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साहसिक पर्यटन के लिए राष्ट्रीय रणनीति- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: शासन, प्रशासन एवं चुनौतियां- विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकार की नीतियां एवं अंतः क्षेप तथा उनकी अभिकल्पना एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
साहसिक पर्यटन के लिए राष्ट्रीय रणनीति चर्चा में क्यों है?
- हाल ही में, केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने भारत को विश्व स्तर पर एक पसंदीदा साहसिक पर्यटन स्थल के रूप में बढ़ावा देने के लिए साहसिक पर्यटन हेतु एक राष्ट्रीय रणनीति तैयार की है।
साहसिक पर्यटन के लिए राष्ट्रीय रणनीति
- साहसिक पर्यटन के लिए राष्ट्रीय रणनीति के बारे में: पर्यटन मंत्रालय ने सतत पर्यटन पर एक राष्ट्रीय रणनीति का प्रारूप तैयार किया है जो पर्यावरणीय धारणीयता को प्रोत्साहित करने, जैव विविधता की रक्षा करने, आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देने एवं सामाजिक-सांस्कृतिक सातत्य को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
- पर्यटन मंत्रालय ने साहसिक पर्यटन को एक आला पर्यटन उत्पाद के रूप में मान्यता दी है, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ भारत को 365 दिनों के गंतव्य के रूप में प्रोत्साहित करने तथा विशिष्ट रुचि वाले पर्यटकों को आकर्षित करने हेतु जल क्रीड़ा गतिविधियां सम्मिलित हैं।
- अधिदेश: रणनीति का उद्देश्य पर्यटन क्षेत्र में स्थिरता को मुख्यधारा में लाना है। सतत पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए साहसिक पर्यटन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है।
- विजन: विश्व स्तर पर साहसिक पर्यटन के लिए भारत को एक पसंदीदा गंतव्य के रूप में स्थान देना।
- मिशन: देश में साहसिक पर्यटन के विकास के लिए एक सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना एवं साहसिक पर्यटन के विकास के लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, निजी क्षेत्र तथा स्थानीय समुदायों के मध्य सामंजस्य स्थापित करना।
- रणनीति के तहत रणनीतिक स्तंभ: साहसिक पर्यटन के लिए राष्ट्रीय रणनीति की प्रारूप रणनीति के रणनीतिक स्तंभों के रूप में निम्नलिखित को अभिनिर्धारित करता है-
- राज्य मूल्यांकन, रैंकिंग एवं रणनीति
- कौशल, क्षमता निर्माण तथा प्रमाणन
- विपणन एवं प्रचार
- साहसिक पर्यटन सुरक्षा प्रबंधन ढांचे को सुदृढ़ बनाना
- राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय बचाव तथा संचार ग्रिड
- गंतव्य एवं उत्पाद विकास
- शासन तथा संस्थागत ढांचा
साहसिक पर्यटन के लिए राष्ट्रीय रणनीति का कार्यान्वयन
- राष्ट्रीय साहसिक पर्यटन बोर्ड (नेशनल बोर्ड फॉर एडवेंचर टूरिज्म/एनबीएटी): इसका गठन सचिव (पर्यटन) की अध्यक्षता में किया गया है।
- राष्ट्रीय साहसिक पर्यटन बोर्ड में चिन्हित केंद्रीय मंत्रालयों/संगठनों, राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्रों के प्रशासनों एवं उद्योग हितधारकों के प्रतिनिधि सम्मिलित होते हैं।
- अधिदेश: राष्ट्रीय साहसिक पर्यटन बोर्ड को देश में साहसिक पर्यटन को प्रोत्साहित करने एवं विकसित करने की रणनीति के संचालन तथा कार्यान्वयन के उद्देश्य से दायित्व सौंपा गया है।
- राष्ट्रीय साहसिक पर्यटन बोर्ड (एनबीएटी) का कार्य क्षेत्र:इस के क्रियाकलापों के दायरे में निम्नलिखित सम्मिलित हैं-
- विस्तृत कार्य योजना एवं समर्पित योजना तैयार करना
- प्रमाणन योजना
- सुरक्षा निर्देश
- क्षमता निर्माण, राष्ट्रीय एवं वैश्विक सर्वोत्तम पद्धतियों की प्रतिकृति
- राज्य की नीतियों का आकलन एवं रैंकिंग
- विपणन एवं प्रचार
- गंतव्य तथा उत्पाद विकास
- निजी क्षेत्र की भागीदारी
- साहसिक पर्यटन के लिए विशिष्ट रणनीतियाँ
- देश में साहसिक पर्यटन के विकास के लिए कोई अन्य उपाय।
- राष्ट्रीय जल खेल संस्थान (नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर वाटर स्पोर्ट्स/एनआईडब्ल्यूएस): पर्यटन मंत्रालय, एनआईडब्ल्यूएस, गोवा के माध्यम से विभिन्न कौशल विकास पाठ्यक्रमों के माध्यम से जल क्रीड़ा संचालकों को प्रशिक्षण प्रदान करता है एवं प्रशिक्षुओं को प्रमाणित करता है।
भारत में साहसिक पर्यटन
- साहसिक पर्यटन क्या है?
