Home   »   Multidimensional Poverty Index 2021   »   राष्ट्रीय बहुआयामी निर्धनता सूचकांक
Top Performing

राष्ट्रीय बहुआयामी निर्धनता सूचकांक

राष्ट्रीय बहुआयामी  निर्धनता सूचकांक: प्रासंगिकता

  • जीएस 2: निर्धनता एवं भूख से संबंधित मुद्दे।

 

राष्ट्रीय बहुआयामी  निर्धनता सूचकांक: प्रसंग

  • हाल ही में, नीति आयोग ने ऑक्सफोर्ड निर्धनता एवं मानव विकास पहल (ओपीएचआई) तथा संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) के सहयोग से राष्ट्रीय बहुआयामी निर्धनता सूचकांक आधार रेखा रिपोर्ट जारी की है।

हिंदी

 

राष्ट्रीय बहुआयामी  निर्धनता सूचकांक: मुख्य बिंदु

  • भारत के प्रथम राष्ट्रीय बहुआयामी  निर्धनता सूचकांक मापक की यह आधारभूत रिपोर्ट राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 (एनएफएचएस-4) 2015-16 पर आधारित है।
  • राष्ट्रीय बहुआयामी निर्धनता सूचकांक मापक का निर्माण बारह प्रमुख घटकों का उपयोग करके किया गया है जो स्वास्थ्य एवं पोषण, शिक्षा तथा जीवन  यापन के स्तर जैसे क्षेत्रों को  सम्मिलित करता है।
  • अल्किरे-फोस्टर पद्धति: अल्किरे-फोस्टर पद्धति बहुआयामी निर्धनता को मापने हेतु एक सामान्य संरचना है जो दोहरे कटऑफ गणना पद्धति के आधार पर लोगों को निर्धन अथवा निर्धन नहीं के रूप में  अभिनिर्धारित करती है। राष्ट्रीय बहुआयामी  निर्धनता सूचकांक इस पद्धति का उपयोग करता है।
  • राष्ट्रीय बहुआयामी निर्धनता सूचकांक प्रतिमान वैश्विक बहुआयामी  निर्धनता सूचकांक प्रतिमान के दस संकेतकों को प्रतिधारित करता है।
  • भारत के बहुआयामी निर्धनता सूचकांक में तीन समान रूप से भारित आयाम – स्वास्थ्य, शिक्षा एवं जीवन स्तर हैं – जिन्हें बारह संकेतकों द्वारा प्रदर्शित किया गया है।
  • राष्ट्रीय बहुआयामी निर्धनता सूचकांक: एनएफएचएस -4 (2015-16) पर आधारित बेसलाइन रिपोर्ट सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के लक्ष्य 2 की दिशा में प्रगति को मापने की दिशा में एक योगदान है, जिसका उद्देश्य निर्धनता में इसके सभी आयामों में जीवन यापन कर रहे पुरुषों, महिलाओं एवं सभी उम्र के बच्चों  के अनुपात को “न्यूनतम आधा करना” है।
  • राष्ट्रीय बहुआयामी निर्धनता सूचकांक रिपोर्ट राष्ट्रीय, राज्य/संघ राज्य क्षेत्र एवं जिला स्तरों पर कर्मचारियों की संख्या के अनुपात एवं बहुआयामी निर्धनता की तीव्रता का गहन विश्लेषण प्रस्तुत करती है।

 

 

राष्ट्रीय बहुआयामी  निर्धनता सूचकांक: प्रमुख निष्कर्ष

  • रिपोर्ट में पाया गया है कि बिहार में बहुआयामी निर्धन व्यक्तियों का अनुपात सर्वाधिक है।
    • बिहार में आधे से अधिक व्यक्तियों (52%) को बहुआयामी निर्धन के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • बिहार के बाद झारखंड एवं उत्तर प्रदेश का स्थान है।
  • बिहार में कुपोषित व्यक्तियों की संख्या सर्वाधिक है, इसके बाद झारखंड, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ आते हैं।
  • केरल, गोवा एवं सिक्किम में बहुआयामी निर्धन जनसंख्या का प्रतिशत न्यूनतम है।
  • सर्वाधिक निर्धन केंद्र शासित प्रदेश: दादरा एवं नगर हवेली, जम्मू एवं कश्मीर, लद्दाख, दमन एवं दीव तथा चंडीगढ़।
    • पुडुचेरी में निर्धनों का अनुपात 72 प्रतिशत है जो केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे कम है।

हिंदी

 

राष्ट्रीय बहुआयामी  निर्धनता सूचकांक: भारत में निर्धनता की माप

  • पूर्व में, यह पद्धति थी कि बुनियादी आवश्यकताओं को पूर्ण करने हेतु वस्तुओं एवं सेवाओं की एक टोकरी खरीदने के लिए आवश्यक न्यूनतम आय (या व्यय) को निर्दिष्ट किया जाए।
  • इस पारंपरिक पद्धति के लिए पहले निर्धनता रेखा को परिभाषित करने की आवश्यकता थी, जिसे सी रंगराजन समिति ने 2014 में ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति 972 रुपये प्रति माह एवं शहरी क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति 1,407 रुपये प्रति माह 2011-12 की कीमतों पर होने का अनुमान लगाया था।
बहुआयामी निर्धनता सूचकांक 2021 वैश्विक पोषण रिपोर्ट 2021 पोषण स्मार्ट गांव पोषण 2.0
वैश्विक खाद्य सुरक्षा सूचकांक 2021 वैश्विक भूख सूचकांक 2021 भूख अधिस्थल: एफएओ-डब्ल्यूएफपी की एक रिपोर्ट प्रच्छन्न भूख का मुकाबला: चावल का प्रबलीकरण
न्यूनतम विकसित देशों की रिपोर्ट बिल्ड बैक बेटर वर्ल्ड (बी3डब्ल्यू) वैश्विक कृषि उत्पादकता रिपोर्ट 2021 विश्व असमानता रिपोर्ट 2022

 

Sharing is caring!

राष्ट्रीय बहुआयामी निर्धनता सूचकांक_3.1