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प्रासंगिकता
- जीएस 2: केंद्र एवं राज्यों द्वारा आबादी के कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं एवं इन योजनाओं का प्रदर्शन
प्रसंग
- हाल ही में, केंद्र सरकार ने राज्यों से मध्याह्न भोजन योजना में बाजरा को सम्मिलित करने की संभावना तलाशने का आग्रह किया है।
मुख्य बिंदु
- मध्याह्न भोजन योजना का नाम बदलकर हाल ही में पीएम पोषण कर दिया गया है।
- बाजरा या पोषक अनाजों में ज्वार, बाजरा एवं रागी शामिल हैं।
ऐसे निर्णय का कारण
- वे खनिजों एवं बी-कॉम्प्लेक्स विटामिनों के साथ-साथ प्रोटीन एवं प्रति-ऑक्सीकारकों (एंटीऑक्सिडेंट) से भरपूर होते हैं, जो उन्हें बच्चों के पोषण संबंधी परिणामों में सुधार के लिए एक आदर्श विकल्प बनाते हैं।
- यद्यपि, ऐसे लाभों के बावजूद, जागरूकता एवं उपलब्धता के अभाव के कारण बाजरा का उपभोग कम रहता है।
- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-IV के अनुसार, पांच वर्ष से कम उम्र के 38 प्रतिशत बच्चे वृद्धिरोधित (अविकसित) हैं एवं 59 प्रतिशत बच्चे रक्ताल्पता (एनीमिया) से पीड़ित हैं।
- कुपोषण एवं रक्ताल्पता में कमी लाने हेतु पहल की श्रृंखला में से एक, सरकार बाजरा के उपभोग पर बल दे रही है।
- नीति आयोग भी चावल एवं गेहूं से हटकर मध्याह्न भोजन कार्यक्रम में बाजरा को शामिल करने की आवश्यकता की वकालत करता रहा है।
इसके अतिरिक्त, 2019 में, नीति आयोग ने कर्नाटक के चार विद्यालयों में किशोरों के मध्य एक अध्ययन के आधार पर बाजरा के लाभों को प्रदर्शित करने वाली एक रिपोर्ट जारी की थी।
पीएम-पोषण के बारे में
- आगामी वर्ष से सरकारी एवं सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में पूर्व-प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने वाले 24 लाख छात्रों को भी योजना के दायरे में लाया जाएगा।
- पीएम पोषण को पांच वर्ष की प्रारंभिक अवधि (2021-22 से 2025-26) के लिए प्रारंभ किया गया है। 3 लाख करोड़ रुपये की कुल अनुमानित लागत में से केंद्र 54,061 करोड़ रुपये वहन करेगा;
- प्रधानमंत्री पोषण ने रसोइयों एवं श्रमिकों के मानदेय में किसी वृद्धि का प्रस्ताव नहीं किया है;
मध्याह्न भोजन योजना के बारे में
- एमडीएम के तहत, जिसे पहली बार 1995 में प्रारंभ किया गया था, इसके अंतर्गत कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों को गर्म पका हुआ भोजन प्रदान किया जाता है।
- 2017 में कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों को शामिल करने के लिए इस योजना का विस्तार किया गया था।
- प्राथमिक (1-5) एवं उच्च प्राथमिक (6-8) विद्यालय जाने वाले बच्चे वर्तमान में प्रत्येक कार्य दिवस में 100 ग्राम एवं 150 ग्राम खाद्यान्न के हकदार हैं, ताकि न्यूनतम 700 कैलोरी सुनिश्चित हो सके;
- तमिलनाडु को सरकारी विद्यालयों में मध्याह्न भोजन योजना प्रारंभ करने में अग्रणी माना जाता है।
भूख अधिस्थल: एफएओ-डब्ल्यूएफपी की एक रिपोर्ट