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प्रासंगिकता
- जीएस 3: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायिकी (सब्सिडी) एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित मुद्दे
प्रसंग
- आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने रबी विपणन मौसम (आरएमएस) 2022-23 हेतु सभी अधिदेशित रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
मुख्य बिंदु
- सरकार ने आरएमएस 2022-23 के लिए रबी फसलों के एमएसपी में वृद्धि की है, ताकि उत्पादकों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य सुनिश्चित किया जा सके।
- लेंटील (मसूर) एवं रेपसीड तथा सरसों के बाद चने के लिए एमएसपी में उच्चतम पूर्ण वृद्धि की सिफारिश की गई है।
- करंडी के मामले में विगत वर्ष की तुलना में 114 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई है।
- विभेदी पारिश्रमिक का उद्देश्य फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करना है।
- आरएमएस 2022-23 हेतु रबी फसलों के लिए एमएसपी में वृद्धि केंद्रीय बजट 2018-19 की घोषणा के अनुरूप है, जिसमें एमएसपी को उत्पादन की अखिल भारतीय भारित औसत लागत के कम से कम 5 गुना के स्तर पर निर्धारित करने की घोषणा की गई है, जिसका उद्देश्य कृषकों को पर्याप्त मात्रा में उचित लाभ प्रदान करना है।
- कृषकों को उनकी उत्पादन लागत पर अपेक्षित लाभ गेहूं एवं रेपसीड तथा सरसों (प्रत्येक में 100%) के मामले में सर्वाधिक होने का अनुमान है, इसके बाद मसूर (79%) चना (74%); जौ (60%); अरंडी (50%) का स्थान आता है।
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सरकार द्वारा हाल ही में उठाए गए संबंधित कदम
- खाद्य तेलों पर राष्ट्रीय मिशन-तेल पाम (एनएमईओ-ओपी), हाल ही में सरकार द्वारा घोषित केंद्र प्रायोजित योजना, खाद्य तेलों के घरेलू उत्पादन में वृद्धि करने एवं आयात निर्भरता को कम करने में सहायता करेगी।
- 2018 में सरकार द्वारा घोषित “प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान” (पीएम-आशा) कृषकों को उनकी उपज के लिए लाभकारी रिटर्न प्रदान करने में सहायता करेगा।
- अम्ब्रेला योजना में प्रायोगिक आधार पर तीन उप-योजनाएं मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस), मूल्य ह्रास भुगतान योजना (पीडीपीएस) एवं वैयक्तिक क्रय तथा थोक व्यापारी (स्टॉकिस्ट) योजना (पीपीएसएस) सम्मिलित हैं।