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मौसम परियोजना पर राष्ट्रीय सम्मेलन- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 1: भारतीय इतिहास- भारतीय संस्कृति प्राचीन से आधुनिक काल तक कला रूपों, साहित्य एवं वास्तुकला के मुख्य पहलुओं को समाहित करेगी।
मौसम परियोजना पर राष्ट्रीय सम्मेलन चर्चा में क्यों है?
- हाल ही में, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया/एएसआई) ने इंडिया हैबिटेट सेंटर, नई दिल्ली में मौसम परियोजना पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया।
मौसम परियोजना 2022 पर राष्ट्रीय सम्मेलन
- मौसम परियोजना पर राष्ट्रीय सम्मेलन के बारे में: मौसम परियोजना पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन अनुसंधान को आगे और प्रोत्साहित करने एवं इस बारे में हमारी समझ को व्यापक बनाने के उद्देश्य से किया जा रहा है।
- थीम: परियोजना मौसम 2022 पर राष्ट्रीय सम्मेलन “जलधिपुरयात्रा: हिंद महासागर रिम देशों के साथ पार-सांस्कृतिक संबंधों की खोज” के विषय पर आयोजित किया जा रहा है।
- संबद्ध मंत्रालय: संस्कृति मंत्रालय मौसम परियोजना 2022 पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन कर रहा है।
- भागीदारी: भारत के विभिन्न हिस्सों से बीस से अधिक विद्वानों ने सम्मेलन के शैक्षणिक सत्रों में भाग लिया।
- इनमें मौसम विज्ञानी, पुरातत्वविद, इतिहासकार एवं जलवायु परिवर्तन, जल के भीतर की खोज तथा अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध विशेषज्ञ शामिल हैं।
मौसम परियोजना पर राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रमुख सत्र
सम्मेलन में एक पूर्ण सत्र सम्मिलित है जिसके बाद छह शैक्षणिक सत्र हैं, जिनमें से प्रत्येक भारत की समुद्री अंतःक्रिया के एक विशेष पहलू से संबंधित है।
- एक सत्र विशेष रूप से विश्व विरासत संपत्तियों से संबंधित मुद्दों से संबंधित है, निम्नलिखित के विशेष संदर्भ के साथ-
- हिंद महासागर क्षेत्र के विभिन्न देशों में स्थित ऐतिहासिक स्थलों एवं संरचनाओं की पहचान तथा
- अंतर्देशीय संबंधों का उदाहरण, इस प्रकार यूनेस्को की विश्व विरासत प्रमाणन के लिए अंतरराष्ट्रीय नामांकन के लिए अर्हता प्राप्त करना।
- इसके बाद एक विशिष्ट सत्र आयोजित हुआ जिसमें हिंद महासागर क्षेत्र के विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों एवं राजदूतों ने निम्नलिखित विषयों पर चर्चा की-
- क्षेत्र के अंतर-देशीय संबंधों के विभिन्न पहलू एवं
- विश्व विरासत स्थल के दर्जे के लिए क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थलों का राष्ट्रीय नामांकन।
‘मौसम‘ परियोजना
- पृष्ठभूमि: वर्ष 2014 में दोहा, कतर में आयोजित यूनेस्को की 38वीं विश्व विरासत समिति की बैठक में भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा मौसम’ परियोजना प्रारंभ की गई थी।
- वर्तमान में, परियोजना का संचालन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा किया जा रहा है।
- मौसम परियोजना के बारे में: मानसून प्रतिरूप, सांस्कृतिक मार्गों एवं समुद्री परिदृश्य पर ध्यान केंद्रित करते हुए, ‘मौसम’ परियोजना प्रमुख प्रक्रियाओं तथा घटनाओं का परीक्षण कर रहा है जो हिंद महासागर के विभिन्न हिस्सों के साथ-साथ तटीय केंद्रों को उनके आंतरिक क्षेत्रों से जोड़ते हैं।
- क्रियान्वयनः ‘मौसम’ परियोजना संस्कृति मंत्रालय की परियोजना है।
- इसे इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर द आर्ट्स/आईजीएनसीए), नई दिल्ली द्वारा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण एवं राष्ट्रीय संग्रहालय के सहयोगी निकायों के समर्थन के साथ नोडल समन्वय एजेंसी के रूप में कार्यान्वित किया जाना है।