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आधारभूत चरण के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा: यूपीएससी के लिए प्रासंगिकता
जीएस 2: शिक्षा, सरकारी नीतियां एवं अंतः क्षेप
आधारभूत चरण के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा: चर्चा में क्यों है?
हाल ही में, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने तीन से आठ वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों की मूलभूत स्तर की शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा का शुभारंभ किया।
आधारभूत चरण के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 क्या है?
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारत में शिक्षा को रूपांतरित कर रहा है।
- इसने हमारी शिक्षा प्रणाली को साम्यता एवं समावेश के साथ सभी के लिए उच्चतम गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्रदान करने के मार्ग पर स्थापित किया है।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के सर्वाधिक परिवर्तनकारी पहलुओं में नई 5+3+3+4 पाठ्यचर्या संरचना है जो 3 से 8 वर्ष के सभी बच्चों के लिए आरंभिक बाल्यावस्था की देखभाल एवं शिक्षा को एकीकृत करती है।
- आरंभिक बाल्यावस्था आजीवन सीखने एवं विकास की नींव रखता है – यह समग्र जीवन की गुणवत्ता का एक प्रमुख निर्धारक है।
- इस ढांचे से देश के सभी प्रकार के संस्थानों में उच्चतम गुणवत्ता युक्त मूलभूत शिक्षा प्रदान करने की अपेक्षा है।
आधारभूत चरण के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा: आधारभूत चरण 2022 के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा क्या है?
- राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क/NCF) नवीन शिक्षा नीति-2020 को लागू करने के लिए उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है।
- जैसा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में कहा गया है, नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क फॉर फाउंडेशनल स्टेज, पाठ्यक्रम संगठन, शिक्षा शास्त्र, समय एवं सामग्री संगठन तथा बच्चों के समग्र अनुभव के लिए वैचारिक, परिचालन एवं संचालन दृष्टिकोण के मूल में ‘खेल’ का उपयोग करता है।
- बच्चे खेल के माध्यम से सबसे अच्छा सीखते हैं, अतः राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा द्वारा परिकल्पित अधिगम (सीखने) से बच्चे के विकास के लिए संज्ञानात्मक, सामाजिक-भावनात्मक, शारीरिक सभी आयामों में उत्तेजक अनुभव प्रदान होंगे एवं हमारे सभी बच्चों के लिए मूलभूत साक्षरता तथा संख्यात्मकता की उपलब्धि भी सक्षम होगी।
- राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (एनसीएफ) का एक संस्थागत फोकस है, घर के वातावरण के महत्व को अधिक बल नहीं दिया जा सकता है – परिवार, विस्तारित परिवार, पड़ोसियों एवं करीबी समुदाय के अन्य लोगों सहित – जिनमें से सभी का बच्चों पर, विशेष रूप से इस आयु वर्ग में 3-8 वर्ष के बच्चों पर अत्यंत महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
- अतः, यह एनसीएफ इस चरण के दौरान मांगे गए विकासात्मक परिणामों को सक्षम करने एवं उनमें वृद्धि करने में शिक्षकों के साथ-साथ माता-पिता तथा समुदायों की भूमिका से व्यवहार करेगा।
आधारभूत चरण के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा: एनसीएफ 2022 के चार खंड
NCF-2022 में चार खंड हैं:
- विद्यालयी शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा
- आरंभिक बाल्यावस्था की देखभाल एवं शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा
- शिक्षक शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा तथा
- प्रौढ़ शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा।
आधारभूत चरण के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा: ‘पंचकोष‘ अवधारणा क्या है?
- ढांचे ने बच्चों की शिक्षा के लिए ‘पंचकोश’ अवधारणा को सूचीबद्ध किया है तथा इसके पांच भाग हैं शारीरिक विकास (फिजिकल डेवलपमेंट), जीवन ऊर्जा का विकास (प्राणिक विकास), भावनात्मक एवं मानसिक विकास (मेंटल डेवलपमेंट), बौद्धिक विकास ( इंटेलेक्चुअल डेवलपमेंट) तथा आध्यात्मिक विकास (चैतिक विकास)।
- पंचकोश मानव अनुभव एवं समझ में शरीर- मस्तिष्क परिसर के महत्व की एक प्राचीन व्याख्या है।
- मानव विकास के लिए यह गैर-द्विपक्षीय दृष्टिकोण एक अधिक समग्र शिक्षा की दिशा में स्पष्ट मार्ग तथा दिशा प्रदान करता है।
आधारभूत चरण के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा: आगे की राह
- शिक्षा, तंत्रिका विज्ञान एवं अर्थशास्त्र पर संपूर्ण विश्व से अनुसंधान स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करता है कि निशुल्क, सुलभ, उच्च गुणवत्ता युक्त आरंभिक बाल्यावस्था की देखभाल तथा शिक्षा सुनिश्चित करना संभवतः सर्वोत्तम निवेश है जो कोई भी देश अपने भविष्य के लिए कर सकता है, जैसा कि एनसीएफ ने आधारभूत चरण के लिए किया है।
- चूंकि बच्चे के कुल मस्तिष्क विकास का 85% से अधिक 6 वर्ष की आयु से पूर्व होता है, अतः उनके मस्तिष्क को उद्दीपित करने एवं उनके शारीरिक तथा भावनात्मक विकास का समर्थन करने के लिए उचित देखभाल प्रदान करना प्रत्येक बच्चे के लिए आवश्यक है।
- इन सभी कार्यों का उद्देश्य निम्नलिखित तीन विकासात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करना है: अच्छा स्वास्थ्य एवं तंदुरुस्ती बनाए रखना,
- प्रभावी संचारक बनना; तथा
- घनिष्ठ शिक्षार्थी बनना है।