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राष्ट्रीय लोक अदालत 2022- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: भारतीय संविधान- वैधानिक, नियामक एवं विभिन्न अर्ध-न्यायिक निकाय।
राष्ट्रीय लोक अदालत 2022 चर्चा में क्यों है?
- हाल ही में, सरकार ने घोषणा की कि निपटान के माध्यम से लंबित मामलों के निपटान के लिए देश भर में 12 नवंबर 2022 को राष्ट्रीय लोक अदालतों का आयोजन किया जाएगा।
- लोक अदालत प्रणाली के लाभों एवं पक्षकारों के मध्य आपसी समझौते को ध्यान में रखते हुए बड़ी संख्या में उपभोक्ता मामलों के निपटारे की अपेक्षा है।
- राष्ट्रीय लोक अदालतें नियमित अंतराल पर आयोजित की जाती हैं, जहां एक ही दिन में संपूर्ण देश में लोक अदालतें आयोजित की जाती हैं, सर्वोच्च न्यायालय से लेकर जिला स्तर तक सभी न्यायालयों में बड़ी संख्या में मामलों का निपटारा किया जाता है।
राष्ट्रीय लोक अदालत 2022- परिणामों को अधिकतम करने हेतु कदम
- उपभोक्ता मामले विभाग उपभोक्ताओं, कंपनियों एवं संगठनों तक एसएमएस तथा ईमेल के माध्यम से संपर्क कर रहा है ताकि अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच सकें एवं उपभोक्ताओं को लाभान्वित कर सकें।
- प्रौद्योगिकी की सहायता से, समस्त हित धारकों के मध्य एक अलग लिंक निर्मित किया एवं प्रसारित किया जा रहा है, जिसमें कोई भी अपना लंबित केस नंबर तथा कमीशन दर्ज कर सकता है जहां मामला लंबित है एवं मामले को सरलता से लोक अदालत में भेजा जा सकता है।
- लिंक ईमेल एवं एसएमएस के माध्यम से प्रसारित किया जाएगा।
- डेटा विश्लेषिकी (एनालिटिक्स) के माध्यम से, लंबित मामलों के क्षेत्र-वार वितरण की पहचान की गई है जैसे कि कुल 71379 लंबित मामलों के साथ बैंकिंग, 168827 के साथ बीमा, 1247 के साथ ई-कॉमर्स, 33919 के साथ बिजली, 2316 के साथ रेलवे, इत्यादि।
- ऐसे उपभोक्ता प्रकरणों के निराकरण की दिशा में प्राथमिकता के आधार पर कदम उठाए जा रहे हैं।
- विभाग आगामी राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से निपटाए जाने वाले लंबित उपभोक्ता मामलों को सम्मिलित करने हेतु राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी/एनएएलएसए) के साथ सहयोग करने की प्रक्रिया में है।
लोक अदालत
- लोक अदालत वैकल्पिक विवाद निवारण तंत्रों में से एक है जहां विवाद या विधि के न्यायालय में या मुकदमेबाजी-पूर्व के स्तर पर लंबित मामलों को सौहार्दपूर्ण ढंग से समझौता किया जाता है।
विधिक आधार
- विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत लोक अदालतों को वैधानिक दर्जा प्रदान किया गया है।
- यह अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 39ए के अनुसार समाज के कमजोर वर्गों को निशुल्क विधिक सेवाएं प्रदान करने के प्रावधानों का गठन करता है।
शक्तियां
- उक्त अधिनियम के तहत, लोक अदालतों द्वारा दिए गए निर्णय को एक दीवानी अदालत का आदेश माना जाता है तथा यह सभी पक्षों के लिए अंतिम एवं बाध्यकारी होता है तथा इस प्रकार के निर्णय के विरुद्ध किसी भी न्यायालय के समक्ष कोई अपील नहीं होती है।
- यदि पक्ष लोक न्यायालय के अधिनिर्णय से संतुष्ट नहीं हैं, तो ऐसे अधिनिर्णय के विरुद्ध अपील करने का कोई प्रावधान नहीं है, तथापि वे उपयुक्त क्षेत्राधिकार वाले न्यायालय में जाकर वाद प्रारंभ करने के लिए स्वतंत्र हैं।
कोई न्यायालय शुल्क नहीं
- जब लोक अदालत में वाद दायर किया जाता है तो किसी प्रकार का न्यायालय शुल्क देय नहीं होता है।
- यदि न्यायालय में लंबित मामला लोक अदालत को भेजा जाता है तथा बाद में उसका निपटान हो जाता है, तो मूल रूप से अदालत में शिकायतों/याचिका पर भुगतान किया गया न्यायालय शुल्क भी पक्षकारों को वापस कर दिया जाता है।
लोक अदालत की संरचना
- एक क्षेत्र के लिए आयोजित प्रत्येक लोक अदालत में सम्मिलित होंगे:
- अध्यक्ष के रूप में एक न्यायिक अधिकारी, एवं
- एक अधिवक्ता तथा एक सामाजिक कार्यकर्ता सदस्य के रूप में सम्मिलित होंगे।
लोक अदालत के प्रकार
- राष्ट्रीय लोक अदालत
- ये राज्य प्राधिकरण स्तर से तालुका स्तर तक सभी स्तरों पर संपूर्ण देश में नियमित अंतराल पर आयोजित किए जाते हैं।
- स्थायी लोक अदालत
- इन्हें एक अध्यक्ष एवं दो सदस्यों के साथ स्थायी निकायों के रूप में स्थापित किया जाता है जो सार्वजनिक उपादेयता सेवाओं से संबंधित मामलों के निपटारे के लिए एक मुकदमेबाजी-पूर्व तंत्र प्रदान करते हैं।
- यदि विवाद के पक्षकार निपटान तंत्र का अनुसरण करने में विफल रहते हैं, तो स्थायी लोक अदालत के पास वाद के निर्णय करने का अधिकार क्षेत्र है।
- भारत के विधिक सेवा प्राधिकरण के अनुसार, स्थायी लोक अदालत का अधिकार क्षेत्र 10 लाख से अधिक नहीं है।
- चलंत लोक अदालत
- चलंत (मोबाइल) लोक अदालत ऐसी अदालतें हैं जो विवाद में पक्षों को सौहार्दपूर्ण समाधान तक पहुंचने में सहायता करने हेतु एक स्थान से दूसरे स्थान की यात्रा करती हैं।