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नई विदेश व्यापार नीति- यूपीएससी परीक्षा के लिए प्रासंगिकता
- सामान्य अध्ययन III- भारतीय अर्थव्यवस्था
नई विदेश व्यापार नीति- चर्चा में क्यों है?
- सरकार ने नई विदेश व्यापार नीति (फॉरेन ट्रेड पॉलिसी/FTP) (2022-27) के प्रारंभ को छह और महीनों के लिए बढ़ा दिया है एवं वर्तमान नीति को जारी रखेगी।
नई विदेश व्यापार नीति: विलंब
- केंद्रीय वाणिज्य मंत्री ने कहा कि भू-राजनीतिक स्थिति दीर्घकालिक विदेश व्यापार नीति के लिए उपयुक्त नहीं है।
- वर्तमान में अमेरिका एवं यूरोप जैसी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में मंदी की आशंका ने निवेशकों में घबराहट में वृद्धि कर दी है।
- विदेशी निवेशकों ने इक्विटी से अपना धन निकालना आरंभ कर दिया है।
- अमेरिकी डॉलर 22 वर्ष के उच्च स्तर पर है, जबकि रुपया 81.6 डॉलर के अब तक के सर्वाधिक निचले स्तर पर पहुंच गया है।
- व्यापार घाटा विगत वर्ष की समान अवधि में 53.78 अरब डॉलर की तुलना में 2 गुना से अधिक बढ़कर 125.22 अरब डॉलर (अप्रैल-अगस्त 2022) हो गया।
विदेश व्यापार नीति क्या है?
- भारत की विदेश व्यापार नीति (एफ़टीपी) आयातित एवं निर्यात की जाने वाली वस्तुओं तथा सेवाओं के लिए दिशानिर्देशों का एक समुच्चय है।
- इन्हें विदेश व्यापार महानिदेशालय (डायरेक्टर जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड/DGFT), वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के निर्यात तथा आयात के प्रोत्साहन एवं सुविधा के लिए नियामक निकाय द्वारा विकसित किया गया है।
- विदेश व्यापार नीति, विदेश व्यापार विकास एवं विनियमन अधिनियम 1992 के तहत प्रवर्तनीय हैं।
भारत की विदेश व्यापार नीति
- ‘मेक इन इंडिया’, ‘डिजिटल इंडिया’, ‘स्किल इंडिया’, ‘स्टार्टअप इंडिया’ एवं व्यापारिक सुगमता पहल (‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इनिशिएटिव’) के अनुरूप, विदेश व्यापार नीति (2015-20) 1 अप्रैल, 2015 को प्रारंभ की गई थी।
- यह देश में वस्तुओं एवं सेवाओं के निर्यात में वृद्धि करने, नौकरियों के सृजन तथा मूल्यवर्धन में वृद्धि करने के लिए एक संरचना प्रदान करता है।
- विदेश व्यापार नीति वक्तव्य बाजार एवं उत्पाद रणनीति के साथ-साथ व्यापार को प्रोत्साहित करने, आधारिक अवसंरचना के विस्तार एवं संपूर्ण व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार के लिए आवश्यक कदमों की रूपरेखा तैयार करता है।
- इसका उद्देश्य तीव्र गति से परिवर्तित होते अंतरराष्ट्रीय व्यापार आधारिक अवसंरचना के शीर्ष पर रहते हुए भारत को बाहरी समस्याओं का उत्तर देने में सहायता करना तथा व्यापार को देश की आर्थिक वृद्धि एवं विकास में एक प्रमुख योगदानकर्ता बनाना है।
विदेश व्यापार नीति (2015-2020) के मुद्दे
- वाशिंगटन के विरोध पर कार्रवाई करते हुए, डब्ल्यूटीओ विवाद निपटान पैनल ने 2019 में निर्णय दियाकि भारत के निर्यात सब्सिडी के उपाय डब्ल्यूटीओ मानदंडों का उल्लंघन हैं तथा इसे निरस्त किया जाना चाहिए।
- लोकप्रिय मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम (MEIS) (अब इसका नाम परिवर्तित कर RODTEP योजना कर दिया गया है) एवं सर्विस एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम (SEIS) कार्यक्रम के तहत कर प्रोत्साहन उनमें से थे।
- पैनल ने पाया कि चूंकि भारत का प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय उत्पाद प्रति वर्ष 1,000 डॉलर से अधिक है, इसलिए यह अब निर्यात प्रदर्शन के आधार पर सब्सिडी प्रदान नहीं कर सकता है।
आगे की राह
- क्लाउड में एमईआईएस एवं एसईआईएस के तहत प्रोत्साहन के साथ, डब्ल्यूटीओ-अनुपालन कर लाभ अनिवार्य हैं।
- ऋण उपलब्धता लंबे समय से निर्यातकों, विशेषकर सूक्ष्म लघु एवं मध्यम इकाइयों (माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज/एमएसएमई) की आवश्यकता रही है।
- चीन के बंदरगाहों, मोटरमार्गों एवं द्रुत गति रेलगाड़ियों (हाई-स्पीड ट्रेनों) का संजाल, जो विश्व में सर्वाधिक विशाल हैं, ये इसका एक कारण है कि यह एक विनिर्माण एवं निर्यात का पावर हाउस है।
- कोविड -19 के पुराने आपूर्ति चैनलों को तोड़ने के परिणामस्वरूप भारत को नवीन व्यापारिक प्रक्रियाओं की आवश्यकता है।