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सरिस्का टाइगर रिजर्व: यूपीएससी के लिए प्रासंगिकता
- जीएस 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन।
सरिस्का टाइगर रिजर्व: प्रसंग
- हाल ही में राजस्थान के सरिस्का टाइगर रिजर्व में भीषण आग लग गई एवं पानी की फुहारों से लैस वायु सेना के हेलीकॉप्टर इस पर काबू पाने के लिए जूझ रहे हैं।
सुंदरबन टाइगर रिजर्व: टाइगर्स रीचिंग कैरिंग कैपेसिटी
अब तक की कहानी: मुख्य बिंदु
- इस आग लगने की सर्वप्रथम सूचना 27 मार्च को मिली थी। अगले दिन, अधिकारियों ने, हालांकि सीमित सफलता के साथ इसे नियंत्रित करने का प्रयत्न किया।
- इसके अतिरिक्त, तेज हवाओं ने इस स्थिति को और बदतर बना दिया है क्योंकि आग पहाड़ियों तक पहुंच गई है। इसके बाद अधिकारियों ने आपदा प्रबंधन विभाग को स्थिति पर नियंत्रण पाने हेतु बुलाया ।
- 29 मार्च को वायु सेना के हेलिकॉप्टरों ने प्रभावित क्षेत्रों पर पानी का छिड़काव किया तथा पहाड़ियों में लगी आग को आंशिक रूप से बुझा दिया गया।
- सरिस्का के 27 बाघों में से कम से कम नौ बाघ आग से प्रभावित क्षेत्र में भ्रमण के लिए जाने जाते हैं।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए)
सरिस्का में आग लगने के कारण
- यद्यपि आग लगने के कारणों का पता नहीं चल पाया है, किंतु हाल के दिनों में देश के उत्तरी हिस्सों में भीषण गर्मी पड़ रही है।
सरिस्का टाइगर रिजर्व में आग
- अरावली पर्वतमाला की पहाड़ियाँ तथा संकरी घाटियाँ सरिस्का के परिदृश्य में प्रमुखता रखती हैं, जिनके वन शुष्क एवं पर्णपाती हैं।
- उष्णकटिबंधीय शुष्क वनों में आग लगने की संभावना अधिक होती है क्योंकि इनमें उच्च ईंधन होता है।
- इस बार आग पहाड़ी के शीर्ष से फैली है।
- आग बाघों की दिशा की ओर बढ़ रही थी किंतु हेलीकॉप्टर आग पर नियंत्रण पाने में सफल रहे।
- बाघों के संदर्भ में एक लाभ यह है कि उष्णकटिबंधीय शुष्क वनों की आग में, बड़े जानवर भाग सकते हैं तथा आग की लपटों से बच सकते हैं एवं मुख्य हताहत सरीसृप जैसे छोटे जानवर होते हैं।
- इसके अतिरिक्त, इस क्षेत्र में कोई गांव नहीं है, इसलिए मानव क्षति नगण्य है।
सरिस्का टाइगर रिजर्व के बारे में
- सरिस्का टाइगर रिजर्व राजस्थान के अलवर जिले में स्थित है एवं अरावली पहाड़ियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान में तेंदुओं, नीलगाय, सांभर, चीतल इत्यादि की आबादी है। इस उद्यान में भारतीय मयूर (मोर), कलगीदार सर्प बाज़, सैंड ग्राउज़,सुनहरे पीठ वाला कठफोड़वा, विशाल शृंगी भारतीय उल्लू, ट्री पीज़, गिद्धों की एक बड़ी आबादी भी है।
- 1955 में, सरिस्का को एक वन्यजीव अभ्यारण्य घोषित किया गया था एवं फिर बाद में 1978 में एक व्याघ्र अभ्यारण्य घोषित किया गया, जिससे यह भारत के प्रोजेक्ट टाइगर का एक हिस्सा बन गया।