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नेपाल नागरिकता कानून-यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- सामान्य अध्ययन II- द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह तथा भारत से जुड़े एवं/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते।
नेपाल नागरिकता कानून चर्चा में क्यों है?
- नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2006 को प्रतिनिधि सभा (हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स), नेपाल संसद के निम्न सदन में वापस भेज दिया, सदस्यों से अधिनियम पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया।
नेपाल में नागरिकता का मुद्दा क्या है?
- नेपाल 2006 में राजशाही के पतन एवं 2008 में माओवादी सरकार के पश्चात के चुनाव के साथ एक लोकतंत्र में परिवर्तित हुआ।
- 20 सितंबर, 2015 को एक संविधान को अंगीकृत करने के पश्चात बहुदलीय प्रणाली का उदय हुआ।
- इस तिथि से पूर्व जन्म लेने वाले सभी नेपाली नागरिकों को प्राकृतिक नागरिकता मिल गई, किंतु उनके बच्चे नागरिकता के बिना रह गए क्योंकि उन्हें एक संघीय कानून द्वारा निर्देशित किया जाना था जिसे अभी तक तैयार नहीं किया गया है।
- इस संशोधन अधिनियम से ऐसे अनेक राज्य विहीन युवाओं के साथ-साथ उनके माता-पिता के लिए नागरिकता का मार्ग प्रशस्त होने की संभावना है।
अधिनियम के साथ क्या समस्याएं हैं?
- नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2006 के विरुद्ध मुख्य आलोचना यह है कि यह लैंगिक न्याय के स्थापित मानकों के विरोध में जाता है।
- सरसरी तौर पर अध्ययन से कानून के विभिन्न वर्गों के मध्य अंतर्विरोधों का भी पता चलता है।
- अनुच्छेद 11(2बी) के अनुसार, नेपाली नागरिकता वाले पिता या माता से जन्म लेने वाला व्यक्ति वंश के आधार पर नागरिकता प्राप्त कर सकता है।
- संविधान का अनुच्छेद 11(5) कहता है कि एक व्यक्ति जो एक नेपाली मां (जो देश में निवास कर चुकी है) एवं एक अज्ञात पिता से पैदा हुआ है, उसे भी वंश आधारित नागरिकता प्राप्त हो जाएगी किंतु यह धारा एक मां के लिए अपमानजनक प्रतीत होती है क्योंकि उसे यह घोषित करना होता है कि बच्चे के नागरिकता के लिए पात्र होने के लिए उसके पति की पहचान नहीं है।
- नेपाली पिता के मामले में, ऐसी घोषणाओं की आवश्यकता नहीं है।
- अनुच्छेद 11 (7) जो कहता है कि एक नेपाली मां एवं एक विदेशी नागरिकता वाले पिता से पैदा हुए बच्चे को नेपाल के कानूनों के अनुसार “प्राकृतिक नागरिकता” प्राप्त हो सकती है, जो अनुच्छेद 11(2बी) का खंडन करता है।
- यह माँ (एवं बच्चे) पर स्थायी निवास की शर्त आरोपित करता है जो बच्चे के लिए नागरिकता प्रदान करने का निर्धारण करेगा।
संशोधन क्यों तैयार किया गया है?
- देश के रूढ़िवादी वर्गों में एक स्पष्ट चिंता है कि नेपाली पुरुष, विशेष रूप से तराई क्षेत्र से, उत्तरी भारत की महिलाओं से विवाह करना जारी रखते हैं, इस “बेटी-रोटी” (भारतीय महिलाओं से विवाह करने वाले नेपाली पुरुष) के कारण नेपाली पहचान कम हो जाएगी। ) मुद्दा, अनेक महिलाएं नेपाल की नागरिक नहीं बन सकीं क्योंकि नेपाल में नागरिकता के लिए आवेदन करने से पूर्व उन्हें कुख्यात सात वर्ष की उपशमन अवधि (कूलिंग ऑफ पीरियड) के अधीन किया गया था।
- चूंकि ऐसी महिलाएं राज्य विहीन थीं, ऐसे परिवारों के बच्चे भी प्रायः नेपाली नागरिकता के बिना पाए जाते थे।
- नवीन संशोधनों ने इन राज्य विहीन महिलाओं के लिए उपशमन अवधि को समाप्त कर दिया है। इससे ऐसे परिवारों के बच्चों को लाभ होगा जहां मां एवं बच्चे वर्षों तक राज्य विहीन रहे।
अधिनियम के लिए आगे की राह क्या है?
- नेपाल नागरिकता संघर्ष समिति ने काठमांडू में विरोध प्रदर्शन किया एवं मांग की कि राष्ट्रपति भंडारी को उस अधिनियम का अनुसमर्थन करना चाहिए जिसे प्रतिनिधि सभा द्वारा दूसरी बार पारित किया गया था। उनका तर्क है कि भारतीय मूल की महिलाएं, जो उपशमन अवधि (कूलिंग ऑफ पीरियड) एवं नौकरशाही शिथिलता के कारण अधिकारों से वंचित थीं एवं उनके बच्चे राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा अधिनियम को मान्यता नहीं प्रदान करने पर राज्य विहीन स्थिति में फंस जाएंगे।