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निपाह वायरस- यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता
- जीएस पेपर 2: सामाजिक क्षेत्र / स्वास्थ्य, मानव संसाधन से संबंधित सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।
निपाह वायरस- प्रसंग
- हाल ही में, तीन वर्ष से अधिक के अंतराल के पश्चात, केरल के कोझिकोड जिले में पशुजन्य (जूनोटिक) निपाह वायरस के संक्रमण का एक मामला सामने आया है।
- राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र की एक टीम सहायता प्रदान करने के लिए राज्य पहुंची है। कोझिकोड तीन वर्ष में दूसरी बार घातक संक्रमण की रिपोर्ट कर रहा है।
निपाह वायरस- प्रमुख बिंदु
- मूल: निपाह वायरस प्रथम बार 1998 और 1999 में मलेशिया एवं सिंगापुर में प्रकट हुआ था।
- यह प्रथम बार घरेलू सूअरों में दिखाई दिया एवं कुत्तों, बिल्लियों, बकरियों, घोड़ों तथा भेड़ों सहित घरेलू जानवरों की अनेक प्रजातियों में पाया गया।
- निपाह वायरस के बारे में:
- पशुजन्य रोग: यह जानवरों से मनुष्यों में प्रसारित होता है।
- निपाह वायरस पैरामाइक्सोविरिडे, जीनस हेनिपावायरस परिवार के एक आरएनए (राइबो न्यूक्लिक एसिड) वायरस के कारण होता है।
- हेंड्रा वायरस से निकटता से संबंधित: हेंड्रा वायरस एक दुर्लभ उभरता हुआ पशुजन्य रोग (जूनोसिस है जो संक्रमित घोड़ों एवं मनुष्यों दोनों में, गंभीर तथा प्राय: घातक रोगों का कारण बनता है)।
- संचरण का माध्यम: यह फल चमगादड़ या ‘फ्लाइंग फॉक्स’, जीनस पेर्टोपस (वायरस के प्राकृतिक मेजबान) के माध्यम से प्रसारित होता है। संक्रमित चमगादड़ मल एवं स्राव के माध्यम से वायरस को प्रवाहित करते हैं।
- निपाह वायरस सामान्य तौर पर पशुओं से, मुख्यतः चमगादड़ और सूअर से, मनुष्यों में संचरित होता है।
- दूषित भोजन के माध्यम से संचरण एवं मानव-से-मानव संचरण भी संभव है।
- निपाह वायरस के लक्षण:
- सामान्य लक्षणों में शामिल हैं- उनींदापन, चक्कर आना, मतली, बुखार, सिरदर्द एवं मानसिक समस्याएं जैसे भ्रम।
- कई दिनों तक तेज बुखार: मस्तिष्क में सूजन का कारण बनता है जिससे भ्रम, भटकाव और यहां तक कि लगातार उनींदापन की स्थिति उत्पन्न होती है।
- एक संक्रमित व्यक्ति में तंत्रिका संबंधी (न्यूरोलॉजिकल), श्वसन एवं फुफ्फुसीय लक्षण भी प्रकट होते हैं।
- उपचार: मनुष्यों एवं पशुओं दोनों में संक्रमण के उपचार हेतु अभी तक कोई टीका विकसित नहीं किया गया है।
- मानव मामलों हेतु प्राथमिक उपचार गहन सहायक देखभाल और सहायक दवाएं हैं।
विश्व सामाजिक सुरक्षा रिपोर्ट 2020-22
भारत में निपाह वायरस
- भारत में अब तक पांच (वर्तमान एक सहित) निपाह वायरस का प्रकोप देखा गया है, जिसमें मृत्यु दर (सीएफआर) 65-100% है।
- 2001: यह सिलीगुड़ी, भारत में निपाह वायरस का पहला प्रकोप था
- 2007: यह प्रकोप पश्चिम बंगाल के नादिया में हुआ।
- 2018: केरल के कोझिकोड एवं मलप्पुरम जिलों में स्थानीयकृत होने के शीघ्र पश्चात केरल के 2018 के प्रकोप को समाप्त घोषित कर दिया गया।
- 2019: केरल के कोझिकोड में फिर से इसका प्रकोप हुआ।
- 2021: फिर से, यह केरल के कोझीकोड में संचरित हो रहा रहा है।