Table of Contents
टीबी के प्रति महिलाओं की विजय पर राष्ट्रीय सम्मेलन- यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: शासन, प्रशासन एवं चुनौतियां- केंद्र एवं राज्यों द्वारा आबादी के कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं एवं इन योजनाओं का प्रदर्शन;
- इन कमजोर वर्गों की सुरक्षा एवं बेहतरी के लिए गठित तंत्र, कानून, संस्थान एवं निकाय।
टीबी के प्रति महिलाओं की विजय पर राष्ट्रीय सम्मेलन- संदर्भ
- हाल ही में, भारत के उपराष्ट्रपति ने विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित किए जा रहे टीबी के प्रति महिलाओं की विजय पर राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया।
- वे टीबी के प्रति महिलाओं की विजय पर राष्ट्रीय सम्मेलन में मुख्य अतिथि हैं।
टीबी के प्रति महिलाओं की विजय पर राष्ट्रीय सम्मेलन
- टीबी के प्रति महिलाओं की विजय पर राष्ट्रीय सम्मेलन के बारे में: महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, नई दिल्ली के विज्ञान भवन में टीबी के प्रति महिलाओं की विजय पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन कर रहा है।
- उद्देश्य: क्षय रोग के प्रति महिलाओं की विजय पर राष्ट्रीय सम्मेलन –
- विभिन्न नीतिगत अंतःक्षेपों पर चर्चा करने का लक्ष्य निर्धारित करता है एवं
- जमीनी स्तर पर लिंग-संवेदनशील नीतियों के क्रियान्वयन का समर्थन करने एवं समर्थन करने हेतु सांसदों का समर्थन प्राप्त करने का अभिप्राय रखता है।
- इसका उद्देश्य लिंग अनुक्रियाशील टीबी देखभाल (जेंडर-रिस्पॉन्सिव टीबी केयर) को सुनिश्चित / विकसित करने हेतु प्रतिभागियों के साथ विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श करना है।
भारत में क्षय रोग- वर्तमान स्थिति
- भारत में प्रभावित व्यक्ति: तपेदिक संपूर्ण विश्व में एक सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बना हुआ है, जो अकेले भारत में प्रत्येक वर्ष लगभग 26 लाख व्यक्तियों के जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
- सामाजिक प्रभाव: सामाजिक मोर्चे पर, टीबी से प्रभावित व्यक्तियों एवं उनके परिवारों द्वारा सामाजिक कलंक तथा भेदभाव का सामना किया जाता है।
- महिलाओं पर प्रभाव: सामाजिक बाधाएं टीबी से प्रभावित महिलाओं को स्वतंत्र रूप से त्वरित एवं निरंतर स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंचने से रोकती हैं।
- यह देखभाल करने वालों के रूप में उनकी भूमिका को प्रभावित करता है तथा उनके पोषण, स्वास्थ्य एवं कल्याण की प्राथमिकता को रोकता है।
भारत में क्षय रोग के विरुद्ध लड़ाई: सरकार द्वारा उठाए गए कदम
- चूंकि भारत सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) का एक हस्ताक्षरकर्ता है, अतः हमारी राष्ट्रीय विकास कार्य सूची को जमीनी स्तर से टीबी के उन्मूलन हेतु परिकल्पित किया गया है।
- 2025 तक टीबी का उन्मूलन: जो कि 2030 की एसडीजी समय सीमा से आगे है। शून्य मृत्यु एवं शून्य टीबी रोग के साथ टीबी मुक्त भारत निर्मित करने की परिकल्पना की गई है।
- टीबी को समाप्त करने हेतु लैंगिक दृष्टिकोण: हमें टीबी को समाप्त करने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए-जिसमें लिंग-संवेदनशील एवं लिंग-विशिष्ट अंतःक्षेपों की ओर परिवर्तन सम्मिलित है।
- जेंडर-रिस्पॉन्सिव टीबी केयर: महिला एवं बाल विकास मंत्रालय तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय सम्मेलनों की एक श्रृंखला के माध्यम से इसके बारे में जागरूकता का प्रसार किया जा रहा है।
भारत में क्षय रोग के विरुद्ध लड़ाई: आगे की राह
राष्ट्रीय केंद्र बिंदु विशेष रूप से समाज के कमजोर वर्ग अथवा कमजोर परिस्थितियों में रह रहे व्यक्तियों की तपेदिक की रोकथाम, निदान एवं उपचार सेवाओं के लिए विभिन्न सामाजिक-सांस्कृतिक बाधाओं की पहचान करने पर आधारित है।
मानव अधिकारों पर आधारित एकीकृत, जन-केंद्रित, समुदाय-आधारित एवं लिंग-प्रतिक्रियाशील स्वास्थ्य सेवाओं को विकसित करने की आवश्यकता है।
फोकस गैर-विभेद, संसूचित विकल्प, संसूचित सहमति, गोपनीयता, सभी के लिए सम्मान, सभी के लिए पहुंच, साझेदारी में कार्य करने, व्यक्तियों एवं समूहों के अधिकारों को प्रोत्साहन प्रदान करने, उत्तरदायित्व को बढ़ावा देने एवं समुदायों को सशक्त बनाने के सिद्धांतों पर आधारित होना चाहिए।
टीबी समर्थन कार्यक्रमों को व्यक्तियों में फेफड़ों के स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता का लाभ प्रदान करना चाहिए क्योंकि महामारी के कारण रोग के बारे में संदेश प्रसारित किया जा सकता है।