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भारत में प्रवासी श्रमिक: मुद्दे, सरकारी कदम, सिफारिशें

भारत में प्रवासी श्रमिक यूपीएससी

एक प्रवासी श्रमिक कौन है?

  • एक “प्रवासी कर्मकार” वह व्यक्ति होता है जो या तो अपने देश के भीतर या उसके बाहर काम करने के लिए प्रवास करता है।
  • आमतौर पर प्रवासी कामगारों का अभिप्राय उस देश या क्षेत्र में स्थायी रूप से निवास करने का नहीं होता जिसमें वे काम करते हैं।
  • 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में आंतरिक प्रवासियों की कुल संख्या 36 करोड़ या देश की आबादी का 37% है
  • आर्थिक सर्वेक्षण ने 2016 में प्रवासी कार्यबल का आकार लगभग 20 प्रतिशत या 10 करोड़ से अधिक आंका।

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प्रवासी कामगारों के मुद्दे

  • कोई सामाजिक सुरक्षा लाभ नहीं: प्रवासी श्रमिकों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है क्योंकि उनके पास संभवतः ही सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध होती है। ब्रेक, ओवरटाइम, रोग संबंधी अनुलाभ  तथा न्यूनतम मजदूरी कानूनों जैसी सुविधाओं का अनुसरण नहीं किया जा सकता है क्योंकि कर्मकारों के लिए कोई आश्रय उपलब्ध नहीं है।
  • कार्यस्थल पर बल प्रयोग: कार्यस्थल पर अपर्याप्त नियमन के कारण, यौन या शारीरिक हमले की घटनाओं जैसे मुद्दों को प्रायः कम रिपोर्ट किया जाता है। परिणामों का डर भी प्रवासी कामगार को चुप रहने के लिए बाध्य करता है।
  • असह्य स्थिति: श्रमिकों को अस्वच्छ परिस्थितियों में रखा जा सकता है, जो बच्चों के लिए विशेष रूप से खतरनाक हैं। प्रवासी कामगारों को भी कार्यस्थल पर कठोर परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, जैसे कि अत्यधिक मौसम में बिना  अंतराल के लंबे समय तक काम करना।
  • भेदभाव: चूंकि प्रवासी श्रमिक अपने कार्यस्थल से नहीं हैं, सांस्कृतिक मतभेद प्रवासी श्रमिकों के लिए समस्याएँ प्रस्तुत करते हैं, भले ही वे कार्यस्थल से दूर हों। स्थानीय निवासी प्रवासी श्रमिकों के साथ भेदभाव करते हैं या क्षेत्र में उपलब्ध नौकरियों को प्रवासी श्रमिकों द्वारा लिए जाने के कारण क्षुब्ध हैं, इस प्रकार ‘सन ऑफ द साॅयल’ की भावना को बढ़ावा देते हैं।
  • कमजोर समुदाय: भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 10 प्रतिशत योगदान देने के बावजूद, ये श्रमिक सामाजिक एवं राजनीतिक रूप से कमजोर हैं।

 

प्रवासी कामगारों के लिए सरकार के कदम

  • प्रधान मंत्री गरीब कल्याण योजना: लॉकडाउन के पश्चात, देश के गरीब, जरूरतमंद एवं असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की  सहायता हेतु 1.7 लाख करोड़ रुपये के वित्तीय पैकेज के साथ प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना आरंभ की गई थी।
  • पीएम स्वनिधि योजना: लगभग 50 लाख रेहड़ी-पटरी वालों को अपना व्यवसाय फिर से शुरू करने के लिए, एक वर्ष के कार्यकाल के लिए 10,000/- रुपये तक के संपार्श्विक मुक्त कार्यशील पूंजी ऋण की सुविधा हेतु पीएम स्वनिधि योजना आरंभ की गई थी।
  • प्रधान मंत्री गरीब कल्याण रोजगार अभियान: अपने गृह राज्य वापस चले गए प्रवासी श्रमिकों को रोजगार की सुविधा के लिए, मिशन मोड में 116 जिलों में प्रधान मंत्री गरीब कल्याण रोजगार अभियान आरंभ किया गया था।
  • राज्य प्रवासी प्रकोष्ठ: राज्यों में प्रवासी श्रमिकों का मानचित्रण के साथ डेटाबेस तैयार करने हेतु प्रवासी श्रमिक प्रकोष्ठ बनाया जा रहा है।
  • ई-श्रम पोर्टल: यह प्रवासी श्रमिकों सहित देश में असंगठित श्रमिकों को पंजीकृत करने हेतु निर्मित किया गया एक राष्ट्रीय डेटाबेस है।
  • प्रवासी श्रमिकों पर राष्ट्रीय नीति: नीति आयोग को औपचारिक कार्यबल के भीतर प्रवासी श्रमिकों को एकीकृत करते हुए श्रम-पूंजी संबंधों को पुनः परिभाषित करने हेतु प्रवासी श्रमिकों पर राष्ट्रीय नीति का  प्रारूप तैयार करने हेतु अधिदेशित किया गया है।

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प्रवासी श्रमिकों के लिए आवश्यक कदम

  • कृषि को लाभदायक व्यवसाय बनाएं: प्रवास के मूलभूत कारणों में से एक कृषि क्षेत्र में निम्न लाभ प्राप्ति है। एक बार कृषि लाभप्रद हो जाएगी, तो प्रवासन कम हो जाएगा।
  • न्यूनतम स्तर की आय की अवधारणा: न्यूनतम स्तर की आय निर्धारित होनी चाहिए जिसके नीचे किसी भी कर्मकार को भुगतान नहीं किया जा सकता है। इस अवधारणा को साकार करने के लिए सरकार ने  उचित प्रकार से एस. पी. मुखर्जी कमेटी का गठन किया है।
  • प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना एवं मनरेगा जैसी योजनाएं ग्रामीण आय में वृद्धि करने तथा इस प्रकार ग्रामीण प्रवास को कम करने में महत्वपूर्ण रूप से  कार्य करती हैं। इस तरह की और योजनाओं को समान दिशा का अनुसरण करना चाहिए।
  • अनुच्छेद 43ए: राज्य के निदेशक सिद्धांतों का यह अनुच्छेद उद्योग के प्रबंधन में श्रमिकों की भागीदारी के प्रावधान के बारे में बात करता है। इसे श्रमिकों के निर्वाह स्तर में सुधार के लिए तैयार किया जाना चाहिए।
  • सामाजिक सुरक्षा: सरकार द्वारा श्रम योगी मान धन जैसी योजनाओं का उचित उपयोग करके प्रवासी श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा का प्रबंधन करना आवश्यक है।

 

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