- साहसिक पर्यटन एक यात्रा है जिसमें निम्नलिखित तीन तत्वों में से कम से कम दो सम्मिलित होते हैं: शारीरिक गतिविधि, प्राकृतिक वातावरण एवं सांस्कृतिक तन्मयता।
- साहसिक पर्यटन के प्रकार:
- कठिन साहसिक गतिविधियां: साहसिक पर्यटन गतिविधियां जिनमें उच्च स्तर का जोखिम सम्मिलित होता है तथा इसके लिए उच्च स्तर की विशेषज्ञता, कौशल, प्रशिक्षण एवं अनुभव की आवश्यकता होती है।
- अधिक ऊंचाई पर (हाई एल्टीट्यूड) पर्वतारोहण, रिवर राफ्टिंग, स्कूबा डाइविंग, हैंग ग्लाइडिंग, स्काईडाइविंग इत्यादि कठिन साहसिक गतिविधियां हैं।
- सौम्य साहसिक गतिविधियां: साहसिक पर्यटन गतिविधियां जिनमें मध्यम स्तर का जोखिम होता है एवं इन गतिविधियों में सम्मिलित होने हेतु पर्यटकों को विशेष कौशल या अनुभव की आवश्यकता नहीं होती है।
- अधिकांश पर्यटक मनोरंजन एवं मौज-मस्ती के लिए सौम्य साहसिक गतिविधियां (सॉफ्ट एडवेंचर एक्टिविटीज) करते हैं क्योंकि इसमें जोखिम का स्तर कम होता है।
- हाइकिंग, कैंपिंग, बाइकिंग, सौम्य साहसिक क्रियाकलापों के अंतर्गत आता है।
- कठिन साहसिक गतिविधियां: साहसिक पर्यटन गतिविधियां जिनमें उच्च स्तर का जोखिम सम्मिलित होता है तथा इसके लिए उच्च स्तर की विशेषज्ञता, कौशल, प्रशिक्षण एवं अनुभव की आवश्यकता होती है।
- साहसिक पर्यटन – भारत का महत्वपूर्ण भौगोलिक लाभ
- हिमालय का 70 प्रतिशत
- समुद्र तट के 7,000 किमी
- गर्म एवं ठंडे दोनों प्रकार के मरुस्थलों वाले विश्व के तीन देशों में से एक
- वन आच्छादन के अंतर्गत कुल क्षेत्रफल में 10वां स्थान
- मान्यता प्राप्त यूनेस्को प्राकृतिक विरासत स्थलों की संख्या के मामले में छठा स्थान
- साहसिक पर्यटन के लिए भारत की क्षमता: प्राकृतिक संपदा एवं क्षमता के बावजूद, वैश्विक साहसिक पर्यटन में भारत का स्थान काफी नीचे है।
- भारत में साहसिक गतिविधियों एवं खेलों के लिए वैश्विक बाजार बनने की अपार संभावनाएं हैं।
- भारत में विश्व के विभिन्न हिस्सों से साहसिक पर्यटकों को आकर्षित करने की अपरिमित क्षमता है।
- उत्तर से दक्षिण एवं पूर्व से पश्चिम तक, देश की भौगोलिक स्थिति साहसिक पर्यटन के अवसरों के विकास के संबंध में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त प्रदान करती है।