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मोढेरा सूर्य मंदिर- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 1: भारतीय इतिहास- भारतीय संस्कृति प्राचीन से आधुनिक काल तक कला रूपों, साहित्य एवं वास्तुकला के मुख्य पहलुओं को समाहित करेगी।
मोढेरा सूर्य मंदिर चर्चा में क्यों है?
- हाल ही में, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मोढेरा में सूर्य मंदिर के दर्शन किए।
- उन्होंने गुजरात के मोढेरा में मोधेश्वरी माता मंदिर का भी भ्रमण किया एवं दर्शन तथा पूजा की।
मोढेरा सूर्य मंदिर- विभिन्न परियोजनाओं का शुभारंभ
- श्री नरेंद्र मोदी ने सूर्य मंदिर में धरोहर प्रकाश व्यवस्था (हेरिटेज लाइटिंग) का उद्घाटन किया, जो इसे भारत का प्रथम विरासत स्थल बनाता है जो पूर्ण रूप से सौर ऊर्जा से संचालित होता है।
- उन्होंने मोढेरा सूर्य मंदिर के त्रिविमीय प्रस्तुतीकरण मानचित्रण (3डी प्रोजेक्शन मैपिंग) का भी उद्घाटन किया।
- इससे पूर्व, उन्होंने गुजरात के मेहसाणा के मोढेरा में 3900 करोड़ रुपये से अधिक की अनेक परियोजनाओं की आधारशिला रखी तथा उन्हें लोकार्पित किया।
- प्रधानमंत्री ने मोढेरा को भारत का प्रथम 24×7 सौर ऊर्जा संचालित गांव भी घोषित किया।
मोढेरा सूर्य मंदिर
- मोढेरा सूर्य मंदिर के बारे में: मोढेरा में सूर्य मंदिर संपूर्ण गुजरात में निर्मित सभी सूर्य मंदिरों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। मोढेरा सूर्य मंदिर मध्यकालीन मंदिर कला एवं भारत की वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
- मोढेरा सूर्य मंदिर का उतना ही महत्व है जितना कि कश्मीर (मार्तंड) एवं उड़ीसा (कोणार्क) में अन्य दो प्रसिद्ध सूर्य-मंदिरों का है।
- इस शानदार स्थापत्य स्मारक के अवशेष अभी भी भव्यता की झलक प्रदर्शित करते हैं तथा इस स्थल की पवित्रता का प्रमाण प्रस्तुत करते हैं।
- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: मोढेरा या मोढेरापुरा जिसे मुंडेरा के नाम से भी जाना जाता है, के बारे में कहा जाता है कि यह मोधा ब्राह्मणों की मूल बस्ती थी।
- रामायण से संबंधित अपने पौराणिक अतीत के कारण यह भी माना जाता है कि मोधा ब्राह्मणों ने राम तथा सीता के विवाह के अवसर पर मोढेरा को कृष्णार्पण के रूप में प्राप्त किया था।
- मोढेरा सूर्य मंदिर का निर्माण: इस प्रसिद्ध सूर्य मंदिर का निर्माण पुष्पावती नदी के पश्चिम में संभवतः चालुक्य राजा भीम प्रथम (1022-1063 ईस्वी) के शासनकाल के दौरान 1026-27 ईस्वी में किया गया था।
- मोढेरा की भौगोलिक अवस्थिति: कभी एक समृद्ध शहर एवं बंदरगाह रहा, मोढेरा पुष्पावती नदी के बाएं तट पर अनाहितपताका (पाटन) से 24 किमी दक्षिण में अवस्थित है।
मोढेरा सूर्य मंदिर का संरचनात्मक विवरण
- एक खरासिला (तहखाने) पर खड़ी पूरी संरचना में गर्भगृह (मंदिर) एवं गुहा-मंडप (एक हॉल), एक सभा-मंडप अथवा रंग-मंडप (सभा कक्ष या बाहरी हॉल / थिएटर हॉल) सम्मिलित थे, जिसे स्थानीय रूप से सीता चावड़ी के नाम से जाना जाता है।
- मंदिर के सामने कुंड (पवित्र तालाब) है जिसे अब रामकुंड कहा जाता है। मूल रूप से, कुछ छोटे सहायक मंदिर थे, जिन्हें नष्ट कर दिया गया है।
- मंडप (हॉल) एवं गर्भगृह को घेरते हुए मंदिर के मुख्य भाग की सामान्य संरचना आयताकार है, जिसकी दीवारों के अंदर की लंबाई 51 फुट 9 इंच है जो इसकी 25 फुट एवं 8 इंच की चौड़ाई से लगभग दोगुनी है।
- इस प्रकार लगभग 1275 वर्ग फुट के कुल क्षेत्रफल को लगभग दो बराबर भागों में बांटा गया है। आंतरिक आधा भाग गर्भगृह एवं मंडप (हॉल) के सामने है।
- गर्भगृह 11 फीट चौकोर अंदर की ओर है। गर्भगृह एवं मंदिर की बाहरी दीवारों के मध्य प्रदक्षिणा-मार्ग अथवा ब्रह्म (परिक्रमा मार्ग) है।