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राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: शासन, प्रशासन एवं चुनौतियां
- विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकार की नीतियां एवं अंतः क्षेप तथा उनकी अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार चर्चा में क्यों है?
- हाल ही में मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के तहत पशुपालन तथा डेयरी विभाग ने 2022 के दौरान राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कारों के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं।
- राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार राष्ट्रीय दुग्ध दिवस (26 नवंबर, 2022) के अवसर पर प्रदान किए जाने हैं।
राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार
- राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार के बारे में: “राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम)”, देश में प्रथम बार दिसंबर 2014 में वैज्ञानिक रीति से स्वदेशी गोजातीय नस्लों के संरक्षण एवं विकास के उद्देश्य से प्रारंभ किया गया था।
- उद्देश्य: राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) के तहत दुग्ध उत्पादक किसान, इस क्षेत्र में काम करने वाले व्यक्तियों तथा डेयरी सहकारी समितियों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से प्रदान किए जाते हैं जो दुग्ध उत्पादकों को बाजार तक पहुंच प्रदान करते हैं।
- संबंधित मंत्रालय: मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के तहत पशुपालन तथा डेयरी विभाग द्वारा राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं।
- ऑनलाइन आवेदन: योग्य उम्मीदवार 01.08.2022 से राष्ट्रीय पुरस्कार पोर्टल अर्थात https://awards.gov.in के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
- आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 09.2022 है।
राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार की श्रेणियां
निम्नलिखित श्रेणियों में 2022 के दौरान राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे:
- देशी गाय/भैंस की नस्लों का पालन करने वाले सर्वश्रेष्ठ डेयरी किसान (पंजीकृत नस्लों की सूची संलग्न है)
- सर्वश्रेष्ठ कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन (आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन टेक्नीशियन/एआईटी)
- सर्वश्रेष्ठ डेयरी सहकारी समिति / दुग्ध उत्पादक कंपनी / डेयरी किसान उत्पादक संगठन।
राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार
राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार में प्रत्येक श्रेणी में योग्यता का प्रमाण पत्र, एक स्मृति चिन्ह और राशि निम्नानुसार है:
- 5,00,000/- (पांच लाख रुपये मात्र) – प्रथम स्थान
- 3,00,000/- (तीन लाख रुपये मात्र) – द्वितीय स्थान, एवं
- 2,00,000/- (दो लाख रुपये मात्र) – तृतीय स्थान
स्वदेशी गोजातीय नस्लों के विकास एवं संरक्षण के लिए सरकार के प्रयास
- पशुपालन एवं डेयरी विभाग किसानों को स्थायी आजीविका प्रदान करने के लिए पशुपालन तथा डेयरी क्षेत्र के प्रभावी विकास हेतु अनेक प्रयास कर रहा है।
- भारत की स्वदेशी गोजातीय नस्लें मजबूत हैं एवं राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की आनुवंशिक क्षमता रखती हैं।
- सरकार ने स्वदेशी गोजातीय नस्लों के वैज्ञानिक विकास एवं संरक्षण हेतु राष्ट्रीय गोकुल मिशन (गोकुल ग्राम) जैसी योजनाएं भी प्रारंभ की हैं।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन
- राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) के बारे में: राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) दिसंबर 2014 से स्वदेशी गोजातीय नस्लों के विकास एवं संरक्षण हेतु क्रियान्वित किया जा रहा है।
- 2400 करोड़ रुपये के बजट परिव्यय के साथ 2021 से 2026 तक अम्ब्रेला योजना राष्ट्रीय पशुधन विकास योजना के तहत राष्ट्रीय गोकुल मिशन भी जारी है।
- महत्व: राष्ट्रीय गोकुल मिशन निम्नलिखित हेतु महत्वपूर्ण है-
- दूध की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए दुग्ध उत्पादन एवं गायों की उत्पादकता में वृद्धि करना तथा
- डेयरी को देश के ग्रामीण किसानों के लिए अधिक लाभकारी बनाना।
- वित्त पोषण: योजना के सभी घटकों को निम्नलिखित घटकों को छोड़कर 100% अनुदान सहायता के आधार पर लागू किया जाएगा-
- भाग लेने वाले किसानों को भारत सरकार के अंश के रूप में 5000 रुपये प्रति आईवीएफ गर्भावस्था की घटक सब्सिडी के तहत त्वरित नस्ल सुधार कार्यक्रम उपलब्ध कराया जाएगा;
- घटक सब्सिडी के तहत लिंग क्रमबद्ध वीर्य को प्रोत्साहित करने हेतु वर्गीकृत किए गए वीर्य की लागत का 50% तक भाग लेने वाले किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा एवं
- परियोजना के अधिकतम 2.00 करोड़ रुपए तक की पूंजीगत लागत के 50 प्रतिशत तक घटक अनुदान के तहत नस्ल गुणन फार्म की स्थापना उद्यमियों को उपलब्ध कराई जाएगी।
- उद्देश्य:
- उन्नत तकनीकों का उपयोग करके गायों की उत्पादकता बढ़ाने एवं धारणीय विधि से दुग्ध उत्पादन में वृद्धि करना।
- प्रजनन उद्देश्यों के लिए उच्च आनुवंशिक योग्यता वाले सांडों के उपयोग का प्रचार करना।
- प्रजनन नेटवर्क को सुदृढ़ करने एवं किसानों के दरवाजे पर कृत्रिम गर्भाधान सेवाओं के वितरण के माध्यम से कृत्रिम गर्भाधान आच्छादन को बढ़ाना।
- वैज्ञानिक एवं समग्र रीति से स्वदेशी मवेशियों तथा भैंसों के पालन एवं संरक्षण को प्रोत्साहित करना।