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मारबर्ग विषाणु-जनित रोग

घातक मारबर्ग वायरस के प्रकोप ने विश्व को ऐसे समय में तूफान से घेर लिया है जब प्रत्येक व्यक्ति मंकीपॉक्स के प्रसार से घबरा गया है जिसे अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन/डब्ल्यूएचओ) द्वारा अंतर्राष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल ( पब्लिक हेल्थ एमरजैंसी ऑफ इंटरनेशनल कंसर्न/पीएचईआईसी) घोषित किया गया है। संपूर्ण विश्व पूर्व से ही कोविड-19 महामारी से जूझता हुआ थक चुका है। 

प्रथम बार 1967 में जर्मनी के मारबर्ग नामक शहर एवं बेलग्रेड, यूगोस्लाविया (वर्तमान में सर्बिया) में रिपोर्ट की गई। दोनों शहरों में एक साथ प्रकोप हुआ था। यह मारबर्ग में प्रयोगशाला अध्ययन के लिए युगांडा से आयातित बंदरों से आया था। बंदरों की सामग्री (रक्त, ऊतक एवं कोशिकाओं) के साथ कार्य करने के परिणामस्वरूप प्रयोगशाला कर्मचारी संक्रमित हो गए थे। इन प्रकोपों ​​​​से जुड़े 31 मामलों में से सात लोगों की मृत्यु हो गई थी।

  • मारबर्ग विषाणु जनित रोग (मारबर्ग वायरल डिजीज/एमवीडी), जिसे पहले मारबर्ग रक्तस्रावी बुखार के रूप में जाना जाता था, मनुष्यों में वायरल रक्तस्रावी बुखार का कारण बनने वाली एक गंभीर,  प्रायः घातक रोग है।
  • रूसेटस इजिपियाकस, पटरोपोडिडे वंश के फल चमगादड़ (फ्रूट बैट), मारबर्ग वायरस के प्राकृतिक  पोषक माने जाते हैं एवं संक्रमित पोषक अथवा जलाशय या संक्रमित व्यक्ति की सामग्री (तरल पदार्थ, रक्त, ऊतक एवं कोशिकाओं) के संपर्क के माध्यम से व्यक्तियों के मध्य प्रेषित होते हैं।
  • मानव एमवीडी संक्रमण, रौसेटस चमगादड़ों कॉलोनियों के रूप में प्रयुक्त खानों या गुफाओं के लंबे समय तक संपर्क के परिणामस्वरूप होता है।
  • दफन समारोह जिसमें मृतक के शरीर के साथ प्रत्यक्ष संपर्क सम्मिलित होता है, वह भी मारबर्ग के संचरण में योगदान कर सकता है।
  • लोग तब तक संक्रामक रहते हैं जब तक उनके रक्त में वायरस उपस्थित होता है।

लक्षण

  • ऊष्मायन अवधि (संक्रमण से लक्षणों के प्रारंभ होने तक का अंतराल) 2 से 21 दिनों तक भिन्न होता है।
  • तेज बुखार, तेज सिरदर्द  एवं गंभीर व्याकुलता।
  • गंभीर पानी जैसा दस्त (एक सप्ताह तक रह सकता है)।
  • पेट में दर्द एवं ऐंठन।
  • तीसरे दिन मतली एवं उल्टी शुरू हो सकती है।
  • अधिकांश रोगियों में लक्षणों के प्रारंभ होने के पश्चात से 2 से 7 दिनों के मध्य बिना-खुजली वाले दाने।
  • घातक मामलों के साथ 5 से 7 दिनों के मध्य रक्तस्रावी अभिव्यक्तियों में सामान्य तौर पर किसी न किसी रूप में, प्रायः कई भागों से रक्तस्राव होता है।

 

मारबर्ग वायरस रोग के साथ चुनौतियां

  • मारबर्ग विषाणु जनित रोग (मारबर्ग वायरल डिजीज/एमवीडी) को मलेरिया, टाइफाइड बुखार एवं अन्य वायरल रक्तस्रावी बुखार जैसे रोगों से चिकित्सकीय रूप से पृथक करना कठिन कार्य है।
  • एमवीडी के लिए अभी तक कोई स्वीकृत प्रति – विषाणु (एंटीवायरल) उपचार या टीका उपलब्ध नहीं है।

 

उपचार एवं टीके

  • एमवीडी के लिए अनुमोदित किसी प्रकार का टीका अथवा एंटीवायरल उपचार उपलब्ध नहीं हैं। सहायक देखभाल – मुखीय या अंतःस्रावी तरल पदार्थों के साथ पुनर्जलीकरण – एवं विशिष्ट लक्षणों का उपचार, अनुजीवन में सुधार करता है।
  • सहायक देखभाल – मुखीय या अंतःस्रावी तरल पदार्थों के साथ पुनर्जलीकरण -एवं विशिष्ट लक्षणों का उपचार, प्रसार को रोक कर मुंह रख सकता है एवं अस्तित्व में सुधार कर सकता है।

