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जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना: प्रासंगिकता
- जीएस 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन
जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीसीसी)
- केंद्र सरकार ने 2008 में जलवायु परिवर्तन का शमन करने एवं अनुकूलन हेतु जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीसीसी) जारी की।
- जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीसीसी) की शुरुआत प्रधानमंत्री की जलवायु परिवर्तन परिषद द्वारा की गई थी।
- एनएपीसीसी उन उपायों की पहचान करता है जो जलवायु परिवर्तन को प्रभावी ढंग से हल करने के लिए सह-लाभ प्रदान करते हुए विकास के उद्देश्यों को प्रोत्साहन प्रदान करते हैं।
- आठ “राष्ट्रीय मिशन“ हैं जो राष्ट्रीय कार्य योजना का मूल गठित करते हैं। वे जलवायु परिवर्तन, अनुकूलन एवं शमन, ऊर्जा दक्षता एवं प्राकृतिक संसाधन संरक्षण की समझ को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।”
जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना के सिद्धांत
- समावेशी एवं सतत विकास रणनीति के माध्यम से निर्धनों का संरक्षण।
- राष्ट्रीय विकास के उद्देश्यों को प्राप्त करने के तरीके में गुणात्मक परिवर्तन।
- अंतिम उपयोग के लिए लागत प्रभावी रणनीतियों के माध्यम से मांग पक्ष प्रबंधन।
- हरितगृह गैसों (जीएचजी) के अनुकूलन एवं शमन के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकियों का परिनियोजन।
- सतत विकास को बढ़ावा देने हेतु नवप्रवर्तक बाजार, नियामक एवं स्वैच्छिक तंत्र।
जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना मिशन
- एनएपीसीसी के तहत आठ प्रमुख मिशन हैं
- राष्ट्रीय सौर मिशन
- उन्नत ऊर्जा दक्षता के लिए राष्ट्रीय मिशन
- सतत पर्यावास पर राष्ट्रीय मिशन
- राष्ट्रीय जल मिशन
- हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र को अनुरक्षित रखने हेतु राष्ट्रीय मिशन
- हरित भारत के लिए राष्ट्रीय मिशन
- सतत कृषि के लिए राष्ट्रीय मिशन
- जलवायु परिवर्तन के लिए सामरिक ज्ञान पर राष्ट्रीय मिशन
राष्ट्रीय सौर मिशन
- एनएपीसीसी का उद्देश्य सौर ऊर्जा को जीवाश्म आधारित ऊर्जा विकल्पों के साथ प्रतिस्पर्धी बनाने के अंतिम उद्देश्य के साथ ऊर्जा उत्पादन एवं अन्य उपयोगों के लिए सौर ऊर्जा के विकास एवं उपयोग को बढ़ावा देना है।
उन्नत ऊर्जा दक्षता के लिए राष्ट्रीय मिशन:
ऊर्जा संरक्षण अधिनियम 2001 पर आधारित, योजना अनुशंसा करती है:
- ऊर्जा-बचत प्रमाणपत्रों का व्यापार करने के लिए कंपनियों हेतु एक प्रणाली के साथ, वृहद ऊर्जा- उपभोग वाले उद्योगों में विशिष्ट ऊर्जा उपभोग को कम करना अधिदेशित है;
- ऊर्जा दक्ष उपकरणों पर कम करों सहित ऊर्जा प्रोत्साहन; एवं
- नगरपालिका, भवनों तथा कृषि क्षेत्रों में मांग-पक्ष प्रबंधन कार्यक्रमों के माध्यम से ऊर्जा उपभोग को कम करने हेतु सार्वजनिक-निजी भागीदारी के लिए वित्तपोषण।
सतत पर्यावास पर राष्ट्रीय मिशन
शहरी नियोजन के एक प्रमुख घटक के रूप में ऊर्जा दक्षता को प्रोत्साहन देने हेतु, योजना निम्नलिखित का आह्वान करतीहै:
- वर्तमान ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता का विस्तार करना;
- अपशिष्ट से ऊर्जा उत्पादन सहित शहरी अपशिष्ट प्रबंधन एवं पुनर्चक्रण पर अधिक जोर देना;
- कुशल वाहनों के क्रय को प्रोत्साहित करने हेतु मोटर वाहन ईंधन अर्थव्यवस्था मानकों के प्रवर्तन को सुदृढ़ करना एवं मूल्य निर्धारण उपायों का उपयोग करना तथा सार्वजनिक परिवहन के उपयोग हेतु प्रोत्साहन प्रदान करना।
राष्ट्रीय जल मिशन
- जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप जल के अभाव के और बदतर होने की आशंका के साथ, योजना मूल्य निर्धारण एवं अन्य उपायों के माध्यम से जल उपयोग दक्षता में 20% सुधार का लक्ष्य निर्धारित करती है।
हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र की धारणीयता हेतु राष्ट्रीय मिशन
- योजना का उद्देश्य हिमालयी क्षेत्र में जैव विविधता, वन आवरण एवं अन्य पारिस्थितिक मूल्यों का संरक्षण करना है, जहां ग्लेशियर जो भारत की जल आपूर्ति का एक प्रमुख स्रोत हैं, वैश्विक तापन के परिणामस्वरूप घटने का अनुमान है।
“हरित भारत” के लिए राष्ट्रीय मिशन
- लक्ष्यों में 6 मिलियन हेक्टेयर की निम्नीकृत वन भूमि का वनीकरण एवं भारत के क्षेत्र के 23% से 33% तक वन क्षेत्र का विस्तार करना शामिल है।
सतत कृषि हेतु राष्ट्रीय मिशन
- योजना का उद्देश्य जलवायु- प्रतिरोधकक्षमता पूर्ण फसलों के विकास, मौसम बीमा तंत्र के विस्तार एवं कृषि पद्धतियों के माध्यम से कृषि में जलवायु अनुकूलन का समर्थन करना है।
जलवायु परिवर्तन के लिए सामरिक ज्ञान पर राष्ट्रीय मिशन
- जलवायु विज्ञान, प्रभावों एवं चुनौतियों की बेहतर समझ प्राप्त करने हेतु, योजना में एक नए जलवायु विज्ञान अनुसंधान कोष, बेहतर जलवायु प्रतिरूपण (मॉडलिंग) एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में वृद्धि की कल्पना की गई है।
- यह उद्यम पूंजी कोष (वेंचर कैपिटल फंड) के माध्यम से अनुकूलन एवं शमन प्रौद्योगिकियों को विकसित करने हेतु निजी क्षेत्र की पहल को भी प्रोत्साहित करता है।