Table of Contents
विद्यालयी शिक्षा में सुधार हेतु 11 उपाय: प्रासंगिकता
- जीएस 2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधन से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास एवं प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।
विद्यालयी शिक्षा में सुधार हेतु 11 उपाय: प्रसंग
- नीति आयोग ने हाल ही में राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु देश की विद्यालयी शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए 11 उपायों का सुझाव दिया है।
विद्यालयी शिक्षा में सुधार हेतु 11 उपाय: मुख्य बिंदु
- सुझाव व्यापक पैमाने पर अधिगम (सीखने) के परिणामों में सुधार से संबंधित थे।
- विद्यालयी शिक्षा के प्रणालीगत रूपांतरण की रिपोर्ट के एक भाग के रूप में सिफारिशें जारी की गईं।
- वे मानव पूंजी (साथ-शिक्षा) पहल को रूपांतरित करने हेतु नीति आयोग की सतत कार्रवाई के निष्कर्षों पर आधारित हैं।
- साथ (SATH) पहल के तहत इन राज्यों द्वारा उठाए गए कदमों के परिणामस्वरूप विगत कुछ वर्षों में शिक्षा प्रणाली में औसतन 20% सुधार हुआ है।
- रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि यद्यपि शिक्षा का अधिकार अधिनियम ने 6-10 वर्ष के आयु वर्ग के 96% से अधिक छात्रों का नामांकन सुनिश्चित किया है, किंतु अधिगम परिणाम शिक्षा की बेहतर गुणवत्ता को प्रदर्शित नहीं करते हैं।
उपाय
- विद्यालयी शिक्षा, विशेष रूप से, विद्यालय-पूर्व स्तर, अधिक समावेशी होना चाहिए। हमारी विद्यालय स्तर की अधिगम प्रक्रिया में, कोई भी पीछे नहीं रहना चाहिए या सुविधा वंचित नहीं होना चाहिए।
- रिपोर्ट ने पांच प्रमुख क्षेत्रों में अंतःक्षेप का प्रस्ताव दिया:
- शैक्षिक सुधारों पर ध्यान देना,
- मानव क्षमता को सुदृढ़ करना,
- प्रशासनिक व्यवस्थाओं को सुदृढ़ करना, जवाबदेही बढ़ाना एवं
- परिवर्तन हेतु एक साझा दृष्टिकोण निर्मित करना।
- राज्यों को अधिगम परिणाम एवं जीईआर मुद्दे के मध्य के अंतराल को हल करने हेतु एक अधिगम निर्गत संरचना/लर्निंग आउटकम फ्रेमवर्क (एलओएफ) निर्मित करने चाहिए।
- रिपोर्ट में मूल्यांकन प्रक्रिया को सरल बनाने की आवश्यकता एवं अधिगम विस्तार कार्यक्रमों की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला गया।
- सभी बच्चों को कक्षा स्तर पर लाने हेतु राज्यों को 4-5 वर्षों के लिए अभियान मोड में उपचार को लागू करने की आवश्यकता है।
साथ-ई के बारे में
- प्रोजेक्ट साथ-ई, ‘सस्टेनेबल एक्शन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग ह्यूमन कैपिटल-एजुकेशन’, 2017 में विद्यालयी शिक्षा क्षेत्र के लिए तीन ‘रोल मॉडल‘ राज्यों की पहचान एवं निर्माण हेतु प्रारंभ किया गया था।
- विस्तृत चयन प्रक्रिया के पश्चात झारखंड, ओडिशा एवं मध्य प्रदेश का चयन किया गया।
- साथ-ई का पहला चरण मार्च 2020 में पूरा हुआ।
कुछ उपलब्धियां
- लगभग 3 करोड़ छात्रों के लिए अभ्यास पुस्तिका (वर्क बुक) सहायता के साथ अधिगम संवर्धन कार्यक्रम (लर्निंग एन्हांसमेंट प्रोग्राम)/उपचारात्मक शिक्षण लागू किया गया।
- प्रत्येक माह लगभग 5 लाख निरीक्षण किए जाने के साथ, विद्यालयों एवं छात्रों की अकादमिक अनुश्रवण को सुव्यवस्थित किया गया।
- बाह्य प्रमाणन सहित व्यापक पुरस्कार एवं मान्यता कार्यक्रम प्रारंभ किए गए।
- स्थल परीक्षण (स्पॉट टेस्टिंग) एवं अधिगम अनुपथन प्रारूप (लर्निंग ट्रैकिंग फॉर्मेट) सहित मूल्यांकन सुधारों को प्रारंभ किया गया।
- शिक्षक प्रशिक्षण के अनेक दौर प्रारंभ किए गए।
- मध्य प्रदेश में, 30% छात्र ‘दक्षता उन्नयन‘ लर्निंग एन्हांसमेंट प्रोग्राम के दो वर्षों में प्रारंभिक स्तर की मूलभूत साक्षरता, संख्यात्मक अधिगम वाले समूहों से कक्षा 3-8 के लिए उच्चतम अधिगम के स्तर पर चले गए।
- उड़ीसा में, ‘उज्ज्वल-उत्थान‘ लर्निंग एन्हांसमेंट प्रोग्राम के कारण अधिगम परिणामों में औसतन 10-15% का सुधार देखा गया है।
- झारखंड में ‘ज्ञान सेतु‘ लर्निंग एन्हांसमेंट प्रोग्राम के माध्यम से अधिकांश दक्षताओं में 12% सुधार दर्ज किया गया।
- कोविड -19 महामारी के आरंभ के साथ, साथ-ई ने डिजिटल माध्यमों के माध्यम से निरंतर सहयोग प्रदान करने हेतु स्वयं को ‘डिजी-साथ‘ के रूप में अनुकूलित किया।
- डिजी-साथ पहल के अंतर्गत, मध्य प्रदेश का ‘हमारा घर हमारा विद्यालय‘ एवं ‘डिजी-एलईपी‘ ( अथवा ‘डिजिटल लर्निंग एन्हांसमेंट प्रोग्राम’), ओडिशा का ‘शिक्षा संजोग‘ एवं ‘शिक्षा संपर्क‘, तथा झारखंड का ‘हमारा दूरदर्शन हमारा विद्यालय‘ ऑनलाइन शिक्षा एवं शिक्षक प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है।
यूपीएससी के लिए अन्य उपयोगी लेख
जिला अस्पताल रिपोर्ट के प्रदर्शन में सर्वोत्तम अभ्यास
राजनीतिक चंदे पर एडीआर रिपोर्ट
जिला सुशासन सूचकांक
वैविध्यपूर्ण व्यापार एवं निवेश समझौता (बीटीआईए)