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बहुआयामी निर्धनता सूचकांक 2021

बहुआयामी निर्धनता सूचकांक 2021: प्रासंगिकता

  • जीएस 2: निर्धनता एवं भूख से संबंधित मुद्दे।

 

बहुआयामी निर्धनता सूचकांक 2021: प्रसंग

  • संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) एवं ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनीशिएटिव ने हाल ही में निर्धनता को मापने के लिए बहुआयामी निर्धनता सूचकांक जारी किया है।

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बहुआयामी  निर्धनता सूचकांक संकेतक

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बहुआयामी निर्धनता सूचकांक 2021: प्रमुख निष्कर्ष

वैश्विक स्तर पर

  • 109 देशों में 3 बिलियन लोग- 21.7 प्रतिशत- गंभीर बहुआयामी निर्धनता में जीवन व्यतीत करते हैं।
    • उनमें से लगभग आधे (644 मिलियन) 18 वर्ष से कम आयु के बच्चे हैं।
    • लगभग 85 प्रतिशत उप-सहारा अफ्रीका (556 मिलियन) या दक्षिण एशिया (532 मिलियन) में निवास करते हैं।
    • लगभग 2 प्रतिशत बहुआयामी निर्धन (105 मिलियन) 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के हैं।
  • अनेक देशों में नृजातीय समूहों के मध्य बहुआयामी निर्धनता में असमानताएं लगातार अधिक हैं एवं नौ नृजातीय समूहों में 90 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या निर्धनता के जाल में फंसी हुई है।
  • कुछ मामलों में, नृजातीय एवं नस्लीय समूहों में व्याप्त असमानताएं किसी देश के सभी क्षेत्रों  में व्याप्त असमानताओं की तुलना में अधिक होती हैं।

न्यूनतम विकसित देशों की रिपोर्ट

भारत के स्तर पर

  • अनुसूचित जनजाति समूह की आबादी 4 प्रतिशत है एवं यह बहुआयामी निर्धनता में निवास करने वाले 129 मिलियन लोगों में से 65 मिलियन की जनसंख्या के साथ सर्वाधिक निर्धन समूह है।
  • इनमें सर्वाधिक व्याप्ति (6 प्रतिशत) एवं गहनता पाई जाती है।
  • अनुसूचित जाति समूह के बाद 3 प्रतिशत – 283 मिलियन लोगों में से 94 मिलियन – बहुआयामी निर्धनता में निवास करते हैं।
  • कुल मिलाकर, भारत में छह बहुआयामी निर्धन व्यक्तियों में से पांच ऐसे परिवारों में रहते हैं जिनका मुखिया अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति अथवा अन्य पिछड़ा वर्ग से है।

बिल्ड बैक बेटर वर्ल्ड (बी3डब्ल्यू)

लिंग आधारित एमपीआई

  • बहुआयामी निर्धन व्यक्तियों में से दो-तिहाई (836 मिलियन) ऐसे परिवारों में निवास करते हैं जिनमें किसी भी बालिका अथवा महिला ने विद्यालयी शिक्षा के न्यूनतम छह वर्ष पूरे नहीं किए हैं।
  • छह बहुआयामी निर्धन व्यक्तियों में से एक महिला प्रधान परिवारों में निवास करता है।
  • बहुआयामी निर्धन परिवारों में निवास करने वाली महिलाओं एवं बालिकाओं को हिंसा का अधिक खतरा होता है क्योंकि वे प्रायः अनिश्चित निर्वाह परिस्थितियों का सामना करती हैं एवं उनकी वित्तीय स्वतंत्रता तथा सौदेबाजी की शक्ति कम होती है।

 

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