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सहकारिता पर राष्ट्रीय नीति- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: शासन, प्रशासन एवं चुनौतियां- विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकार की नीतियां एवं अंतः क्षेप तथा उनके अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
सहकारिता पर राष्ट्रीय नीति चर्चा में क्यों है?
- हाल ही में, सहकारिता मंत्रालय की वेबसाइट के माध्यम से आम जनता सहित हितधारकों से सहकारिता पर नीति के प्रारूप से संबंधित सुझाव मांगे गए थे।
- सरकार सहकारी समितियों के लिए राष्ट्रीय स्तर की नवीन नीति का निर्माण कर रही है।
नवीन सहकारिता नीति पर राष्ट्रीय सम्मेलन
- नवीन सहकारिता नीति के बारे में: नवीन सहकारिता नीति पर राष्ट्रीय सम्मेलन 12 एवं 13 अप्रैल, 2022 को सभी राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों के सहकारिता सचिवों / आरसीएस के साथ आयोजित किया गया था।
- कार्य सूची: नवीन सहकारिता नीति पर राष्ट्रीय सम्मेलन में अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित विषयों पर चर्चा हुई थी-
- विधिक ढांचा, नियामक, नीति एवं परिचालन संबंधी बाधाओं की पहचान;
- व्यापारिक सुगमता;
- शासन को सशक्त करने हेतु सुधार;
- नवीन एवं सामाजिक सहकारी समितियों को बढ़ावा देना;
- निष्क्रिय सहकारी समितियों को पुनर्जीवित करना;
- सहकारी समितियों को जीवंत आर्थिक संस्था बनाना;
- सहकारी समितियों के मध्य सहकारिता एवं सहकारी समितियों की सदस्यता में वृद्धि करना।
भारत की सहकारी संरचना को मजबूत करने हेतु सरकार द्वारा उठाए गए कदम
- आयकर में कमी: सरकार ने सहकारी चीनी मिलों को यह स्पष्ट करते हुए राहत प्रदान की है कि किसानों को उचित एवं लाभकारी मूल्य (फेयर एंड रिमुनरेटिव प्राइस/FRP) या राज्य विवेचित मूल्य (स्टेट एडवाइज्ड प्राइस/SAP) तक गन्ने के उच्च मूल्य का भुगतान करने के लिए उन्हें अतिरिक्त आयकर के अधीन नहीं किया जाएगा।
- अधिशुल्क में कमी: सरकार ने सहकारी समितियों के लिए अधिशुल्क (सरचार्ज) को 12% से घटाकर 7% कर दिया, जिनकी कुल आय 1 करोड़ रुपए से अधिक एवं 10 करोड़ रुपये तक है।
- इसके अतिरिक्त, सहकारी समितियों एवं कंपनियों के मध्य एक समान अवसर प्रदान करने के लिए, सहकारी समितियों के लिए न्यूनतम वैकल्पिक कर (मिनिमम अल्टरनेटिव टैक्स/एमएटी) की दर 18.5 प्रतिशत से घटाकर 15% कर दी गई थी।
- सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट (क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज/CGTMSE): इसने निर्दिष्ट पात्रता मानदंड के साथ गैर-अधिसूचित शहरी सहकारी बैंकों, राज्य सहकारी बैंकों एवं जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों को योजना के सदस्य ऋण संस्थानों के रूप में अधिसूचित किया।
- इससे सहकारिता आधारित आर्थिक विकास प्रतिमान को प्रोत्साहित करने हेतु सहकारी संस्थाओं को पर्याप्त, वहनीय एवं समय पर ऋण उपलब्ध कराने में सहायता प्राप्त होगी।
- सरकारी ई-मार्केटप्लेस के अधिदेश का विस्तार – विशेष प्रयोजन वाहन (गवर्नमेंट ई मार्केटप्लेस- स्पेशल परपज व्हीकल/जीईएम – एसपीवी): सहकारी समितियों को जीईएम प्लेटफॉर्म पर क्रेता के रूप में पंजीकरण करने की अनुमति प्रदान करने हेतु इसका विस्तार किया गया है।
- प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (प्राइमरी एग्रीकल्चर क्रेडिट सोसायटी/PACS) का डिजिटलीकरण: सहकारी क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के लिए 2,516 करोड़ रुपये के बजटीय परिव्यय के साथ 63,000 कार्यात्मक प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) के डिजिटलीकरण के लिए एक केंद्र प्रायोजित परियोजना को स्वीकृति प्राप्त हो गई है।
- पैक्स के लिए आदर्श उप-नियम: पैक्स के व्यावसायिक क्रियाकलापों में विविधता लाने एवं उन्हें जीवंत बहुउद्देशीय आर्थिक संस्था बनाने के लिए, राज्य सरकारों, राष्ट्रीय सहकारी संघों एवं अन्य हितधारकों के परामर्श से प्रारूप आदर्श उप-नियम तैयार किए जा रहे हैं।
- सहकारिता को प्रोत्साहित करने की योजना: सभी स्तरों पर सहकारी समितियों के सर्वांगीण विकास के लिए सभी हितधारकों के परामर्श से “समृद्धि के लिए सहकारिता” (कॉऑपरेशन टू प्रोस्पेरिटी) नामक एक नवीन योजना निर्मित की जा रही है।
- राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस: सरकार को उचित नीतिगत अंतःक्षेप निर्मित करने की सुविधा के लिए, राज्य/संघ राज्य क्षेत्रों की सरकारों, राष्ट्रीय सहकारी संघों एवं अन्य हितधारकों के परामर्श से एक राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस बनाया जा रहा है।
- प्रशिक्षण एवं शिक्षा का पुन: उन्मुखीकरण: सहकारी क्षेत्र में शिक्षा एवं प्रशिक्षण को आधुनिक बनाने तथा व्यावसायिक बनाने के लिए, सभी हितधारकों के परामर्श से प्रशिक्षण और शैक्षिक सहकारी संस्थानों को पुनर्निर्देशित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
सहकारिता से संबंधित संवैधानिक प्रावधान
- संविधान (97वां संशोधन) अधिनियम, 2011 ने भारत में कार्यरत सहकारी समितियों के संबंध में भाग IX ए (नगरपालिका) के शीघ्र पश्चात एक नया “भाग IXबी” जोड़ा।
- अनुच्छेद 19(1)(सी) संविधान के भाग III के तहत: “सहकारिता” का प्रावधान करता है, जिससे सभी नागरिकों को मौलिक अधिकार का दर्जा देकर सहकारी समितियों की स्थापना करने हेतु अनुमति प्राप्त होती है।
- “सहकारी समितियों के प्रसार” के संबंध में राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों (भाग IV) में अनुच्छेद 43 बी जोड़ा गया था।