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प्रदूषण से समाधान तक: यूएनईपी रिपोर्ट

प्रदूषण से समाधान तक: प्रासंगिकता

  • जीएस 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन।

 

प्रदूषण से समाधान तक: प्रसंग

  • यूएनईपी ने हाल ही मेंप्रदूषण से समाधान तक’ (फ्रॉम पॉल्यूशन टू सॉल्यूशन) शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है: समुद्री अपशिष्ट एवं प्लास्टिक प्रदूषण का एक वैश्विक मूल्यांकन, जो  प्रदर्शित करता है कि जलीय पारिस्थितिक तंत्र में प्लास्टिक प्रदूषण रिसाव हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ा है एवं 2030 तक दोगुने से अधिक होने का अनुमान है।

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प्रदूषण से समाधान तक: मुख्य बिंदु

  • रिपोर्ट इंगित करती है कि स्रोत से लेकर समुद्र तक समस्त पारिस्थितिक तंत्रों में खतरा बढ़ रहा है
  • इससे यह भी ज्ञात होता है कि जब हमारे पास जानकारी है, तो हमें बढ़ते संकट से निपटने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति एवं सरकार द्वारा त्वरित कार्यवाही किए जाने की आवश्यकता है।
  • रिपोर्ट ने एकल-उपयोग एवं अन्य प्लास्टिक उत्पादों, जैसे जैव-आधारित या जैव निम्नीकरणीय (बायोडिग्रेडेबल) प्लास्टिक, जो वर्तमान में पारंपरिक प्लास्टिक के समान एक रासायनिक खतरा उत्पन्न करते हैं, के  नुकसान पहुंचाने वाले विकल्पों के विरुद्ध चेतावनी दी है।
  • रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि प्लास्टिक समुद्री अपशिष्ट के 85 प्रतिशत हिस्से के लिए उत्तरदायी है।
  • रिपोर्ट यह भी चेतावनी भी देती है कि 2040 तक, समुद्री क्षेत्रों में प्रवाहित होने वाले प्लास्टिक प्रदूषण की मात्रा लगभग तिगुनी हो जाएगी, जिससे प्रति वर्ष समुद्र में 23-37 मिलियन मीट्रिक टन प्लास्टिक अपशिष्ट सम्मिलित हो जाएगा।
  • इसका अर्थ है कि संपूर्ण विश्व में समुद्र तट पर प्रति मीटर लगभग 50 किलोग्राम प्लास्टिक है।

 

प्रदूषण से समाधान तक: प्रभाव

समुद्री जीवन पर

  • सभी समुद्री जीव – प्लवक एवं शंख से लेकर पक्षियों, कछुओं तथा स्तनधारियों तक – विषाक्तता, व्यवहार संबंधी विकार, भुखमरी एवं श्वास रोध (घुटन) के गंभीर जोखिम का सामना करते हैं।
  • इसी तरह, कोरल, मैंग्रोव एवं समुद्री घास के संस्तरों को भी प्लास्टिक अपशिष्ट द्वारा ढक दिया जाता है जिससे उन्हें ऑक्सीजन एवं प्रकाश प्राप्त नहीं होता है।

प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021

मनुष्यों पर

  • मानव शरीर जल स्रोतों में प्लास्टिक प्रदूषण के लिए कई मोर्चों पर समान रूप से संवेदनशील है, जो हार्मोनल परिवर्तन, विकास संबंधी विकार, प्रजनन संबंधी असामान्यताएं एवं कैंसर का कारण बन सकता है।
  • प्लास्टिक को समुद्री भोजन, पेय एवं यहां तक ​​कि सामान्य नमक के माध्यम से अंतर्ग्रहण कर लिया (निगला) जाता है; वे त्वचा में प्रवेश करते हैं एवं हवा में निलंबित होने पर अंतर्ग्रहित हो जाते हैं

 

अर्थव्यवस्था पर

  • समुद्री अपशिष्ट एवं प्लास्टिक प्रदूषण भी वैश्विक अर्थव्यवस्था को महत्वपूर्ण रूप से दुष्प्रभावित करते हैं।
  • प्लास्टिक प्रदूषण की आर्थिक लागत, पर्यटन, मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि पर इसके प्रभावों के संबंध में समुद्री अन्य लागतों जैसे कि सफाई की लागत, 2018 में विश्व स्तर पर न्यूनतम 6-19 बिलियन अमरीकी डालर होने का अनुमान लगाया गया था।
  • यह अनुमान लगाया गया है कि 2040 तक व्यवसायों के लिए 100 बिलियन अमरीकी डालर का वार्षिक वित्तीय जोखिम हो सकता है यदि सरकारें उन्हें अपेक्षित मात्रा एवं पुनर्चक्रण पर अपशिष्ट प्रबंधन लागतों को आच्छादित करने की अपेक्षा करती हो।
  • प्लास्टिक अपशिष्ट के उच्च स्तर से अवैध घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय अपशिष्ट निस्तारण में भी वृद्धि हो सकती है।

माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण: समस्या की गंभीरता, उसके प्रभाव और सुझावात्मक उपाय

प्रदूषण से समाधान तक: सुझाव

  • मूल्यांकन प्लास्टिक मैं त्वरित कमी लाने के लिए कहता है एवं संपूर्ण प्लास्टिक मूल्य श्रृंखला में परिवर्तन हेतु प्रोत्साहित करता है।
  • प्लास्टिक के स्रोतों, पैमाने एवं प्लास्टिक के भविष्य का अभिनिर्धारण करने एवं एक जोखिम संरचना के विकास के लिए और अधिक सशक्त एवं प्रभावी अनुश्रवण प्रणालियों में और निवेश किए जाने की आवश्यकता है, जो वर्तमान में वैश्विक स्तर पर विलुप्त है।
  • अंतत:, धारणीय उपभोग एवं उत्पादन प्रथाओं, त्वरित विकास और व्यवसायों द्वारा विकल्पों को अंगीकृत करने एवं अधिक उत्तरदायी विकल्पों को सक्षम करने के लिए उपभोक्ता जागरूकता में वृद्धि सहित वृत्तीय दृष्टिकोण में परिवर्तन आवश्यक है

भारत प्लास्टिक समझौता

manish

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