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इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) का मल्टी-एजेंसी सेंटर (मैक)

बहु-एजेंसी केंद्र (मैक)- यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 2: सुरक्षा- विभिन्न सुरक्षा बल एवं एजेंसियां ​​तथा उनका अधिदेश; संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौतियां।

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बहु-एजेंसी केंद्र (मैक)- प्रसंग

  • हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यों के पुलिस महानिदेशकों को मल्टी एजेंसी सेंटर (एमएसी) के माध्यम से पर्याप्त सूचना एवं कार्रवाई योग्य इनपुट साझा करने के लिए कहा।
  • गृह मंत्री ने परिवर्तनशील आतंकवाद रोधी एवं सुरक्षा चुनौतियों का मुकाबला करने हेतु केंद्र एवं राज्य सुरक्षा एजेंसियों के मध्य बेहतर समन्वय एवं सामंजस्य की आवश्यकता पर बल दिया।

 

बहु-एजेंसी केंद्र (मैक)- प्रमुख बिंदु

  • मल्टी एजेंसी सेंटर (एमएसी) के बारे में: मल्टी एजेंसी सेंटर (एमएसी) आसूचना ब्यूरो (इंटेलिजेंस ब्यूरो/आईबी) के अधीन एक सामान्य आतंकवाद-रोधी ग्रिड है जिसे 2001 के कारगिल युद्ध के पश्चात संक्रियागत किया गया था।
    • मल्टी एजेंसी सेंटर (एमएसी) कार्यालय: यह दिल्ली में स्थित है।
  • संगठनात्मक ढांचा: गृह मंत्रालय (एमएचए) आसूचना ब्यूरो/इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी), मल्टी एजेंसी सेंटर (एमएसी) के लिए नोडल एजेंसी के साथ।
    • सभी राज्यों के पास उन राज्यों की राजधानियों में स्थित एक सहायक बहु-एजेंसी केंद्र (एसएमएसी) है।
    • गृह मंत्रालय (एमएचए), आईबी के साथ, जिलों में एसएमएसी की अनुयोजकता (कनेक्टिविटी) को और बढ़ाने पर विचार कर रहा है।
  • सूचना साझा करना: रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ), सशस्त्र बल एवं राज्य पुलिस सहित 28 संगठन मल्टी एजेंसी सेंटर (मैक) मंच का हिस्सा हैं।
    • विभिन्न सुरक्षा एजेंसियां ​​मैक पर सद्य अनुक्रिया आसूचना आदान (रीयल-टाइम इंटेलिजेंस इनपुट) साझा करती हैं।
    • इस प्रणाली को जिला स्तर तक जोड़ने हेतु एक दशक से भी अधिक समय से योजनाएं चल रही हैं।

 

बहु-एजेंसी केंद्र (मैक) – कार्य संचालन

  • मल्टी एजेंसी सेंटर (मैक) एवं एसएमएसी दोनों विगत 24 घंटों में प्राप्त इनपुट का विश्लेषण करने हेतु लगभग  प्रत्येक दिन बैठकें करते हैं  तथा अनुवर्ती कार्रवाई “तैयार अथवा सहमत” होती है।
  • मल्टी एजेंसी सेंटर (एमएसी) की एक केंद्रित समूह बैठक भी होती है जहां एक विशिष्ट थिएटर पर विशिष्ट सूचना पर चर्चा की जाती है जहां मात्र संबंधित एजेंसियां ​​ही भाग लेती हैं।
  • मल्टी एजेंसी सेंटर (एमएसी) की एक साप्ताहिक बैठक भी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की उपस्थिति में आयोजित की जाती है जबकि एमएसी भी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के साथ उनकी उपस्थिति में आयोजित की जाती है।
  • आईबी सीमावर्ती क्षेत्रों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए सैन्य खुफिया महानिदेशक (डीजीएमआई) के साथ एक त्रैमासिक सम्मेलन भी आयोजित करता है।

 

बहु-एजेंसी केंद्र (मैक) – संबद्ध चिंताएं

  • राज्यों से अपर्याप्त/खराब इनपुट: राज्य एजेंसियों द्वारा एमएसी में योगदान जो कि विगत कुछ वर्षों में किया गया है, राष्ट्रीय स्तर के मैक द्वारा प्राप्त समग्र इनपुट में “कम” है।
  • विकेंद्रीकरण से संबंधित मुद्दा: आईबी चरणबद्ध रूप से एसएमएसी की अनुयोजकता को जिला स्तर तक बढ़ा रहा है क्योंकि “उन्हें लीज लाइन, एनक्रिप्टर्स इत्यादि से जोड़ने का मुद्दा है।”
  • अंतर-एजेंसी समन्वय का मुद्दा: आईबी, रॉ, सेना एवं अन्य अनेक समान एजेंसियां ​​​​आसूचना एकत्र करती हैं, किंतु “सबसे बड़ी चुनौती” यह है कि इन इकाइयों द्वारा एकत्र किए गए इनपुट पर “समन्वय, निर्माण और कार्य कैसे किया जाए।
    • कई बार उन खुफिया एजेंसियों में समन्वय का अभाव, अविश्वास के कारण आतंकवादी घटनाओं को रोकने के लिए समय पर कार्रवाई नहीं की जा सकी।

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मल्टी-एजेंसी सेंटर (मैक)-निष्कर्ष

  • ख़ुफ़िया एजेंसियों को न केवल ज़िला, राज्य एवं क्षेत्रीय स्तर पर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मित्रवत विदेशी समकक्षों के साथ बढ़ते हुए समन्वय एवं सहयोग हेतु प्रयास करना चाहिए ताकि खतरों को कम करने एवं समाप्त करने के लिए ख़ुफ़िया जानकारी को विकसित एवं साझा किया जा सके।
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