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कोई परिवर्तन नहीं- पाकिस्तान पर एफएटीएफ का निर्णय

पाकिस्तान पर एफएटीएफ का निर्णय-  यूपीएससी परीक्षा हेतु प्रासंगिकता

  • जीएस पेपर 2: अंतर्राष्ट्रीय संबंध-
    • महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, अभिकरण एवं उनकी संरचना तथा अधिदेश
    • द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह एवं भारत से जुड़े एवं / या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते।

वित्तीय कार्यवाही कार्यबल (एफएटीएफ): संरचना, कार्य और आतंकवाद के वित्तपोषण के विरुद्ध इसकी लड़ाई

पाकिस्तान पर एफएटीएफ का निर्णय- संदर्भ

  • विगत तीन वर्षों में अपने निर्णयों की पुनरावृत्ति में, वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान को     वर्धित अनुश्रवण के तहत अपने क्षेत्राधिकार की ‘ग्रे सूची’ पर बनाए रखा है।
  • एफएटीएफ ने तुर्की को भी ग्रे सूची में रखा एवं मॉरीशस को इससे मुक्त कर दिया।
  • एफएटीएफ का मुख्य अधिदेश: एफएटीएफ आतंकवाद के वित्तपोषण एवं धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) को रोकने के प्रयासों  के आधार पर देशों का मूल्यांकन करता है।

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पाकिस्तान पर एफएटीएफ का निर्णय- प्रमुख निष्कर्ष

  • एफएटीएफ ने पाया कि पाकिस्तान ने दो बैचों में सौंपे गए कुल 34 कार्यों में से 30 को पूर्णता प्रदान कर दी थी, एवं फरवरी 2022 में एक अन्य पुनः परीक्षण का सामना करेगा।
  • पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादी समूहों के वरिष्ठ नेतृत्व के विरुद्ध प्रभावी जांच एवं मुकदमा चलाने में विफल रहा है।
    • उदाहरण के लिए, जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) प्रमुख मसूद अजहर, लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) प्रमुख हाफिज सईद, दाऊद इब्राहिम एवं आतंकी समूहों के अन्य कमांड एवं कंट्रोल प्रमुख।
    • ये आतंकी समूह 2008 में 26/11 के मुंबई हमलों, 1999 में आई सी-814 अपहरण एवं जम्मू और कश्मीर में कई बड़े हमलों एवं बम विस्फोटों के लिए जिम्मेदार हैं।

अफगानिस्तान में तालिबान का शासन और भारत पर इसके प्रभाव

पाकिस्तान पर एफएटीएफ का निर्णय- संबंधित चिंताएं

  • वास्तविक स्तर पर कोई प्रभाव नहीं: 2008-2009, 2012-2015 एवं 2018-2021 से पाकिस्तान के एफएटीएफ द्वारा वर्धित अनुश्रवण, वांछित परिणाम प्राप्त करने में विफल रहा है।
    • जबकि कुछ आतंकवादियों पर पाकिस्तानी अदालतों में आतंकवाद के वित्तपोषण के आरोपों के लिए मुकदमा चलाया गया एवं उन्हें दोषी ठहराया गया, उनमें से किसी पर भी भारत में हिंसा के लिए प्रभावी रूप से मुकदमा नहीं चलाया गया।
  • एफएटीएफ की प्रभावशीलता में कमी: ये अत्यधिक विलंबित परिणाम आतंकवाद पर जितना पाकिस्तान की विश्वसनीयता की कमी को बताते हैं उतना ही एफएटीएफ की प्रभावशीलता की कमी को भी बताते हैं।
  • पाकिस्तान को काली सूची में डालने की अनिच्छा: एफएटीएफ की कार्य सूची को पूरा करने में पाकिस्तान की विफलता के बावजूद, एफएटीएफ पाकिस्तान को ‘काली सूची’ में रखने पर विचार नहीं कर रहा है।
    एफएटीएफ पर प्रक्रिया का राजनीतिकरणकरने का आरोप लगाना: उन दोनों की ओर से, जो पाकिस्तान द्वारा गैर-अनुपालन के लिए कड़ी कार्रवाई देखना चाहते हैं,एवं स्वयं पाकिस्तान द्वारा भी ये आरोप लगाए जाते हैं।

    • पाकिस्तान ने भारत पर पाकिस्तान को “लक्षित” करके तकनीकी प्रक्रिया को एक राजनीतिक प्रक्रिया में बदलने का आरोप लगाया है।
  • तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर नियंत्रण पर चिंता: इससे अल-कायदा जैसे अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी समूहों का विकास हो सकता है, तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर नियंत्रण का फायदा उठाकर नए सुरक्षित पनाहगाह एवं वित्तपोषण नेटवर्क का निर्माण कर सकते हैं।

 

पाकिस्तान पर एफएटीएफ का निर्णय – आगे की राह 

  • प्रभावी क्रियान्वयन: एफएटीएफ को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पाकिस्तान की जांच एक मुक्त प्रक्रिया नहीं है, एवं इसे शीघ्र से शीघ्र एक विश्वसनीय एवं प्रभावी निष्कर्ष पर लाया जाए।
  • अफगानिस्तान के मुद्दे का संज्ञान: एफएटीएफ को 2001 से (जब उसने अपने अधिदेश में आतंकी वित्तपोषण को सम्मिलित किया) सभी आतंकवादी समूहों को विभिन्न फंडिंग नेटवर्क तक पहुंचने से रोकने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को कायम रखना चाहिए।

राष्ट्रीय वित्तीय सूचना प्राधिकरण

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