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राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी)

राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) – यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 2: शासन, प्रशासन एवं चुनौतियां– स्वास्थ्य से संबंधित सामाजिक क्षेत्र / सेवाओं के विकास एवं प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।

राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) – संदर्भ

  • हाल ही में केरल राज्य में निपाह वायरस के मामलों में वृद्धि के मध्य, केंद्र सरकार ने राज्य में राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र का एक दल भेजा है।
    • इससे पहले केरल के कोझीकोड में निपाह वायरस के संक्रमण से एक 12 वर्षीय बालक की मृत्यु हो गई थी।

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राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी)- प्रमुख बिंदु

  • पृष्ठभूमि: एनसीडीसी जिसे पूर्व में राष्ट्रीय संचारी रोग संस्थान (एनआईसीडी) के नाम से जाना जाता था, की स्थापना 1909 में कसौली (हिमाचल प्रदेश) में स्थापित केंद्रीय मलेरिया ब्यूरो के रूप में हुई थी।
    • 1927 में इसका नाम परिवर्तित कर मलेरिया सर्वे ऑफ इंडिया कर दिया गया।
    • 1938 में, संस्थान को दिल्ली में स्थानांतरित कर दिया गया एवं इसका नाम परिवर्तित कर मलेरिया इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एमआईआई) कर दिया गया।
    • मलेरिया रोग को नियंत्रित करने में सफलता के कारण, भारत सरकार ने 1963 में अन्य संचारी रोगों को आच्छादित करने हेतु संस्थान के क्रियाकलापों को पुनर्गठित एवं विस्तारित करने का निर्णय लिया तथा इसका नाम परिवर्तित कर एनआईसीडी कर दिया।
  • प्रशासनिक संरचना: एनसीडीसी स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के प्रशासनिक नियंत्रणाधीन है।
    • निदेशक, केंद्रीय स्वास्थ्य सेवा के जन स्वास्थ्य उप-संवर्ग का एक अधिकारी, संस्थान का प्रशासनिक एवं तकनीकी प्रमुख होता है।
  • एनसीडीसी का अधिदेश: यह देश में रोग अवेक्षण (निगरानी) हेतु नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है जिससे संक्रामक (संचारी) रोगों की रोकथाम तथा नियंत्रण में सुविधा होती है।

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राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) – प्रमुख कार्य

  • यह संचारी रोगों के नियंत्रण के लिए एक राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र के रूप में कार्य करता है।
  • एनसीडीसी संपूर्ण देश में रोगों के प्रकोप की जांच करने  हेतु उत्तरदायी है।
  • एनसीडीसी विभिन्न क्षेत्रों जैसे महामारी विज्ञान (जानपदिक रोग विज्ञान), अवेक्षण एवं प्रयोगशालाओं आदि में ज्ञान के सृजन और प्रसार में भी संलग्न है।
  • यह व्यक्तियों, समुदाय, चिकित्सा महाविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों तथा राज्य स्वास्थ्य निदेशालयों को परामर्शी नैदानिक (रेफरल डायग्नोस्टिक) सेवाएं प्रदान करता है।
  • यह संचारी रोगों के विभिन्न पहलुओं के साथ-साथ गैर-संचारी रोगों के कतिपय पहलुओं में अनुप्रयुक्त एकीकृत अनुसंधान करने हेतु भी उत्तरदायी है।

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