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परियोजना नेत्रा यूपीएससी: प्रासंगिकता
- जीएस 3: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष के क्षेत्र में जागरूकता।
प्रोजेक्ट नेत्रा: संदर्भ
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन/इसरो) नेटवर्क फॉर स्पेस ऑब्जेक्ट ट्रैकिंग एंड एनालिसिस (नेत्रा) परियोजना के तहत नए रडार एवं ऑप्टिकल टेलीस्कोप तैनात करके अपनी कक्षीय मलबे की ट्रैकिंग क्षमता का निर्माण कर रहा है।
प्रोजेक्ट नेत्रा इसरो: मुख्य बिंदु
- सरकार ने रडार की तैनाती के लिए हरी झंडी दे दी है, जो 10 सेमी तथा उससे अधिक आकार की वस्तुओं का पता लगाने एवं उन पर नज़र रखने में सक्षम होगा।
प्रोजेक्ट नेत्रा: क्यों आवश्यक है?
- अंतरिक्ष का मलबा अंतरिक्ष में भारतीय परिसंपत्तियों के लिए खतरे में वृद्धि कर रहा है।
- विगत वर्ष, अंतरिक्ष एजेंसी ने LEO (लो अर्थ ऑर्बिट) में 4,382 घटनाओं तथा भू तुल्यकाली कक्षा में 3,148 घटनाओं का अनुश्रवण किया, जहां अंतरिक्ष पिंड भारतीय परिसंपत्ति के करीब पहुंच गईं।
- अपनी अंतरिक्ष परिसंपत्तियों की सुरक्षा के लिए, इसरो को 2021 में 19 टक्कर परिहार युद्धाभ्यास (कॉलिजन अवॉइडेंस मैनोयूव्रर्स/CAM) करने हेतु बाध्य किया गया था, जिनमें से 14 लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में तथा पांच जियोस्टेशनरी ऑर्बिट में थे।
- सीएएम की संख्या 2015 में मात्र तीन से बढ़कर 2020 में 12 एवं 2021 में 19 हो गई।
- विश्व स्तर पर, 2021 में प्रक्षेपण की तुलना में अंतरिक्ष पिंड का अनुपात उच्चतम देखा गया।
- आने वाले वर्षों में वैश्विक स्तर पर अंतरिक्ष मिशनों में वृद्धि के साथ मलबे की मात्रा में वृद्धि होने की संभावना है।
नेत्रा परियोजना क्या है?
- नेत्रा परियोजना भारतीय उपग्रहों के लिए मलबे एवं अन्य खतरों का पता लगाने के लिए अंतरिक्ष में एक पूर्व चेतावनी प्रणाली है।
- नेत्रा के तहत, इसरो ने अनेक अवलोकन स्थापनाओं: कनेक्टेड रडार, टेलीस्कोप, डेटा प्रोसेसिंग यूनिट एवं एक नियंत्रण केंद्र को स्थापित करने की योजना बनाई है।
- वे, अन्यों के साथ, 10 सेमी जितने छोटे आकार के पिंडों को, 3,400 किमी की सीमा तक एवं लगभग 2,000 किमी की अंतरिक्ष कक्षा के बराबर खोज, पता लगा तथा सूचीबद्ध कर (स्पॉट, ट्रैक एंड कैटलॉग ऑब्जेक्ट्स) सकते हैं।
- NETRA का अंतिम उद्देश्य GEO, या जियोस्टेशनरी ऑर्बिट को प्रग्रहित करना है, जिसे 36,000 किमी पर देखा जाता है, जहां संचार उपग्रह संचालित होते हैं।
अंतरिक्ष मलबा क्या है?
- अंतरिक्ष अपशिष्ट अथवा मलबे में भेजें गए रॉकेट के चरण, निष्क्रिय उपग्रह, अंतरिक्ष वस्तुओं के टुकड़े तथा उपग्रह रोधी अस्त्र (एंटी-सैटेलाइट वेपंस/ASAT) से उत्पन्न मलबे शामिल हैं।
- LEO में 27,000 किमी प्रति घंटे की औसत गति से गमन करते हुए, ये भिंड एक अत्यधिक वास्तविक संकट उत्पन्न करते हैं क्योंकि सेंटीमीटर के आकार के टुकड़ों से भी टकराना उपग्रहों के लिए घातक हो सकता है।