 

टीकाकरण में विकास

  • इबोला वायरस रोग (ईवीडी) के लिए नैदानिक ​​अध्ययन में उपयोग किए गए रेमेडिसविर एवं फेवीपिरवीर जैसे प्रति-विषाणु (एंटीवायरल) एवं विकास चरण के तहत मोनोक्लोनल एंटीबॉडी (एमएबी) को एमवीडी के लिए भी परीक्षण किया जा सकता है अथवा सहानुभूति पूर्वक उपयोग / विस्तारित पहुंच के तहत उपयोग किया जा सकता है।
  • Zabdeno (Ad26.ZEBOV) एवं Mvabea (MVA-BN-Filo) संभावित रूप से मारबर्ग विषाणु जनित रोग (मारबर्ग वायरल डिजीज/एमवीडी) से रक्षा कर सकते हैं, हिंदू नैदानिक ​​परीक्षणों में प्रभावकारिता सिद्ध नहीं हुई है।

 

रोकथाम एवं नियंत्रण

प्रकोपों ​​​​को सफलतापूर्वक नियंत्रित करने के लिए सामुदायिक जुड़ाव महत्वपूर्ण है। मारबर्ग संक्रमण के जोखिम कारकों के बारे में जागरूकता में वृद्धि करना तथा सुरक्षात्मक उपाय जो कोई व्यक्ति कर सकता है, मानव संचरण को कम करने का एक प्रभावी तरीका है। 

जोखिम में कमी संदेश प्रेषण को  अनेक कारकों पर ध्यान देना चाहिए:

    • फ्रूट बैट कॉलोनियों के रूप में प्रयुक्त खदानों या गुफाओं के लंबे समय तक संपर्क से उत्पन्न होने वाले चमगादड़ों  से मानव में संचरण (बैट-टू-ह्यूमन ट्रांसमिशन) के जोखिम को कम करना।
  • समुदाय में मानव-से-मानव संचरण के जोखिम को कम करना।
    • मारबर्ग से प्रभावित समुदायों को यह सुनिश्चित करने का प्रयास करना चाहिए कि आबादी को इस रोग की प्रकृति एवं आवश्यक प्रकोप रोकथाम उपायों के बारे में अच्छी तरह से सूचित किया जाए।
    • प्रकोप की रोकथाम के उपायों में मृतक की त्वरित, सुरक्षित एवं सम्मानजनक अंत्येष्टि, ऐसे लोगों की पहचान करना जो मारबर्ग से संक्रमित किसी व्यक्ति के संपर्क में रहे हों तथा 21 दिनों तक उनके स्वास्थ्य की निगरानी करना, स्वस्थ व्यक्तियों को रोगी व्यक्तियों से अलग करना ताकि प्रसार को  आगे और बढ़ने से रोका जा सके एवं पुष्टि  किए गए रोगियों को देखभाल प्रदान की जा सके तथा  उचित स्वच्छता बनाए रखने एवं स्वच्छ वातावरण का पालन करने की आवश्यकता है।
  • यौन संचरण के संभावित जोखिम को कम करना।

डब्ल्यूएचओ की प्रतिक्रिया

डब्ल्यूएचओ का लक्ष्य मारबर्ग वायरस रोग के प्रति निगरानी बनाए रखने एवं जोखिम वाले देशों को तैयारियों की योजना विकसित करने में सहायता करके मारबर्ग विषाणु जनित रोग के प्रकोप को रोकना है। निम्नलिखित दस्तावेज़ इबोला एवं मारबर्ग वायरस के प्रकोप के नियंत्रण के लिए समग्र मार्गदर्शन प्रदान करता है: 

इबोला एवं मारबर्ग वायरस रोग महामारी: तैयारी, चेतावनी, नियंत्रण एवं मूल्यांकन 

जब एक प्रकोप का पता चलता है तो डब्ल्यूएचओ निगरानी, ​​​​सामुदायिक जुड़ाव, केस प्रबंधन, प्रयोगशाला सेवाओं, संपर्क अनुरेखण, संक्रमण नियंत्रण, सम्भारिकी (रसद) सहयोग एवं प्रशिक्षण तथा सुरक्षित शवाधान पद्धतियों के साथ सहायता करके प्रतिक्रिया करता है। 

डब्ल्यूएचओ ने मारबर्ग संक्रमण की रोकथाम एवं नियंत्रण पर विस्तृत सलाह विकसित की है: 

इबोला पर ध्यान देने के साथ स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में संदिग्ध अथवा पुष्टि किए गए फिलोवायरस रक्तस्रावी बुखार वाले रोगियों की देखभाल के लिए संक्रमण की रोकथाम एवं नियंत्रण मार्गदर्शन।

 

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