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राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर:
- राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (नेशनल मैरीटाइम हेरिटेज कॉम्प्लेक्स/एनएमएचसी) यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा एवं यूपीएससी मुख्य परीक्षा के जीएस पेपर 1 के लिए भी महत्वपूर्ण है।
राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर- चर्चा में क्यों है?
- हाल ही में, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ड्रोन की सहायता से गुजरात के लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर के स्थल पर कार्य की प्रगति प्रगति की समीक्षा की।
राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर
- राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (NMHC)के बारे में: लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (NMHC) को भारत की समृद्ध एवं विविध समुद्री विरासत को प्रदर्शित करने हेतु अपनी तरह की एक विशिष्ट परियोजना के रूप में विकसित किया जा रहा है।
- राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (NMHC) परियोजना की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रखी गई थी एवं मार्च 2019 में महायोजना (मास्टर प्लान) के लिए सहमति दी गई थी।
- संबद्ध मंत्रालय: राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर, लोथल को बंदरगाह, जहाजरानी एवं जलमार्ग मंत्रालय के समग्र पर्यवेक्षण तथा मार्गदर्शन में निर्मित किया जा रहा है।
- यह लोथल को विश्व स्तरीय अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में उभरने में भी सहायता प्रदान करेगा।
- लागत: राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर का निर्माण कुल 3500 करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा है।
लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर की प्रमुख विशेषताएं क्या हैं?
- राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर में अनेक नवीन तथा अनूठी विशेषताएं होंगी जैसे-
- हड़प्पा वास्तुकला एवं जीवन शैली को पुनर्निर्मित करने हेतु लोथल लघु पुनर्निर्माण,
- चार थीम पार्क –
- मेमोरियल थीम पार्क,
- समुद्री एवं नौसेना थीम पार्क,
- जलवायु थीम पार्क, तथा
- साहसिक एवं मनोरंजन थीम पार्क।
- यह अन्य के साथ निम्नलिखित को भी आश्रय प्रदान करेगा- खोल
- विश्व का सर्वाधिक ऊंचा लाइटहाउस संग्रहालय,
- चौदह दीर्घाएं जो हड़प्पा काल से वर्तमान समय तक की भारत की समुद्री विरासत को प्रकाशित करती हैं,
- राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की विविध समुद्री विरासत को प्रदर्शित करने वाला एक तटीय राज्य मंडप।
राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर का महत्व
- राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर, लोथल को विश्व स्तरीय अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में उदय होने में सहायता प्रदान करेगा।
- लोथल में एक समुद्री विरासत परिसर शहर की ऐतिहासिक परंपरा एवं विरासत के लिए एक उपयुक्त सम्मान है।
- लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर भारत के विविध समुद्री इतिहास के अध्ययन तथा समझने के केंद्र के रूप में कार्य करेगा।
- इस परियोजना के माध्यम से पर्यटन क्षमता को प्रोत्साहित करने से क्षेत्र के आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।
लोथल- एक हड़प्पा सभ्यता स्थल
- पृष्ठभूमि: लोथल प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता के सर्वाधिक दक्षिणी स्थलों में से एक था, जो आधुनिक राज्य गुजरात में अवस्थित है।
- माना जाता है कि शहर का निर्माण 2200 ईसा पूर्व के आसपास आरंभ हुआ था।
- प्राचीन शहर का पता लगाने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया/एएसआई) द्वारा 13 फरवरी 1955 से 19 मई 1960 तक उत्खनन कार्य प्रारंभ किया गया था।
- पुरातत्वविदों का मानना है कि यह शहर सिंध से गुजरात में सौराष्ट्र तक के प्राचीन व्यापार मार्ग पर एक प्रमुख नदी प्रणाली का हिस्सा था।
- लोथल के बारे में: लोथल हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख शहरों में से एक था तथा सर्वाधिक प्राचीन मानव निर्मित गोदी की खोज के लिए जाना जाता है।
- अवस्थिति: लोथल गुजरात में; खंभात की खाड़ी के समीप भोगवा नदी के तट पर अवस्थित है।
- मुख्य खोज: लोथल हड़प्पा साइट से प्रमुख खोज निम्नलिखित हैं-
- बंदरगाह नगर
- कब्रिस्तान
- हाथी दांत के बने तराजू
- ताम्र निर्मित कुत्ता
- मानव निर्मित प्रथम बंदरगाह
- गोदी
- चावल की भूसी
- आग
- शतरंज का खेल
- महत्व: कलाकृतियों से ज्ञात होता है कि लोथल से व्यापार मेसोपोटामिया, मिस्र तथा फारस के साथ किया गया हो सकता है।
- यहां उत्खनन द्वारा बाजार एवं गोदी के साथ एक पूरी बस्ती का पता चला है।