसंग

  • हाल ही में, भारत के राष्ट्रपति ने लोहड़ी (जो 13 जनवरी, 2022 को पड़ता है), मकर संक्रांति, पोंगल, भोगली बिहू, उत्तरायण एवं पौष पर्व (जो 14 जनवरी, 2022 को पड़ता है) की पूर्व संध्या पर नागरिकों को शुभकामनाएं दी।

 

मकर संक्रांति- प्रमुख बिंदु

  • मकर संक्रांति के बारे में: मकर संक्रांति एक हिंदू त्योहार है, जो शीत ऋतु की फसल के त्योहार के दौरान अपने प्रचुर संसाधनों एवं अच्छी उपज के लिए सूर्य भगवान तथा प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए समर्पित है।
    • फसल का त्योहार: मकर संक्रांति या उत्तरायण भी फसल का त्योहार है एवं उत्तर भारत में विशेष रूप से बिहार, झारखंड एवं उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है।
  • ज्योतिषीय पहलू: मकर संक्रांति सूर्य के मकर राशि (कैप्रीकॉर्न) में प्रवेश का प्रतीक है क्योंकि यह अपने आकाशीय पथ पर गमन करता है।
  • अन्य नाम: मकर संक्रांति को देश के विभिन्न हिस्सों में माघी, पौष संक्रांति या केवल संक्रांति के रूप में भी जाना जाता है।
  • किए जाने वाले अनुष्ठान: मकर संक्रांति के त्योहार पर, लोग नदियों में पवित्र डुबकी लगाते हैं, मकर संक्रांति पूजा के एक भाग के रूप में सूर्य देव की अर्चना करते हैं एवं जरूरतमंदों को अनाज, मिठाई एवं तिल का दान भी करते हैं।
    • ऐसा माना जाता है कि दान करने से सुख-समृद्धि आती है।

 

लोहड़ी: प्रमुख बिंदु

  • लोहड़ी के बारे में: लोहड़ी पंजाब का फसल उत्सव है एवं उत्तरी भारत में व्यापक रूप से मनाया जाता है। लोहड़ी मुख्य रूप से सिखों एवं हिंदुओं द्वारा मनाई जाती है।
  • परंपरा: इस दिन लोग अग्नि देवता (अग्नि) की पूजा करते हैं एवं समृद्धि तथा सुख के लिए प्रार्थना करते हैं।
  • फसल का त्यौहार: यह त्योहार शीत ऋतु की फसलों के बुवाई के मौसम के अंत का प्रतीक है एवं फसल के मौसम का स्वागत करता है तथा किसान मौसम में फसल की कटाई के लिए प्रार्थना करते हैं।

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पोंगल- प्रमुख बिंदु

  • पोंगल के बारे में: पोंगल तमिल समुदाय का चार दिवसीय त्योहार है, जो सूर्य देव को समर्पित है।
    • पोंगल उत्सवों में थाई पोंगल, मट्टू पोंगल एवं कानुम पोंगल सम्मिलित हैं।
    • लोग थाई पोंगल से एक दिन पूर्व भोगी पोंगल मनाते हैं।
  • फसल का त्योहार: अच्छी फसल के मौसम के लिए सूर्य देव को धन्यवाद देने हेतु पोंगल का त्योहार चार दिनों तक मनाया जाता है।
  • पोंगल उत्सव: लोग घर को आम तथा केले के पत्तों से सजाते हैं,  गायों की पूजा भगवान की भांति करते हैं, फूलों एवं मालाओं से सींगों को रंगते हैं तथा ढेर सारे व्यंजन भी बनाते हैं।

 

मकर संक्रांति, लोहड़ी एवं पोंगल- महत्व

  • फसल का उत्सव मनाता है: लोहड़ी, मकर संक्रांति, पोंगल, भोगली बिहू, उत्तरायण एवं पौष पर्व के त्योहार, फसलों की कटाई के मौसम को चिह्नित करते हैं क्योंकि शीत ऋतु का मौसम समाप्त होता है एवं वसंत ऋतु की शुरुआत होती है।
  • पर्यावरण का संरक्षण: लोग अच्छी फसल का आनंद लेते हैं एवं इन त्योहारों को मनाते हैं जो हमारे पर्यावरण को संरक्षित करने की आवश्यकता को भी रेखांकित करते हैं।
  • विविधता में एकता का जश्न: यह न केवल भारतीय विविधता का बल्कि हमारे देश की विविधता में एकता का भी एक उदाहरण है।
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