नीति आयोग का राज्य स्वास्थ्य सूचकांक

राज्य स्वास्थ्य सूचकांक- यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 2: शासन, प्रशासन एवं चुनौतियां– स्वास्थ्य से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास एवं प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।

राज्य स्वास्थ्य सूचकांक- संदर्भ

  • हाल ही में, नीति आयोग ने 2019-20 के लिए राज्य स्वास्थ्य सूचकांक का चौथा संस्करण जारी किया है।
  • 2018-19 से 2019-20 की अवधि में राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के समग्र प्रदर्शन तथा वृद्धिशील प्रगति को मापने एवं चिन्हांकित करने पर ध्यान केंद्रित करता है।

 

राज्य स्वास्थ्य सूचकांक- प्रमुख बिंदु

  • पृष्ठभूमि: राज्य स्वास्थ्य सूचकांक राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने हेतु एक वार्षिक उपकरण है। राज्य स्वास्थ्य सूचकांक 2017 से संकलित एवं प्रकाशित किया जाता है।
  • राज्य स्वास्थ्य सूचकांक के बारे में: राज्य स्वास्थ्य सूचकांक राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को स्वास्थ्य परिणामों के साथ-साथ उनकी समग्र स्थिति में उनके वर्ष प्रति वर्ष (साल-दर-साल) वृद्धिशील प्रदर्शन के आधार पर श्रेणीकृत करता है।
  • शामिल एजेंसियां: विश्व बैंक की तकनीकी सहायता से एवं स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) के गहन परामर्श से नीति आयोग द्वारा राज्य स्वास्थ्य सूचकांक रिपोर्ट विकसित की गई है।
  • प्रमुख उद्देश्य: राज्य स्वास्थ्य रिपोर्ट का उद्देश्य राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों को सुदृढ़ स्वास्थ्य प्रणाली निर्मित करने एवं सेवा वितरण में सुधार करने हेतु प्रेरित करना है।
  • आकलन संकेतक: राज्य स्वास्थ्य सूचकांक एक भारित समग्र सूचकांक है जो 24 संकेतकों पर आधारित है, जिन्हें इसके निम्नलिखित डोमेन के तहत समूहीकृत किया गया है-
    • ‘स्वास्थ्य परिणाम’,
    • ‘शासन एवं सूचना’, तथा
    • ‘प्रमुख निविष्टियाँ/प्रक्रियाएँ’।
  • वर्गीकरण: समान इकाइयों के मध्य तुलना सुनिश्चित करने के लिए, राज्य स्वास्थ्य सूचकांक रैंकिंग को ‘बड़े राज्यों’, ‘छोटे राज्यों’ एवं ‘केंद्र शासित प्रदेशों’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

 

राज्य स्वास्थ्य सूचकांक का चौथा संस्करण: प्रमुख बिंदु

  • राज्य स्वास्थ्य सूचकांक का चौथा संस्करण: 2019-20 के लिए राज्य स्वास्थ्य सूचकांक 2018-19 से 2019-20 की अवधि में राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के समग्र प्रदर्शन तथा वृद्धिशील प्रगति को मापने एवं चिन्हांकित करने पर केंद्रित है।
  • राज्य स्वास्थ्य सूचकांक की विषय वस्तु: 2019-20 की रिपोर्ट के लिए राज्य स्वास्थ्य सूचकांक को “स्वस्थ राज्य, प्रगतिशील भारत” (हेल्दी स्टेट्स, प्रोग्रेसिव इंडिया) शीर्षक दिया गया है।

 

राज्य स्वास्थ्य सूचकांक 2019-20: प्रमुख निष्कर्ष

  • बड़े राज्यों में:
    • 2019-20 में समग्र राज्य स्वास्थ्य सूचकांक प्राप्तांक के आधार पर समग्र रैंकिंग में, शीर्ष रैंकिंग वाले राज्य केरल था एवं उसके बाद तमिलनाडु का स्थान था।
    • वार्षिक वृद्धिशील प्रदर्शन के मामले में, उत्तर प्रदेश, असम एवं तेलंगाना शीर्ष तीन रैंकिंग वाले राज्य हैं।
  • छोटे राज्यों में:
    • 2019–20 में समग्र राज्य स्वास्थ्य सूचकांक प्राप्तांक के आधार पर समग्र रैंकिंग में, शीर्ष रैंकिंग वाला राज्य मिजोरम एवं उसके बाद त्रिपुरा था।
    • मिजोरम एवं मेघालय ने अधिकतम वार्षिक वृद्धिशील प्रगति दर्ज की।
  • केंद्र शासित प्रदेशों में:
    • 2019–20 में समग्र राज्य स्वास्थ्य सूचकांक प्राप्तांक के आधार पर समग्र रैंकिंग पर, शीर्ष रैंकिंग केंद्र शासित प्रदेशों में दादरा एवं नगर हवेली तथा दमन एवं दीव (डीएच एंड डीडी) एवं उसके बाद चंडीगढ़ थे।
    • दिल्ली, उसके बाद जम्मू एवं कश्मीर, ने सर्वश्रेष्ठ वृद्धिशील प्रदर्शन दिखाया।

राज्य स्वास्थ्य सूचकांक- महत्व

  • राज्य स्वास्थ्य सूचकांक का उपयोग राज्यों द्वारा अपने नीति निर्धारण एवं संसाधनों के आवंटन में किया जा सकता है।
  • राज्य स्वास्थ्य सूचकांक रिपोर्ट प्रतिस्पर्धी एवं सहकारी संघवाद दोनों का एक उदाहरण है।
    • राज्य स्वास्थ्य सूचकांक राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के मध्य स्वस्थ प्रतिस्पर्धा एवं क्रॉस-लर्निंग को प्रोत्साहित करता है।
  • स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने भी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत राज्य स्वास्थ्य सूचकांक को प्रोत्साहन से जोड़ने का निर्णय लिया है।
    • यह बजट व्यय एवं इनपुट से आउटपुट एवं परिणामों पर ध्यान केंद्रित करने में सहायक रहा है।
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